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मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था का ढांचा बुरी तरह से जर्जर हो चुका है, और यह स्थिति बच्चों के जीवन के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है। सरकारी स्कूलों के भवनों की हालत इतनी खस्ताहाल हो गई है कि हर हफ्ते कहीं न कहीं छत गिरी या प्लास्टर गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
हालात इतने भयावह हैं कि हाल ही में राजस्थान में हुए हादसों के बाद अभिभावकों में भय का माहौल बना हुआ है। राज्य में शिक्षा का बुनियादी ढांचा, जो कभी मजबूत था। अब अपनी जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है और इस पर जल्द से जल्द ध्यान देने की जरूरत है।
🏚️ जर्जर भवनों की तादाद बढ़ी
मध्य प्रदेश सरकार (mp school education) ने आगामी 2025-26 के बजट में स्कूली शिक्षा के लिए 36,582 करोड़ रुपए का आवंटन किया है लेकिन यह बजट जर्जर भवनों की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं दिखाई दे रहा है।
राज्य में कुल 92,439 goverment school हैं, जिनमें से 5,600 भवनों को सरकार खुद जर्जर मानती है। इसके अलावा, 81,568 कक्षाओं की स्थिति भी खस्ता है।
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विधानसभा में इस बात को स्वीकार किया है कि कई स्कूलों की हालत अत्यधिक खतरनाक हो चुकी है।
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⚠️ अति जर्जर भवनों की स्थिति
एमपी में जर्जर भवनों का सर्वे किया गया । राज्य में 221 भवन ऐसे हैं, जिन्हें अति जर्जर माना गया है। इनमें से अधिकांश भवन 1986 से 1996 के बीच बने थे और अब पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुके हैं।
ये भवन छात्रों के लिए जीवन-धातक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, 67,034 स्कूलों में फर्नीचर की कमी है, 15,651 स्कूलों में बिजली नहीं है, और 61,068 स्कूलों में हेडमास्टर के लिए एक रूम तक नहीं है।
🚽 शौचालय की स्थिति
हर एक 2,787 स्कूलों में बालिका शौचालय का अभाव है, जबकि 9,883 स्कूलों में महिला शौचालय बंद पड़े हुए हैं। यही नहीं, 11,390 स्कूलों में लड़कों के शौचालय भी बंद हैं।
इस स्थिति ने बच्चों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को एक गंभीर चुनौती में डाल दिया है।
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🏫 भोपाल जिले की चिंताजनक स्थिति
भोपाल जिले में भी स्कूलों की स्थिति जर्जर है। यहां 120 स्कूलों में बिजली नहीं है, 44 स्कूलों में बालिका शौचालय की सुविधा नहीं है, और 46 स्कूलों में फर्नीचर की कमी है।
हाल ही में, भोपाल जिले में 6 स्थानों पर हादसों की घटनाएं हुई हैं, जिसमें छात्रों की जान को खतरा हुआ है।
🚧 हादसों का सिलसिला
15 जुलाई को सतना में एक 10वीं कक्षा की छात्रा के सिर पर प्लास्टर गिरा, जिससे वह घायल हो गई। कक्षा में 38 छात्र थे। 9 जुलाई को पटासी गांव, शहडोल में बारिश के बाद दीवार और प्लास्टर गिरने से कई छात्र खतरे में आ गए थे।
वहीं, 19 जुलाई को भोपाल के बरखेड़ा पठानी के पीएमश्री स्कूल में भी प्लास्टर गिरने से दो छात्राएं घायल हुईं, जबकि पहले से इस बारे में शिकायत दर्ज की गई थी। 26 जुलाई को शहडोल में एक और हादसा हुआ जब स्कूल की छत का हिस्सा गिर गया, जिसमें 33 बच्चे कमरे में थे।
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🛠️ सरकार की अनदेखी
वर्तमान में, सरकार ने इन एमपी (MP News) में जर्जर भवनों का सर्वे और मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। बजट में आवंटित राशि का एक बड़ा हिस्सा बच्चों की सुरक्षा और स्कूलों के बुनियादी ढांचे को सुधारने पर खर्च होने की जरूरत है।
अगर जल्दी ही इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है, और छात्रों की जान का खतरा बढ़ता जाएगा।
मध्य प्रदेश शिक्षा विभाग के स्कूलों में जारी यह संकट सरकार की लापरवाही का परिणाम है। बच्चों के जीवन को सुरक्षित करने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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