मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने संविदा पर हायर किए जा रहे वोकेशनल ट्रेनर्स की नियुक्ति पर स्थगन आदेश दिया है। अब पुराने वोकेशनल ट्रेनर्स को हटाकर हाई स्कूल में भर्ती किए जा रहे नए संविदा वोकेशनल ट्रेनर्स की भर्ती पर रोक लग गई है। टीकमगढ़ के पुष्पेंद्र खरे सहित अन्य 10 वोकेशनल ट्रेनर्स ने उन्हें पद से हटाकर नए संविदा ट्रेनर्स को भर्ती करने के आदेश को चुनौती दी थी। सोमवार, 5 अगस्त को जस्टिस विवेक जैन की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने आदेश दिया कि पहले दायर याचिका की अंतरिम राहत इन वोकेशनल ट्रेनर्स को भी मिलेगी। इस याचिका की सुनवाई भी पहले वाले मामले के साथ होगी।
पिछली याचिका में मिली थी राहत
आपको बता दें कि 8 जुलाई 2024 को नताशा खान सहित 151 वोकेशनल ट्रेनर्स ने याचिका दायर की थी, जिसमें जस्टिस संजय द्विवेदी ने 30 जुलाई 2024 को आदेश देते हुए कहा था कि मामले की सुनवाई तक किसी भी नई सिलेक्टेड वोकेशनल ट्रेनर को भर्ती करने ऑर्डर नहीं दिया जाएगा।
फिर दोबारा परीक्षा की जरूरत क्यों?
वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर का कहना है कि नए वोकेशनल ट्रेनर्स के लिए राज्य का विज्ञापन पिछले न्यायिक आदेशों के विपरीत है। उन्होंने 2021 की एक याचिका में हाईकोर्ट की खंडपीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसमें अदालत ने राज्य के वकील की ओर से पेश "वचनपत्र" के आधार पर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की थी। उन्होंने कहा, हाईकोर्ट ने अपने 2021 के फैसले में कहा था कि याचिकाकर्ताओं को अपेक्षित योग्यता के साथ फिट पाए जाने पर दोबारा किसी परीक्षा से गुजरने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
पुराने ट्रेनर्स के लिए रियायत की मांग
याचिकाकर्ता 10 वर्षों से काम कर रहे हैं। अब सरकार नए ट्रेनर्स को भर्ती कर रही है। विज्ञापन के चलते काम कर रहे ट्रेनर्स को नए सिरे से पूरी प्रक्रिया यानी परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना होगा। वर्ष 2021 में भी इस तरह की याचिका लगाई गई थी, जिसमें यह अभिवचन था कि याचिकाकर्ताओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से नई चयन प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होगी।