शहरी क्षेत्रों को नियोजित करने रिडेंसीफिकेशन पर अब छोटे शहरों में भी काम होगा। अब तक प्रदेश की राजधानी सहित बड़े शहरों को ही इसमें शामिल किया गया था। करोड़ों रुपए की लागत के इन प्रोजेक्ट्स पर सरकार को एक धैला भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। अब सरकार ने प्रदेश के 25 जिलों में योजना के विस्तार की प्लानिंग कर ली है। यानी अब इन जिला मुख्यालय और छोटे शहरों में भी खाली पड़ी सरकारी जमीन, पुराने-जर्जर भवनों को तोड़कर उन्हें नए सिरे से उपयोगी बनाया जाएगा। इस जगहों पर नए सरकारी भवन और कमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाए जाएंगे। इसके तहत इनमें से कई जगहों के लिए प्लानिंग की जा रही है तो कुछ स्थानों पर टेंडर भी जारी करने का काम शुरू हो गया है।
रिडेंसीफिकेशन के जरिए व्यवस्थित होंगे शहर
बढ़ते शहरों के नियोजन और अनुपयोगी भवन और सरकारी जमीनों को व्यवस्थित करने सरकार इस स्कीम को वहां भी लागू करेगी। अभी तक योजना भोपाल, इंदौर, ग्वालियर में ही काम कर रही थी। लेकिन अब इसमें प्रदेश के 25 जिलों को शामिल किया गया है। नए जोड़े गए शहरों में जबलपुर, कटनी, शिवपुरी, पन्ना, मऊगंज, मैहर, बुरहानपुर, सीधी, सिवनी, झाबुआ, दमोह, मंदसौर, छतरपुर, बैतूल, रतलाम प्रमुख हैं। इन जिलों के दूसरे शहरों में भी रिडेंसीफिकेशन पर काम होगा। इन शहरों में दशकों पुराने जर्जर सरकारी भवनों के अलावा काफी जमीन भी अनुपयोगी पड़ी है। इसका जिम्मा एमपीएचआईडीबी यानी मप्र हाउसिंह एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट बोर्ड के साथ ही दूसरी सरकारी एजेंसियों को सौंपा गया है।
कमर्शियल-हाउसिंग प्रोजेक्ट पर होगा काम
सरकार के आदेश पर जिन नए जिला मुख्यालय और शहरों को रिडेंसीफिकेशन में शामिल किया गया है उनमें हाउसिंग और कमर्शियल प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होगा। इसके लिए चिन्हित जर्जर सरकारी भवन, पुराने कार्यालय को तोड़ा जाएगा। साथ ही खाली पड़ी सरकारी जमीनों को भी इस काम में लेनी की तैयारी है। मप्र हाउसिंग बोर्ड इन शहरों के लिए अलग से प्लानिंग कर रहा है और कुछ जगहों के लिए तो टेंडर भी बुलाना शुरू कर दिया गया है। सरकार शहर के बीच स्थित केंद्रीय जेल के करीब 30 एकड़ में फैले परिसर में कमर्शियल कम हाउसिंग काम्पलेक्स बनेगा। इसके लिए पुराने केंद्रीय जेल को बाहर शिफ्ट करने नया परिसर तैयार होगा। हाउसिंग बोर्ड ने नई जेल के लिए डीपीआर तैयार कर टेंडर भी लगा दिया है।
जर्जर भवनों के स्थान पर आकार लेंगे नए ऑफिस
योजना में नोडल एजेंसियां पुराने जर्जर भवनों को तोड़कर उन स्थानों पर नए भवन बनाकर शासकीय कार्यालयों के लिए उपलब्ध कराएंगी। भोपाल के अलावा 11 जिलों को नए कलेक्टर, एसपी और एसडीएम कार्यालय मिलेंगे। ऐसे जिलों में पुराने भवनों को सूचीबद्ध कर डीपीआर तैयार कराई जा रही है। रिडेंसीफिकेशन के तहत जबलपुर में 119 करोड़ की लागत से संभागीय कार्यालय के साथ ही कटनी, शिवपुरी, पन्ना, बुरहानपुर, सीधी, सिवनी, झाबुआ, मैहर और नवगठित मऊगंज जिलों में करीब 100 करोड़ की लागत से एसडीएम, आबकारी विभाग के कार्यालय बनेंगे। सागर केंद्रीय जेल के अलावा रतलाम में 100 करोड़ और दमोह, मंदसौर, झाबुआ, छतरपुर और बैतूल में भी 100 करोड़ रुपए से जेल परिसरों का निर्माण होगा। प्रोजेक्ट्स की डीपीआर भी हाउसिंग बोर्ड ने तैयार करा ली है।
सरकारी लागत बचाएगी नई रिडेंसीफिकेशन पॉलिसी
शहरों को सुव्यवस्थित करने लाई गई रिडेंसीफिकेशन योजना करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट में सरकार की लागत को बचाएगी। इसके लिए खाली पड़ी सरकारी जमीन और पुराने भवनों को बिल्डर्स-डेव्लपर्स को सौंपकर विकसित कराएगी। प्रोजेक्ट का पूरा खर्च उठाने के बदले बिल्डर्स या डेव्लपर्स को जमीन का 30 फीसदी तक हिस्सा सौंपा जाएगा। वे इसी जमीन को डेव्लप करके लागत निकालेंगे। रिडेंसीफिकेशन के तहत होने वाले प्रोजेक्ट को पूरा करने सरकार ने एमपीएचआईडीबी के अलावा बीडीए भोपाल, पुलिस हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट बोर्ड को अधिकृत किया है। ये नोडल एजेंसियां नगरीय निकाय सहित किसी भी सरकारी संस्था की अनुपयोगी जमीनों को रिडेंसीफिकेशन के लिए चिन्हित कर सकेंगी। रिडेंसीफिकेशन स्कीम को व्यापक रूप देने के लिए किए गए नीतिगत बदलाव से संबंधित दिशा-निर्देश नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय ने संभागायुक्त, कलेक्टर और स्मार्टसिटी सीइओ को भेज दिए हैं।
इन शहरों में ये होगा काम...
- सागर : केंद्रीय जेल की जमीन पर कमर्शियल-हाउसिंग कॉम्पलेक्स
- रतलाम, दमोह, मंदसौर, झाबुआ, छतरपुर और बैतूल : पुराने भवन तोड़कर जिला जेल परिसर का निर्माण
- कटनी, शिवपुरी, पन्ना, बुरहानपुर, सीधी, सिवनी, झाबुआ, मैहर मऊगंज : पुराने भवनों के स्थान पर एडीएम-एक्साइज ऑफिस
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