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भोपाल: मध्यप्रदेश में चुनावी पारदर्शिता को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज (19 अगस्त) भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने वोट-चोरी के आरोपों और इससे जुड़ी चिंताओं को लेकर प्रदेश की चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग उठाई।
सिंघार ने आंकड़ों के आधार पर कई बड़े खुलासे किए। उन्होंने आरोप लगाया है कि दो महीने में ही एमपी में 16 लाख से ज्यादा वोटर बढ़ गए। इसके अलावा 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरन प्रदेश के अंदर 27 से ज्यादा सीटों पर वोट चोरी हुई थी।
उन्होंने 27 विधानसभा क्षेत्रों की एक सूची जारी की, जहां कांग्रेस (INC) के उम्मीदवार बहुत कम मतों से हार गए थे, लेकिन उन क्षेत्रों में मतदाता वृद्धि बहुत ज्यादा पाई गई। इस असंगति को देखते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी को अनैतिक रूप से फायदा पहुंचाने के लिए यह मतदाता वृद्धि की गई।
सिंघार ने X पर लिखा, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा "वोट चोरी" के खुलासे ने देश को झकझोर दिया है। मध्यप्रदेश भी इस सुनियोजित चुनावी षड्यंत्र का बड़ा शिकार है। आज भोपाल में प्रेस वार्ता के माध्यम से 'वोट चोरी' को लेकर जनता के सामने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए और एक बड़ा खुलासा किया।
- पीपीटी के माध्यम से मैंने दिखाया कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई थीं - जैसे कि
- मतदाताओं की संख्या में असामान्य वृद्धि,
- नामों को हटाने के रिकॉर्ड को छिपाना,
- चुनाव आयोग के विरोधाभासी आदेश, और लाखों डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ जैसी गंभीर त्रुटियाँ शामिल हैं ।
उन्होंने कहा कि हमने उन 27 सीटों के आंकड़े भी जारी किए जहां कांग्रेस कम अंतर से हारी, लेकिन मतदाता-वृद्धि हार से कहीं ज़्यादा थी। यह सिर्फ आँकड़े नहीं हैं — यह लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है।
राहुल गांधी जी द्वारा "वोट चोरी" के खुलासे ने देश को झकझोर दिया है। मध्यप्रदेश भी इस सुनियोजित चुनावी षड्यंत्र का बड़ा शिकार है।
— Umang Singhar (@UmangSinghar) August 19, 2025
आज भोपाल में प्रेस वार्ता के माध्यम से 'वोट चोरी' को लेकर जनता के सामने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत किए और एक बड़ा खुलासा किया। पीपीटी के माध्यम से… pic.twitter.com/5Bp4HNHiq6
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वोट चोरी को लेकर कांग्रेस के दावों को ऐसे समझें....
डेटा-आधारित निष्कर्ष
• 05 जनवरी से 02 अगस्त (7 महीने) के बीच मतदाताओं में लगभग 4.64 लाख की बढ़ोतरी हुई।
• 02 अगस्त से 04 अक्टूबर (2 महीने) में मतदाताओं में 16.05 लाख की बढ़ोतरी हुई, यानी हर दिन लगभग 26,000 नए मतदाता जोड़े गए।
ECI का आदेश — 9 जून 2023
• नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बताया कि 9 जून 2023 को भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया था कि 1 जनवरी 2023 से 30 जून 2023 तक जो मतदाता जोड़े गए थे या सूची में बदलाव किए गए थे, उन्हें वेबसाइट पर न दिखाया जाए और न ही किसी के साथ साझा किया जाए।
आदेश का विस्तार — राष्ट्रीय दायरा
• यह आदेश पूरे देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों पर लागू किया गया था।
2 दिसंबर 2022 का निर्देश — नकली/डुप्लीकेट प्रविष्टियां
• मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने 2 दिसंबर 2022 को आदेश दिया था कि 8,51,564 नकली या डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाया जाए।
• हालांकि, किसी भी जिले ने इन प्रविष्टियों को हटाने की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की, और RTI के जरिए भी यह जानकारी नहीं दी गई।
• प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि 'गरुड़ा ऐप' का डेटा RTI के जरिए मांगने के बावजूद छिपाया गया।
नियम 32 — रिकॉर्ड्स का संरक्षण (Registration of Electors Rules, 1960)
• नियम 32 के तहत, निर्वाचन अधिकारी को मतदाता सूची और उससे संबंधित दस्तावेज़ कम से कम 3 साल तक सुरक्षित रखने चाहिए।
• किसी भी रिकॉर्ड का नष्ट करना या छुपाना नियमों के खिलाफ है।
27 विधानसभा क्षेत्रों की तालिका — असंगति
• प्रस्तुति में उन 27 क्षेत्रों का उल्लेख किया गया जहां कांग्रेस के उम्मीदवार बेहद कम मतों से हारे थे।
• इन क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई, जो हार के अंतर से कहीं अधिक थी।
• नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि यह BJP को अनैतिक लाभ देने के लिए किया गया।
फ़ोटो का दोहरा पैमाना — ECI बनाम सरकारी योजनाएं
• उमंग सिंघार ने कहा कि चुनाव आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फ़ोटो न जोड़ने के लिए 'गोपनीयता' और 'फ़ाइल साइज' का बहाना देता है। लेकिन जब सरकार अपनी योजनाओं का प्रचार करती है, तब फ़ोटो और वीडियो बड़े पब्लिक डॉक्यूमेंट्स में दिखाए जाते हैं।
• सवाल यह है कि यदि वहाँ गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता, तो फिर मतदाता सूची में फ़ोटो क्यों नहीं डाले जाते?
CEO की वेबसाइट अचानक बंद हो गई
• उमंग सिंघार ने बताया कि जब मतदाता सूची की गड़बड़ी को लेकर आरोप उठाए गए, तो मध्यप्रदेश के CEO की वेबसाइट अचानक बंद हो जाती है या "Website Under Maintenance" दिखाई देता है।
• क्या यह तकनीकी समस्या है, या पारदर्शिता को छिपाने की कोशिश की जा रही है?
आयोग की प्रतिक्रिया
• 17 अगस्त को दिल्ली में चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता थी, जो चुनाव आयोग की कम और भाजपा की ज्यादा लग रही थी।
• आयोग का कहना था कि मतदान केंद्रों का CCTV फुटेज देने से मतदाता की प्राइवेसी पर असर पड़ेगा।
• सवाल उठाया गया कि यदि मतदान केंद्र पर CCTV लगे हैं, तो उसका सार्वजनिक परीक्षण क्यों नहीं किया जाता? यह पारदर्शिता का सवाल था।
• "हाउस नंबर 0" के नाम पर बिना पते वाली प्रविष्टियाँ दी जा रही हैं। क्या वाकई सरकारी लाभ या दस्तावेज़ 'House No. 0' पर बनते हैं?
• राहुल गांधी ने गड़बड़ी का दावा किया, तो आयोग ने जवाब देने के बजाय हलफ़नामा या माफ़ी मांगने की प्रक्रिया शुरू की। नेता प्रतिपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक बताया।
कांग्रेस की मांगें
• फ़ाइनल रोल को फ़्रीज़ किया जाए — अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर लिए जाएं, और चुनाव के समाप्त होने तक किसी भी बदलाव पर रोक लगाई जाए।
• मशीन-रीडेबल फॉर्मैट में पूरा डेटा जारी हो — PDF या इमेज की जगह CSV/Excel फाइलों में डेटा उपलब्ध कराया जाए ताकि स्वतंत्र रूप से जांच की जा सके।
• प्रत्येक प्रविष्टि के साथ फ़ोटो प्रकाशित हो — इससे डुप्लीकेट, मृतक या फर्जी प्रविष्टियों की पहचान करना आसान हो सके।
• पूरा संशोधन-लॉग सार्वजनिक हो — Form 9, 10, 11 सहित हर संशोधन का समयबद्ध रिकॉर्ड और PSE/DSE की सूची सार्वजनिक की जाए।
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