मध्यप्रदेश के तीसरे सबसे अमीर मूंदड़ा ने नहीं चुकाई 240 करोड़ की देनदारी, अब कैसे बने 3500 करोड़ के मालिक ?

हुरून की सूची में देश में अमीर मूंदड़ा 649वें सबसे अमीर व्यक्ति माने गए हैं। अभी तक की किसी भी रिच लिस्ट में उनका नाम नहीं था। अब अचानक वह इस सूची में मध्यप्रदेश के धनकुबेरों में सीधे तीसरे नंबर पर आ गए हैं।

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Sanjay gupta
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INDORE. हुरून रिच लिस्ट इंडिया (  Hurun Rich List ) में इस बार मध्यप्रदेश से तीसरे पायदान पर चौंकाने वाला नाम आया है। यह नाम उजास एनर्जी के श्यामसुंदर गेंदालाल मूंदड़ा ( Shyam Sundar Gendalal Mundra )  का है। उनकी संपत्ति 3 हजार 500 करोड़ रुपए आंकी गई है। हुरून की सूची में देश में वे 649वें सबसे अमीर व्यक्ति माने गए हैं। अभी तक की किसी भी रिच लिस्ट में उनका नाम नहीं था। अब अचानक वह इस सूची में मध्यप्रदेश के धनकुबेरों में सीधे तीसरे नंबर पर आ गए हैं। इसके लिए मूंदड़ा की उजास कंपनी में कई निवेशकों, बैंकों और कर्मचारियों की राशि डूबी है। अब बड़ा सवाल यही है कि इतना सब होने के बाद भी वे यहां तक कैसे पहुंचे? 

आइए 'द सूत्र' आपको आसान भाषा में बताने जा रहा है कैसे घूमा पहिया...

देनदारी नहीं चुकाई तो कंपनी दिवाला प्रक्रिया में NCLT गई 

उजास को समझने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा। बात वर्ष 2011-12 की है। इस साल उजास एनर्जी शेयर बाजार में लिस्टेड हुई थी। इसके भाव मई 2024 के पहले तक 30-40 रुपए के आसपास रहे। कंपनी पर बैंकों का कर्ज हुआ और लेनदारी बढ़ गई। नतीजा यह हुआ कि कंपनी पर कमाई के मुकाबले देनदारी ज्यादा हो गई। 
दरअसल, इस बीच कंपनी पर करीब 240 करोड़ रुपए की देनदारी हुई, जिसे चुकाने में कंपनी ने असमर्थता जाहिर की। इसके बाद कंपनी पर दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत एनसीएलटी में केस शुरू हुआ। तकनीकी तौर पर उजास एनर्जी बैंक करप्ट हो गई। तब शेयर के भाव भी ढाई रुपए प्रति शेयर नीचे चले गए। इस तरह कंपनी एकदम बैठ गई। 

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इस तरह थी कंपनी पर 240 करोड़ की वसूली डिमांड

अब वसूली के लिए बैंक और अन्य पक्षकारों ने नेशनल कंपन लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया। यहां कंपनी की 240.32 करोड़ रुपए की देनदारी आंकी गई, जो कुछ इस प्रकार है... 
1. सिक्योरर्ड लोन्स (बैंकों का): 144 करोड़ रुपए
2. अनसिक्योरर्ड: 50 लाख रुपए 
3. ऑपरेशनल क्रेडिटर्स यानी कर्मचारी व अन्य: 94.73 करोड़ रुपए अन्य छोटी देनदारी। 

(इसमें मध्यप्रदेश सरकार का वेट, गुजरात सरकार का वेट, पीएफ की भी 89.58 करोड़ रुपए राशि थी।) 

मात्र 69.54 करोड़ रुपए हुए मान्य

एनसीएलटी में हुए रिजोल्यूशन प्रस्ताव में मात्र 69.54 करोड़ रुपए की देनदारी का प्रस्ताव पास हुआ, यानी मात्र 28.94 फीसदी राशि ही देनदारों को देना तय हुआ। इसमें बैंकों को 144 करोड़ के बदले 68.81 करोड़ रुपए यानी 47.75 फीसदी राशि थी। वहीं, अनसिक्योरर्ड लोन 50 लाख का पूरा 50 लाख मान्य यानी 100 फीसदी हुआ। इसके अलावा ऑपरेशनल क्रेडिटर्स मतलब कर्मचारी व अन्य का 94.73 करोड़ में से मात्र 20.54 लाख रुपए यानी 0.21 फीसदी राशि देना मान्य की गई। अब पूरा गुणा गणित के बाद कुल 240 करोड़ की देनदारी के बदले 69.54 करोड़ रुपए की देनदारी मान्य हुई।

