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प्रशासनिक कामकाज में एक कहावत बहुत मशहूर है - मक्खी टू मक्खी फोटोकॉपी… इस बार कहावत को चरितार्थ किया है मप्र पुलिस ने। मामला सतना का है, जहां से एसपी आशुतोष गुप्ता ने मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रखकर गर्भवती महिला पुलिसकर्मियों को फिजिकल ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। इन महिलाओं के निवेदन करने के बाद भी नियमों का हवाला दिया गया, जिसके चलते ये महिलाएं सतना से 700 किलोमीटर दूर इंदौर ट्रेनिंग के लिए पहुंच गईं। चलिए, लाड़ली बहना के प्रदेश में जेंडर सेंसिटिविटी की कैसे धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जानते हैं इस खबर में…
भौंरी और इंदौर में हैं महिलाओं का पुलिस ट्रेनिंग सेंटर
बता दें कि प्रदेश में नवनियुक्त महिला पुलिस कर्मियों की नौ माह की फिजिकल ट्रेनिंग का प्रावधान है। इसके लिए भौंरी और इंदौर में ट्रेनिंग स्कूल हैं। मामला सतना की नवनियुक्त महिला पुलिसकर्मियों का है, जिनको नौ महीने की ट्रेनिंग के लिए इंदौर जाना था। इन्हीं पुलिस कर्मियों में से दो महिलाएं 8 और 6 माह से गर्भवती थीं, जो अपनी गर्भावस्था के चलते फिजिकल ट्रेनिंग करने में असमर्थ थीं।
दोनों ही बेहद गरीब परिवारों से हैं। इनमें से एक के पिता मजदूर हैं, तो दूसरे के किसान। अपनी स्थिति का हवाला देते हुए, इन्होंने एसपी आशुतोष गुप्ता से फिलहाल ट्रेनिंग न भेजने का आग्रह भी किया, मगर आवेदन को ठुकराते हुए नियम-कायदों का हवाला दिया गया और तर्क दिया गया कि इस संबंध में PHQ की ओर से कोई लिखित निर्देश नहीं हैं। सभी को प्रशिक्षण के लिए भेजना ही निर्देश है। साथ ही कहा गया कि डॉक्टर ने दोनों के लिए FIT FOR DUTY लिखा है। ऐसे में ट्रेनिंग पर तो जाना ही होगा।
और दे दी आमद…
ट्रेनिंग से छूट न मिलने पर दोनों गर्भवती महिला पुलिसकर्मियों को मजबूरी में इंदौर के ट्रेनिंग सेंटर पर आमद देना पड़ी। इस मामले में महिला पुलिसकर्मियों पुलिस मुख्यालय में भी इसको लेकर गुहार लगाई थी। DGP कैलाश मकवाना ने इस मामले तुरंत पुलिस ट्रेनिंग के एडीजी राजाबाबू से बात की। इसके बाद एडीजी राजाबाबू ने तत्काल संज्ञान लिया और सतना एसपी आशुतोष गुप्ता से नाराजगी जताई। एडीजी राजाबाबू ने एसपी से कहा अगर नियम नहीं भी हैं, तो ऐसी स्थिति में मानवीयता और जेंडर सेंसिटिविटी दिखाई जा सकती थी। अगर नियम नहीं हैं तो वरिष्ठ अफसरों से मार्गदर्शन भी लिया जा सकता था। बहरहाल, दोनों महिलाओं को फिजिकल ट्रेनिंग से मुक्त कर दिया गया है और वे अपने घर लौट गईं हैं।
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बड़ा सवाल, लाड़ली के प्रदेश में ऐसी निष्ठुरता…
ये पूरी कहानी प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी पर सवाल खड़े करती है। महिलाओं को लेकर बरती जाने वाली निष्ठुरता को भी उजागर करती है। बड़ा सवाल यह भी है कि जिस प्रदेश की सरकार लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजना चलाती है, वहां के सरकारी अमलों में महिलाओं को लेकर संवेदनशीलता कहां चली जाती है? एडीजी राजाबाबू का कहना है कि वे जल्द ही इस मामले में प्रदेश के सभी एसपी को पत्र लिखेंगे कि उनके जिले में जेंडर सेंसिटिविटी का ध्यान रखा जाए।
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