सरकार संवेदनशील फिर भी नहीं सुधरी MP में नदियों की हालत

मध्य प्रदेश को हरा-भरा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने नदियों को जोड़ने के दो बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। सरकार करोड़ रुपए के बजट वाले इन प्रोजेक्ट से नदियों को जोड़ रही है, वहीं 32 से ज्यादा नदी प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं।

author-image
Sanjay Sharma
New Update
Madhya Pradesh Status of plans to revive 32 small rivers

एमपी में ठंडे बस्ते में नदी प्रोजेक्ट। Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00
BHOPAL. मध्य प्रदेश और केंद्र की सरकारें नदियों को जोड़ने की बड़ी और भारी-भरकम की योजनाओं पर काम कर रही है। वहीं मध्य प्रदेश में 32 छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने की योजनाएं अफसरशाही के जाल में उलझकर रह गईं हैं। छोटी नदियों की गंदगी को साफ करके उनमें पानी का प्रवाह बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं वे कहीं आधी-अधूरी हैं, तो कई अब तक धरातल पर ही नहीं उतरी हैं। ये स्थिति तब है जब सरकार से इन नदियों को संवारने के लिए बजट भी जारी किया जा चुका है।
हाल ही में प्रदेश को हरा-भरा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने नदियों को जोड़ने के दो बड़े प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। काली सिंध-पार्वती और चंबल नदियों को जोड़ने से राजस्थान के साथ प्रदेश का मालवा और चंबल को लाभ मिलेगा। वहीं केन-बेतवा लिंक से बुंदेलखंड में हरियाली आएगी। इन दोनों प्रोजेक्ट से लाखों लोगों को पेयजल भी उपलब्ध होगा। जहां सरकार लाखों करोड़ रुपए  के बजट वाले इन प्रोजेक्ट से नदियों को जोड़ रही है, वहीं 32 से ज्यादा नदी प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं।

बजट मिला फिर भी 3 साल से अटके प्रोजेक्ट

प्रदेश सरकार ने तीन साल पहले सूख चुकी और गंदगी की चपेट में आई 32 नदियों को साफ सुथरा बनाने के प्रोजेक्ट तैयार कराए थे। इसके लिए नगरीय और ग्रामीण अंचल से बहने वाली नदियों को चिन्हित किया गया था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत इन नदियों में मिलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट से रिसाइकल करने के लिए प्लांट तैयार किए जाने थे। वहीं सूख चुकी नदियों को आसपास की नदी और जलस्त्रोत से जोड़कर प्रवाह बहाल करने की योजना थी। इन प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने बजट स्वीकृत कर जिम्मेदारी सौंपी लेकिन अब ये प्रोजेक्ट नगरीय निकाय दबाकर बैठ गए हैं।

दो प्रोजेक्ट में तेजी, 19 में 10 फीसदी काम

32 नदियों को दुर्दशा से बाहर निकालने के प्रोजेक्ट के तहत बुदनी, पिछोर, सुनार, बागेड़ी, धसान जैसी नदियों को शामिल किया गया है। इनमें से केवल दो प्रोजेक्ट पर ही काम शुरू हुआ है। तीन साल में पिछोर और बुदनी के पास दो नदियों की सफाई के अलावा घाट निर्माण, पौधरोपण, स्टोन पिचिंग, रेलिंग, वॉक-वे जैसे काम कराए गए हैं, लेकिन ये भी अभी अधूरे ही पड़े हैं। वहीं शाहगंज, सागर, दमोह, धार और अन्य जिलों में नदियों की सफाई के प्रोजेक्ट पर काम ही शुरू नहीं हुआ है। अब तक 32 में से 19 नदी प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ लेकिन इसकी प्रगति 10 फीसदी भी नहीं है।

विधानसभा में भी उठा था मामला

नदियों के उद्धार के लिए प्रदेश सरकार की चिंता के बावजूद अफसरशाही और नगरीय निकायों का रवैया प्रोजेक्ट में रोड़ा बना है। शाहगंज में काम शुरू नहीं हुआ है। सागर से बहने वाली सुनार नदी के लिए 97 लाख रुपए  का बजट स्वीकृत है लेकिन यहां घाट बनाए गए न पौधरोपण और लाइट लगाई गईं। धार जिले में बागेड़ी नदी को संवारने 67 लाख का बजट मिला लेकिन नदी से गंदगी निकालने और पानी रोकने चेक डेम बनाने का काम ही शुरू नहीं हुआ। नदियों की दुर्दशा दूर करने के लिए तीन साल से चल रहे प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़े होने का मामला शीतकालीन सत्र में मध्य प्रदेश विधानसभा में भी उठाया गया था। अब देखना है नदियों के प्रति संवेदनशील सरकार नगरीय निकायों के सुस्त रवैए को कैसे सुधारती है।
मध्य प्रदेश नदी जोड़ो योजना भोपाल न्यूज Bhopal News नदियों में प्रदूषण एमपी न्यूज नदियों की दुर्दशा मध्य प्रदेश सरकार