फिर मूंदड़ा ने ही यह कंपनी दोबारा ले ली

बैंक, निवेशकों, सरकार के टैक्स, कर्मचारियों के वेतन, पीएफ और अन्य बकाया राशि डूब गई। इसके बाद उजास को खरीदने के लिए चार बोली लगीं। इसमें मूंदड़ा परिवार की भी बोली थी, क्योंकि एनएलएलटी नियम के तहत एमएसएमई कंपनी दिवाला प्रक्रिया में खुद भी बोली लगा सकती है। उनकी 78 करोड़ की बोली सबसे अधिक लगी और उन्होंने कंपनी दोबारा खरीद ली। इस तरह अपनी बकाया राशि 240 करोड़ में से 170 करोड़ रुपए नहीं चुकाने की उन्हें अधिकृत मंजूरी मिल गई और 78 करोड़ में फिर कंपनी अपने पास कर ली। बाकी सब देनदार के हाथ खाली रहे। 

और इस तरह फिर रॉकेट बन गए शेयर 

जब कंपनी का दिवालियापन का केस चल रहा था, तब यानी अप्रैल 2021 में कंपनी के शेयर के भाव 2.37 रुपए तक गए। इसके बाद जैसे ही कंपनी दिवालियापन से बाहर आई और फिर मूंदडा ने खरीदी तो नए सिरे से शेयर के भाव बढ़ने का क्रम शुरू हो गया। शेयर में रॉकेट जैसी गति आई। कंपनी के शेयर अप्रैल-मई 2024 में 43-44 रुपए प्रति शेयर पर पहुंच गए।  यहां से कंपनी ने उड़ान भरी और यह अभी अगस्त 2024 में मात्र 3 माह में 11 गुना बढ़कर  493 रुपए प्रति शेयर हो गए। यानी किसी ने मई में एक लाख के शेयर खरीदे तो वह तीन महीन में 11 लाख रुपए के हो गए। हुआ ना चमत्कार।

शेयर के आपस में खरीदी-बिक्री का नतीजा

ऐसा नहीं है कि बाजार में इनके काफी शेयर हैं। शेयर होल्डिंग को देखें तो मूंदडा परिवार के पास ही कंपनी के करीब 95 फीसदी शेयर हैं और जनता के बीच मात्र 5 फीसदी शेयर हैं। औसतन शेयर में खरीदी-बिक्री केवल 500 शेयर के आसपास ही होती है। इसके बाद भी कम वॉल्यूम में खरीदी- बिक्री से भी शेयर के भाव मई से अगस्त के बीच तीन माह में 11 गुना हुए और यह 43 से 493 रुपए पर पहुंच गए। इसी कारण मूंदड़ा की कंपनी की नेटवर्थ भी एकदम से बढ़ी और 3500 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। 

शेयर को सबसे रिस्क कैटेगरी में रखा है

जानकारों ने इस कंपनी के शेयर के भाव में तेजी को देखते हुए इसे सबसे रिस्की कैटेगरी में रखा है। यानी इसे नहीं खरीदने की सलाह दी जाती है। जो शेयर अप्रैल 2021 में 2.37 रुपए में था, वह अगस्त 2024 में 493 रुपए का हो चुका है और कंपनी एक बार दिवाला समाधान प्रक्रिया में जा चुकी है।

उजास कंपनी में अभी यह बोर्ड में

श्याम सुंदर मूंदड़ा- चेयरमैन व एमडी
विकल्प मूंदड़ा- ज्वाइंट एमडी व प्रमोटर
अनुराग मूंदड़ा- ज्वाइंट एमडी व  प्रमोटर
यामिनी करमरकर- इंडिंपेंडेंट डायरेक्टर 
प्रकाश दांडेकर- इंडिपेंडेंट डायरेक्टर 
बाबू बबेल- एडवाइजर
पीयूष सिन्हा- इंडिपेंडेंट डायरेक्टर 

अनुराग मूंदड़ा से 'द सूत्र' की सीधी बात...

सवाल: उजास दिवालिया होने के बाद फिर से खड़ी हुई, रिच लिस्ट में आ गए?

मूंदड़ा: दिवालिया घोषित नहीं हुई थी, देनदारी के इश्यू और समस्याओं के चलते एनसीएलटी में गए थे। कंपनी का केस सीओसी, एनसीएलटी, एनसीएलएटी और सुप्रीम कोर्ट में सीजीआई की बेंच तक गया। कंपनी सभी जगह कसौटी पर खरी उतरी है। 

सवाल: आप ने फिर से कंपनी खरीदी?

