MP News: मध्य प्रदेश में तत्कालीन शिवराज सरकार के दौरान हुए ग्रामीण आजीविका मिशन (Rural Livelihood Mission) और पूरक पोषण आहार (Supplementary Nutrition Scheme) घोटाले अब मोहन सरकार के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। हालांकि इन मामलों में जांच तो शुरू की गई, पर किसी भी अधिकारी के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। गलत आंकड़े प्रस्तुत करक सौभाग्य योजना में केंद्र सरकार से पुरस्कार तक ले लिया। अब देखना होगा की CM मोहन यादव इन मामलों को किस तरह से सुलझाते हैं।
ग्रामीण आजीविका मिशन में नियुक्तियां
तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलएम बेलवाल ने तत्कालीन मंत्री गोपाल भार्गव के निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए नियुक्तियों में मनमानी की। हाईकोर्ट में मामला गया, तीन बार जांच हुई, गड़बड़ियों की पुष्टि भी हुई। फिर भी अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की शह के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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जांच से ये बातें आईं सामने
- तीन जांच रिपोर्टों में गड़बड़ियों की पुष्टि
- अब तक कोई विभागीय दंड या निलंबन नहीं
- मामला नौ वर्षों से लंबित
पूरक पोषण आहार घोटाला: CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में पता चला कि टेक होम राशन का परिवहन ट्रकों की जगह मोटरसाइकिल, कार और ऑटो से दिखाया गया।
- 62.72 करोड़ रुपए का पोषण आहार न गोदाम में मिला, न ट्रांसपोर्ट रिकॉर्ड में।बिजली और कच्चे माल की खपत में अंतर दिखाकर 58 करोड़ रुपए का फर्जी उत्पादन बताया गया।
- मुख्य सचिव से महालेखाकर ने कहा कि दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए स्वतंत्र एजेंसी से जांच करायी जाए लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। एमपी एग्रो की भूमिका भी सवालों के घेरे में है क्योंकि पोषण आहार निर्माण संयंत्रों की निगरानी इसी के पास थी।
राजनीतिक संरक्षण
इन घोटालों में जो अधिकारी संलिप्त बताए जा रहे हैं, वे पहले मुख्यमंत्री कार्यालय में भी तैनात रहे। यह तथ्य इन पर कार्रवाई न होने के पीछे एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
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