मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़े फर्जीवाड़े के मामले पिछले दो सालों से न्यायिक जांच के घेरे में है। हाईकोर्ट के आदेशानुसार इस मामले की सीबीआई द्वारा जांच चल रही है। अब तक सैकड़ों नर्सिंग कॉलेज मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं और उनकी मान्यता रद्द की जा चुकी है। इन घटनाओं के बावजूद नर्सिंग काउंसिल में विवादित नियुक्तियां जारी हैं और हाल ही में एक और विवाद सामने आया है।
रजिस्ट्रार पद पर दागी की हुई नियुक्ति
सरकार ने अनीता चांद ( Anita Chand ) को नर्सिंग काउंसिल का नया रजिस्ट्रार नियुक्त किया है, लेकिन यह नियुक्ति विवादों में घिरी हुई है। अनीता चांद पर आरोप है कि उन्होंने भोपाल के आरकेएस नर्सिंग कॉलेज के भौतिक निरीक्षण में गलत रिपोर्ट दी थी। आरोप है कि इस कॉलेज की इमारत केवल 5000 वर्गफुट की थी, जिसे चांद ने 20,000 वर्गफुट बताया और कॉलेज को सूटेबल घोषित कर दिया था। हाईकोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता विशाल बघेल की शिकायत पर एक नई जांच टीम भेजी गई थी, जिसके बाद कॉलेज की असल स्थिति का खुलासा हुआ और कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई।
नर्सिंग ट्यूटर को बना दिया रजिस्ट्रार
अधिवक्ता विशाल बघेल जो इस मामले में याचिकाकर्ता और व्हिसलब्लोअर हैं, उन्होंने आरोप लगाए हैं कि अनीता चांद पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें रजिस्ट्रार बना दिया गया है। नर्सिंग काउंसिल के नियमों के अनुसार, रजिस्ट्रार पद पर केवल वही व्यक्ति नियुक्त किया जा सकता है जिसने शासकीय नर्सिंग कॉलेज में आचार्य पद पर 7 वर्षों से अधिक समय तक सेवाएं दी हों। अनीता चांद का मूल पद नर्सिंग ट्यूटर का है और वह छिंदवाड़ा के सरकारी नर्सिंग स्कूल में कार्यरत थीं। इसके बावजूद उन्हें इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया।
उच्चाधिकारियों से हुई शिकायत
इस मामले में शिकायत डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को की गई है। विशाल बघेल ने कहा कि दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के बजाय उन्हें रजिस्ट्रार नियुक्त किया जा रहा है। नर्सिंग काउंसिल में फर्जीवाड़ा एजेंटों और आउटसोर्स कर्मियों द्वारा मिलकर अंजाम दिया जा रहा है। हमने उप-मुख्यमंत्री को इस मामले से अवगत कराया है।
पूर्व में भी रजिस्ट्रारों पर हुई है कार्रवाई
गौरतलब है कि नर्सिंग काउंसिल के पिछले दो रजिस्ट्रार, चंद्रकला दिवगैया और सुनीता सिजु पर भी कार्रवाई की जा चुकी है। इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद इन्हें हटाया गया था। इनके बाद प्रशासक ही नर्सिंग काउंसिल का काम देख रहे थे। वहीं अनीता चांद ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि उस समय मान्यता प्रक्रिया में सूटेबल या अनसूटेबल का कलॉस ही नहीं था।
यह मामला दर्शाता है कि कैसे मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता की प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं और फर्जीवाड़े से जुड़े आरोपियों को उच्च पदों पर नियुक्त कर पुरुस्कृत किया जा रहा है। आपको बता दें कि मान्यता फर्जी वाले में सीबीआई के अधिकारी तक फस चुके हैं तो अब इस मामले में न्यायालय से ही इंसाफ मिलने की उम्मीद बाकी है।
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