BHOPAL. मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षक बार-बार सिस्टम की ठगी का शिकार हो रहे हैं। तीन दिन पहले राजधानी में प्रदर्शन के बाद सरकार ने जो पहले की थी वो एक बार फिर बेमानी साबित होती दिख रही है। सवाल यह भी है कि स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह ( Uday Pratap Singh ) की मौजूदगी में पीएस संजय गोयल और डीपीआई कमिश्नर शिल्पा गुप्ता ( DPI Commissioner Shilpa Gupta )ने मंत्रालय में अतिथि शिक्षकों को जो आश्वासन दिए थे उनके कुछ मायने थे या केवल आंदोलन शांत करने का तरीका भर था। क्योंकि जिन 8 बिंदुओं पर सरकार की ओर से अतिथियों को आश्वस्त किया गया था उनमें कोई बदलाव नहीं आया है। उल्टा अब लोक शिक्षक संचालनालय में कमिश्नर सहित हर अफसर ने परेशान अतिथि शिक्षकों से मिलना ही बंद कर दिया है।
कौन सुनेगा, किसको सुनाएं
शुक्रवार को प्रदेश के कई जिलों से 200 से ज्यादा अतिथि शिक्षक लोक शिक्षक संचालनालय पहुंचे थे। इन सबकी अपनी-अपनी परेशानियां थीं जिसके चलते उन्हें स्कूलों में नियुक्त नहीं मिल पा रही थी। कोई पोर्टल पर आवेदन अस्वीकार, कोई स्कोर कोर्ड तो कोई दूसरी समस्या को अफसरों को बताने आया था। ये सभी फरियादी घंटों तक इंतजार करते रहे लेकिन उन्हें अंदर घुसने तक नहीं दिया गया। हेल्पडेस्क पर उन्हें बताया गया कि किसी को भी ऊपर जाने की अनुमति नहीं है। जो परेशानी है, उसका आवेदन यहीं जमा कराने के निर्देशित किया गया है। अतिथि शिक्षकों को अब समझ नहीं आ रहा कि आंदोलन के बाद सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन का ये कैसा लाभ हुआ है। समस्या तो ज्यों की त्यों है, अब अफसर उनकी बात तक नहीं सुन रहे।
डीपीआई परेशान करने पर उतारू
अतिथि शिक्षकों का कहना था तीन माह से जो हो रहा है उससे लगने लगा है डीपीआई उन्हें परेशान करने की जिद पर अड़ा हुआ है। अफसरों की नीयत ही नहीं है कि स्कूलों में अतिथि शिक्षक समय पर जॉइन कर लें और पढ़ाई नियमित होने लगे। ग्रामीण अंचल के स्कूलों में अध्यापन की व्यवस्था चौपट हो भी जाए तो डीपीआई को कोई सरोकार नहीं है। अतिथि शिक्षक संघ के महासचिव रविकांत गुप्ता के अनुसार डीपीआई को पहले से ही पता था कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्त ऑनलाइन करानी है। इसके लिए मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स डेव्लपमेंट कॉर्पोरेशन ( Electronics Development Corporation ) से अनुबंध भी पहले ही हो चुका था। यानी अतिथि शिक्षकों की संख्या, पदों की संख्या, स्कूलों की जानकारी, पूर्व के परीक्षा परिणाम से लेकर ग्रेडिंग या स्कोरिंग हर डेटा डीपीआई और एमपीएसईडीसी के पास था। इसके बावजूद पोर्टल खुलने के दिन से आज तक गड़बड़ी पर गड़बड़ी सामने आ रही है। जब अतिथि शिक्षक परेशानी लेकर पहुंचता है तो उसे दुरुस्त करने वाला कोई नहीं है। जबकि डीपीआई को इसके लिए एक हेल्पसेंटर बना देना चाहिए था। अतिथि शिक्षकों का कहना है जो परिस्थितियां सामने हैं उन्हें देखकर डीपीआई की नीयत में खोट से इंकार नहीं किया जा सकता।
रिजल्ट के झंझट के बिना लगवा रहे चक्कर
प्रदेश के माध्यमिक कक्षाओं तक विद्यार्थियों के फेल होने को झंझट नहीं है। यानी प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं का रिजल्ट 33 फीसदी के आंकड़े के फेर से बाहर है। इसके बावजूद सैंकड़ों अतिथि अपने दस्तावेज लेकर डीपीआई के चक्कर काट रहे हैं। इन अतिथियों का कहना है वे आठवीं के शिक्षक थे। परिणाम 92 फीसदी रहा लेकिन हाईस्कूल के शिक्षक का रिजल्ट पोर्टल में उनके नाम के सामने दर्शाया जा रहा है। इसी आधार पर वे स्कूल में नियुक्ति की पात्रता से बाहर हो रहे हैं। स्कूल के प्राचार्य, बीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी से भी यह प्रमाणित करा चुके हैं लेकिन पोर्टल के चक्कर में कोई कुछ कर ही नहीं पा रहा।
राज्यमंत्री की चिट्ठी लेकर पहुंची अतिथि को भी लौटाया
सीहोर जिले के बरखेड़ा हसन हायर सेकेण्डरी स्कूल के अतिथि शिक्षक लखपत गुर्जर का कहना है उनकी कक्षा 9 का रिजल्ट 46 और 11वी का परिणाम 84 रहा है। वहीं पोर्टल में दर्शाया जा रहा है कि अध्यापन कार्य ही नहीं कराया गया। इस वजह से वे स्कोर कार्ड अनलॉक नहीं कर पा रहे। अतिथि शिक्षक लखपत गुर्जर की परेशानी की सुनवाई के लिए राज्यमंत्री नारायण सिंह पंवार ( Narayan Singh Panwar) भी डीपीआई को चिट्ठी लिखी है। लखपत यह चिट्ठी लेकर पहुंचे तो उन्हें भी बाहर से ही चलता कर दिया गया। बैतूल के प्रभातपट्टन शाला से आए अतिथि शिक्षक धारासिंह सोलंकी के पास जिला शिक्षा अधिकारी की चिट्ठी है। वे कई बार चक्कर काट चुके हैं। जिले के अधिकारी भी प्रमाणित कर चुके हैं कि प्रभातपट्टन उत्कृष्ट विद्यालय में भूगोल के शिक्षक का पद रिक्त है। इसके बाद भी पोर्टल पर जॉइनिंग लेटर जारी नहीं हो रहा। घाट पिपरिया के शिक्षक ललित चौरासे को कुछ माह के लिए माध्यमिक शाला में पढ़ाने का मौका मिला था। इस बीच हाईस्कूल के शिक्षक का ट्रांसफर हो गया। उनकी कक्षा का परीक्षा परिणाम 15प्रतिशत रहने का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ रहा है। पोर्टल पर बताया जा रहा है कंडिका 3.1 की धारा 2 के चलते उनकी कक्षा का परिणाम 30 फीसदी से कम रहा है, इसलिए वे अपात्र हैं। अतिथि शिक्षकों की ऐसी तमाम शिकायतें हैं जिन्हें लेकर वे दो महीनों से डीपीआई के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अब निराशा इसलिए बढ़ गई है क्योंकि तीन दिन पहले स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह की मौजूदगी में स्कूल शिक्षा विभाग के पीएस संजय गोयल और कमिश्नर शिल्पा गुप्ता के आश्वासन के बाद भी डीपीआई के अफसरों के रवैए में कोई बदलाव नहीं आया है।
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