मध्य प्रदेश की सियासत और सत्ता के गलियारों में इस समय का सबसे बड़ा सवाल एक ही है- कौन होगा एमपी का सीएस? यानी चीफ सेक्रेटरी… तेजी से घटनाक्रम बदल रहे हैं। भोपाल से दिल्ली तक की दूरियां नापी जा रही हैं। फोन भी लगातार घनघना रहे हैं, लेकिन कोई भी अभी यह का पाने की स्थिति में नहीं है कि आखिर प्रशासनिक मशीनरी की इस सबसे बड़ी कुर्सी का दावेदार कौन होने जा रहा है?
चर्चा सीनियरिटी के आधार पर जिम्मेदारी देने की है तो दिल्ली का दखल भी साफ तौर पर नजर आ रहा है। वहीं संघ की सिफारिश को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इधर चौथा ऑप्शन तो खुला ही है, एक्सटेंशन देने का। बहरहाल, चलिए जानते हैं इस सबसे ताकतवर पोस्ट के लिए मध्य प्रदेश में इन दिनों क्या कुछ समीकरण चल रहे हैं…
दिल्ली तक पहुंचे तीन नाम
मप्र के नए मुख्य सचिव के नाम पर फैसला जल्द होने वाला है। सबकुछ ठीक रहा तो 20 सितंबर तक नाम सबके सामने भी आ जाएगा। इस पद की दौड़ में जो नाम सामने आए हैं, उनमें तीन नाम शामिल हैं।
1- अगर सीएम यादव की चली तो…
1990 बैच के डॉ. राजेश राजौरा : वर्तमान में सीएम के अपर मुख्य सचिव हैं। राजेश राजौरा को मुख्यमंत्री का भरोसेमंद माना जाता है। इस सरकार में उनकी लगातार बढ़ती ताकत से भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
2- यदि दिल्ली ने चलाई तो…
1989 बैच के अनुराग जैन : अभी दिल्ली में ही प्रतिनियुक्ति पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव हैं। अनुराग जैन का नाम सीएस की दौड़ में पिछली बार भी था। उनको दिल्ली से अपने संबंधों का फायदा मिल सकता है। साथ ही दिल्ली से सीएस दिए जाने के हालिया ट्रेंड का फायदा भी उनको हो सकता है।
3- अगर संघ की मानी गई तो…
डॉ. एसएन मिश्रा : फिलहाल, मध्य प्रदेश के गृह और ट्रांसपोर्ट विभाग में एसीएस हैं। चर्चा है कि एसएन मिश्रा और उनके परिवार की संघ में गहरी पैठ है। उनके दूर के एक रिश्तेदार के राज्यपाल होने की चर्चा भी अक्सर होती रहती है। हालांकि एसएन मिश्रा का रिटायरमेंट जल्द ही होने से उनके नाम की संभावना पर संशय जताया जा रहा है।
चौथे नाम के रूप में मौजूदा मुख्य सचिव व 1988 बैच की वीरा राणा का एक्सटेंशन बढ़ाए जाने की चर्चाएं भी चल ही रही हैं। बता दें कि वीरा राणा 30 सितंबर को रिटायर होने वाली हैं। ऐसे में नए मुख्य सचिव की खोज तेज हो गई है। अगर किसी नाम पर बात नहीं बनी तो वीरा राणा को एक्सटेंशन दिया जा सकता है। चर्चा है कि अनुराग जैन और राजौरा की मुख्यमंत्री से मुख्य सचिव के मसले पर अलग- अलग बात हो चुकी है। सीएम ने भी नाम दिल्ली आलाकमान तक पहुंचा दिए हैं।
बढ़ रहा दिल्ली का दखल
वैसे तो आमतौर पर मुख्य सचिव के मामले में मुख्यमंत्री की पसंद ही चलती है, लेकिन हाल ही के वर्षों में दिल्ली का दखल भी खूब देखा जा रहा है। राजस्थान और बिहार इसके उदाहरण हैं, जहां राज्य सरकार के प्रस्तावित नामों की जगह केंद्र से मुख्य सचिव का नाम भेजा गया।
अगर दिल्ली की चली तो DGP के नाम पर भी असर…
ऐसा माना जा रहा है कि अगर सीएस बनाने के मामले में दिल्ली की चली तो डीजीपी की नियुक्ति में भी यही परंपरा निभाई जाएगी। इसका उदाहरण पड़ोस के छत्तीसगढ़ में देखा जा चुका है। सीजी में DGP Ashok Juneja को एक्सटेंशन देकर उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। दरअसल अशोक जुनेजा ने अपने रिटायरमेंट की तैयारी कर ली थी और राज्य सरकार ने भी नए नाम भेज दिए थे। मगर गृह मंत्रालय के दखल के बाद राज्य सरकार को जुनेजा का नाम एक्सटेंशन के लिए भेजना पड़ा। एक महीने पहले ही छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा को केंद्र से 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था। दरअसल जुनेजा का रिटायरमेंट 4 जुलाई 2024 को होना था, लेकिन अब वे 2025 तक डीजीपी बने रहेंगे। अगर यही पैटर्न फॉलो किया गया तो मप्र में भी डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना को एक्सटेंशन मिल सकता है।
20 तक आ सकता है नाम सामने
परंपरा रही है कि सीएस बनाने से पहले मुख्यमंत्री का ओएसडी बनाया जाता है। अगर इस परंपरा को निभाया गया तो 20 सितंबर तक उस नाम को घोषित किया जाएगा, जो प्रदेश के अगले मुखिया की जिम्मेदारी संभालने वाला है। लेकिन फिलहाल पिक्चर साफ नहीं होने से किसी एक नाम के बारे में कहना मुश्किल है। और पत्ते आखिर समय पर ही खुलने की संभावना ज्यादा लग रही है।
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