BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकारी अफसरों की मनमानी जगजाहिर रही है। प्रदेश में जब तक नौकरशाहों से पीड़ित आमजन अपना दुखड़ा सुनाते सड़क पर दिख ही जाता है, लेकिन इस बार अफसरों ने प्रधानमंत्री की एक योजना में ही सेंध लगा दी है। मामला पीएम की महत्वाकांक्षी सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (surya ghar free electricity scheme ) से जुड़ा है। प्रदेश के अफसरों उनमें भी कटौती करने से बाज नहीं आए। योजना के लाभ में कटौती और लागत बढ़ने से लोगों ने इससे दूरी बना ली है। नतीजा योजना अपने लक्ष्य से कोसों पीछे रह गई है। वहीं राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य मध्यप्रदेश से कहीं आगे निकल गए हैं।
ऊर्जा विभाग के अफसरों की झोल
केंद्र सरकार ने फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की घोषणा की थी। योजना का उद्देश्य वैकल्पिक ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ पर्यावरणीय संतुलन मजबूत करना था। 75 हजार करोड़ की लागत वाली इस योजना के तहत आमजन या संस्थागत भवनों की छत पर सोलर पैनल लगाए जाने हैं। इसके अंतर्गत घरेलू उपयोग के लिए 2 किलोवाट के यूनिट की लागत पर 60 फीसदी और 3 किलोवाट की यूनिट लगाने पर लागत मूल्य की 40 फीसदी सब्सिडी सरकार की ओर से देने का प्रावधान किया गया है। यानी योजना के तहत अपने घर या संस्थान की छत पर 3 किलोवाट तक सोलर यूनिट लगाने पर सरकार की ओर से 30 हजार से अधिकतम 78 हजार रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी, लेकिन प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अफसरों ने इसमें भी झोल डाल दिया है।
केंद्र की योजना में वसूली का पेंच
सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के नाम से ही इसका उद्देश्य समझ आ जाता है। यानी योजना मुफ्त में बिजली देने वाली है, या इसके तहत जो बिजली मिलेगी उसके लिए कोई टैक्स या बिल चुकाना नहीं होगा। यहां तक तो समझ आता है लेकिन केंद्र की मंशा को प्रदेश के अफसर नहीं नजरअंदाज कर गए। जो योजना निशुल्क बिजली देने वाली थी उसके लिए वैकल्पिक ऊर्जा विभाग के अफसरों ने वसूली का बोझ लाद दिया। प्रदेश में सोलर पैनल से बिजली पैदा करने और उसके वितरण के लिए प्रदेश सरकार की ओर से फिक्स चार्ज लगाया गया है। यह चार्ज ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों या लोगों से वसूला जाएगा। केंद्र की सूर्य घर योजना के हितग्राहियों से यह वसूली केवल मध्यप्रदेश में ही हो रही है। जबकि प्रदेश की सीमा से सटे राजस्थान,गुजरात और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में ऐसा कोई टैक्स नहीं रखा गया है।
सोलर एनर्जी के लिए भी बिल
प्रदेश के सोलर पैनल के जरिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने पर भी बिल तो चुकाना ही होगा। जी हां, ऐसे उपभोक्ताओं से बिल वसूली के लिए प्रदेश में प्रति यूनिट 1.80 रुपए की दर तय की गई है। यानी ग्रिड को दी जाने वाली अतिरिक्त सोलर एनर्जी वापस लेने पर उपभोक्ता को यह राशि प्रति यूनिट के रूप में देनी होगी। इसका मतलब है तीन किलोवाट के पैनल लगाने वाले हितग्राही को हर महीने 540 रुपए का बिल तो चुकाना ही पड़ेगा। ऐसे में फिक्स चार्ज की वसूली का दबाव लोगों पर बेवजह पड़ रहा है और वे सोलर पैनल लगाने से दूरी बना रहे हैं। अब तक पीएम सूर्य घर योजना के अंतर्गत प्रदेश में 700 लोगों ने ही रुचि दिखाई है। जबकि शुरूआत में योजना के आकर्षण के चलते तीन लाख से ज्यादा लोगों ने पोर्टल पर पंजीयन कराया था, लेकिन अब वे ही योजना के तहत सोलर पैनल नहीं लगवाना चाहते। वहीं गुजरात में सोलर पैनल लगवाने वाले हाउस होल्ड की संख्या 5 हजार और महाराष्ट्र में हितग्राहियों का आंकड़ा साढ़े 3 हजार से ऊपर पहुंच गया है।
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