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दिल्ली एनसीआर के इनकम टैक्स कमिश्नर बी. श्रीनिवास कुमार और उनकी पत्नी हिमानी सारद को पन्ना टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के आरोपों का सामना करना पड़ा रहा है। वन विभाग ने उनके खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया है। बता दें कि, हिमानी सारद सर्वोच्च न्यायालय में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी हैं।
वन विभाग का कहना है कि इन दोनों ने नेशनल पार्क के कोर एरिया, बफर और इको-संवेदनशील इलाके में होटल और रिसॉर्ट बनवा रहे थे, जो नियमों का उल्लंघन है।
पन्ना के क्षेत्रीय निदेशक नरेश कुमार यादव ने 9 सितंबर को प्रधान मुख्य वन संरक्षक और भोपाल स्थित फारेस्ट फोर्स चीफ को एक रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि 3 सितंबर को उस इलाके में जांच दौरे के दौरान जहां पर कथित तौर पर यह ढांचा बनाया गया था, वहां से एक आरा मशीन भी जब्त की गई।
अधिकारी से जवाब तलब
यह पहला मामला है जब किसी इनकम टैक्स कमिश्नर की ओर से किए गए कमर्शियल निर्माण को रोका गया है।
मामला गंभीर होने के कारण मध्यप्रदेश के असिस्टेंट डायरेक्टर मंडला को सेंट्रल इंपॉवर्ड कमिटी में पक्ष रखने के लिए अधिकृत किया गया है। वन विभाग ने बी. श्रीनिवास कुमार को जवाब देने के लिए 7 दिन की मोहलत दी है, जो 18 सितंबर तक पूरा होगा।
पन्ना टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि होटल और रिसॉर्ट का निर्माण पार्क संरक्षित क्षेत्र से 1 किमी सीमा में किया जा रहा था, जो नियमों के खिलाफ है। अब राजस्व और वन विभाग मिलकर निर्माण स्थल का निरीक्षण करेंगे और पूरी जमीन का सीमांकन किया जाएगा।
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35.80 एकड़ भूमि फॉरेस्ट में नोटिफाई
वन विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने जांच की। इसमें पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर नरेश सिंह यादव, डिप्टी डायरेक्टर और असिस्टेंट डायरेक्टर शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, 35.80 एकड़ भूमि संरक्षित वन भूमि है। इसमें वन खंड अर्जुन हाई में रकबा 25.10 एकड़, पाटन रकबा 7.70 और टोरिया-ब रकबा 3 एकड़ शामिल है। इस भूमि पर निर्माण चल रहा था। यह भूमि फॉरेस्ट में नोटिफाई है। हालांकि, कुल संरक्षित भूमि 42.50 एकड़ है। जिसका खसरा नंबर 1841/1/1, 1841/1/2, 1841/2, 1841/3/1, 1841/3/2 और 1841/4/6 है।
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जांच रिपोर्ट के बाद, टाइगर रिजर्व से आरा मशीन (जो कटर व्यास 47 सेमी की है) जब्त किया गया और प्राथमिक वन अपराध दर्ज किया गया।
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केन नदी से जुड़ा है क्षेत्र
एमपी वन विभाग अधिकारियों का कहना है कि यह क्षेत्र केन नदी के पास हो रहा है, जो गंगा की सहायक नदी है। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन भी हो सकता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि लोकल एडवाइजरी कमेटी से इस निर्माण के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई।
आयकर अधिकारी बी. श्रीनिवास कुमार का बयान
मप्र प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) शुभरंजन सेनने कहा- यहां होटल-रिसॉर्ट जैसा कुछ बन रहा था और आरा मशीन भी मिली है। मामले की जांच चल रही है और फॉरेस्ट की जमीन का सीमांकन कराया जाएगा।
इनकम टैक्स कमिश्नर बी. श्रीनिवास कुमार ने मीडिया से कहा कि वन विभाग से जो नोटिस मिला था, उसका जवाब दे दिया गया है। लेकिन इसके अलावा वे कुछ नहीं कह सकते।