मूंदड़ा: एमएसएमई कंपनी को फिर से बोली लगाने का अधिकार होता है। हमारे अलावा तीन अन्य ने बोली लगाई, लेकिन हमारी सबसे ज्यादा थी। वैसे भी जो एनसीएलटी का सेटलमेंट का औसत प्रतिशत है, उसमें यह टॉप टेन में है। सभी कुछ प्रक्रिया से हुआ।

सवाल: बाकी बकायादार तो रह गए, उनकी राशि डूब गई?

मूंदड़ा: कंपनी कोविड, जीएसटी इश्यू व अन्य मामलों के कारण समस्याओं में आई थी। एनसीएलटी के प्रावधान ही हैं कि कंपनियों को इन मुश्किलों का समाधान करना। जो हुआ, नियमों से हुआ।

सवाल: फिर शेयर एकदम से कैसे बढ़ गए?

मूंदड़ा: शेयर बाजार को लेकर प्रमोटर को कुछ भी कहने का अधिकार नहीं है, इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता, सेबी पूरी नजर रखता है। सब कुछ बाजार से ही रहा है। 

मनीष डबकरा शेयर बाजार में घट-बढ़ का सबसे बड़ा उदाहरण 

EKI एनर्जी के मनीष डबकरा इस खेल का मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा उदाहरण हैं। वह तीन साल पहले अचाकन हुरून सूची में शामिल हुए और उनकी संपत्ति लगातार बढ़ती चली गई। इस बार सूची से वे बाहर हो गए। उनका भी खेल शेयर बाजार का था। उनके शुरुआती समय में शेयर प्राइज अप्रैल 2021 में मात्र 40 रुपए प्रति शेयर थी, फिर यह जनवरी 2022 में केवल नौ माह में 3114 रुपए हो गई, यानी 78 गुना बढ़ोतरी हुई। ऐसे समझें कि एक लाख के शेयर लिए तो वह नौ माह में 78 लाख रुपए के हो गए।

आज की स्थिति अगस्त 2024 में यह 332 रुपए प्रति शेयर के भाव पर है। इसके चलते उनकी नेटवर्थ घट गई और वह अमीरों की सूची में बाहर हैं। उनका भी यही पैटर्न था, शेयर में अधिकतम होल्डिंग उन्हीं की थी, आपस में ही शेयर खरीदी-बिक्री कर यह भाव बढ़ाए और फिर बाद में फुग्गा फूटा। ऑडिट ने भी कई तरह की आपत्तियां उनकी कंपनी पर लगाई थीं और आज उनकी बाजार हालत सबके सामने हैं। यही खेल अब उजास एनर्जी में जारी है। 

शेयर बाजार से होता है अमीर बनने का सिलसिला

इस लिस्ट में शामिल कई अमीरों का लिस्ट में ऊपर या नीचे जाना शेयर बाजार पर ज्यादा निर्भर है। 

1. दिलीप बिल्डकॉन के दिलीप सूर्यवंशी की बीते साल संपत्ति 2600 करोड़ थी और अब यह 3800 करोड़ रुपए है। क्योंकि शेयर भाव अक्टूबर 2021 में 696 रुपए से मार्च 2023 में गिरकर 168 रुपए हो गए थे और अब अगस्त 2024 में यह 558 पर आ गए। शेयर में तेजी से उनकी संपत्ति में इजाफा हुआ है।

2. राजरतन ग्लोबल वायर के सुनील चौरडिया की संपत्ति बीते साल 2700 करोड़ थी जो अब 2100 करोड़ पर आ गई। क्योंकि शेयर भाव सितंबर 2022 में अधिकतम 1291 रुपए थे अब अगस्त 2024 में घटकर 596 पर आ चुके हैं। 

3. शक्ति पंप के दिनेश पाटीदार 3400 करोड़ और सुनील पाटीदार 1200 करोड़ रुपए के साथ इस सूची में शामिल है, क्योंकि पहले इनके शेयर के भडाव दिसंबर 2022 में 408 रुपए पर टिके थे जो अब अगस्त 2024 में 4323 रुपए प्रति शेयर पर आ चुके हैं। 

4. मनीष डबकरा इस सूची में बाहर हुए क्योंकि बीते साल इनकी संपत्ति 1000 करोड़ रुपए थी, शेयर भाव अप्रैल 2021 में 40 रुपए तो जनवरी 2022 में 3114 रुपए हुए और अब अगस्त 2024 में केवल 332 रुपए प्रति शेयर का भाव है।

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