5 माह से ठप मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

अधिवक्ता विशाल बघेल द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ( Madhya Pradesh High Court ) में दायर याचिका में यह खुलासा हुआ है कि राज्य सूचना आयोग पिछले 5 माह से बिना किसी सूचना आयुक्त के कारण ठप पड़ा है।

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Neel Tiwari
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सूना पड़ा मध्य प्रदेश सूचना आयुक्त का पद
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मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग के साथ  याचिका दायर की गई है । अधिवक्ता विशाल बघेल द्वारा मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ( Madhya Pradesh High Court ) में दायर याचिका में यह खुलासा हुआ है कि राज्य सूचना आयोग पिछले 5 माह से बिना किसी सूचना आयुक्त के कारण ठप पड़ा है। इस मामले में  विशाल बघेल ने कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2023 को होगी।

आरटीआई का जवाब न मिलने पर दायर हुई याचिका

अधिवक्ता विशाल बघेल ने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के तहत जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल में हुए अग्निकांड से संबंधित जांच रिपोर्ट की जानकारी मांगी थी। मंत्रालय द्वारा इस आवेदन पर कोई जानकारी न देने के कारण उन्होंने धारा 19 के तहत प्रथम अपील दायर की लेकिन यह भी अनसुनी ही रही। इसके बाद, बघेल ने 21 सितंबर 2023 को राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की लेकिन आयोग में कोई सूचना आयुक्त न होने के कारण उनकी अपील का निराकरण अब तक नहीं हो सका है।

मध्यप्रदेश में राज्य सूचना आयोग की स्थिति

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के 10 स्वीकृत पद हैं, लेकिन सभी आयुक्तों के सेवानिवृत्त होने के बाद से नए आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गई है। पिछले 3 वर्षों में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 3 बार विज्ञापन जारी कर सूचना आयुक्त के पदों के लिए आवेदन मंगाए गए, लेकिन नियुक्ति नहीं की गई। इस कारण आयोग में हजारों अपीलें लंबित हैं और अपीलकर्ता न्याय पाने के लिए परेशान हो रहे हैं।

राज्य सरकार को जारी हुआ नोटिस

विशाल बघेल की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की जस्टिस विशाल धगत की एकल पीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। सरकार से पूछा गया है कि क्यों अब तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गई और क्यों राज्य सूचना आयोग को निष्क्रियता की स्थिति में छोड़ दिया गया है। 

जल्द नियुक्तियां होने की उम्मीद

याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के पालन में गंभीरता की कमी है। हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप उम्मीद जगाता है कि शायद अब सूचना आयोग में जल्द ही नियुक्ति हो और अपीलार्थियों को न्याय मिल सके।

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