भोपाल. मध्य प्रदेश का सांची ब्रांड गुजरात की अमूल डेयरी ( Amul Dairy ) का हो सकता है। मध्य प्रदेश राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ ( Madhya Pradesh State Cooperative Milk Federation एमपीएससीडीएफ ) की ओर से संचालित सांची देश के प्रसिद्ध डेयरी ब्रांडों में से एक है। इसके टेकओवर के लिए अमूल बातचीत कर रहा है।
एमपी में पकड़ जमा रहा अमूल
ज्ञात हो कि सांची फेडरेशन हर दिन एमपी के किसानों से 10 लाख लीटर दूध खरीदता है। यह मात्रा राज्य में उत्पादित कुल दूध का लगभग आधा होने के अनुमान है। अमूल पहले से ही मध्य प्रदेश में एक प्रमुख कॉम्पिटिटर है । अमूल किसानों से लगभग 4 लाख लीटर दूध खरीदता है। अधिकारियों के मुताबिक, सांची के टेकओवर से मध्य प्रदेश के किसानों को बेहतर अवसर मिलेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार एमपी में सांची के लिए गुजरात स्थित अमूल जैसा मॉडल अपनाना चाहती है। अमूल मध्य प्रदेश में अपना आधार बढ़ाने के लिए सांची की मदद करेगा या इसका टेकओवर कर लेगा, इसका फैसला जल्द ही लोकसभा चुनाव के बाद साफ कर दिया जाएगा।
इसलिए पड़ रही मर्जर की जरूरत
2022-23 में जहां अमूल का टर्नओवर 70 हजार करोड़ रुपए था। वहीं, सांची का उस साल 1982 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर था। इसके अलावा, मध्य प्रदेश सरकार को तकनीक और बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए करीब एक दशक तक प्रति वर्ष 1,500 करोड़ रुपए खर्च करने की जरूरत है। इसे देखते हुए शायद एमपी गवर्मेंट में भी अमूल से हाथ मिलाकर साथ साथ काम करने की प्लानिंग कर रही है।
फूंक-फूंक कर कदम रख रही सरकार
एमपी के अधिकारियों का कहना है कि अमूल, सांची ब्रांड को टेकओवर करना चाहता है। हालांकि, सरकार कर्नाटक जैसी अमूल बनाम नंदिनी लड़ाई से सावधान है, जो पिछले साल इसी समय के आसपास विधानसभा चुनावों के दौरान एक चर्चित राजनीतिक मुद्दा बन गया था। एमपी सरकार अमूल बनाम सांची नहीं चाहती। इसलिए सावधानी से कदम बढ़ा रही है। इसी वजह से चुनाव के बाद तक इस फैसले को रोक दिया गया है। हालांकि, इसी साल जनवरी में सीएम मोहन यादव ने अहमदाबाद में सांची और अमूल की संयुक्त बैठक में हिस्सा लिया था।