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BHOPAL. धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत मध्य प्रदेश सरकार जनजातीय समुदाय को तरक्की के मौके उपलब्ध करा रही है। इसी कड़ी में टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड (Tourism Development Board) ने नए प्रस्ताव तैयार किए हैं। ये प्रस्ताव दूसरे प्रदेशों से आने वाले सैलानियों के ठहरने की व्यवस्था से जुड़े हैं। प्रदेश में पर्यटकों में हो रहे इजाफे के आधार पर आदिवासी अंचल के दो जिलों के लिए प्रस्ताव बनाए हैं। सरकार से स्वीकृति मिलने पर बोर्ड अनूपपुर और डिंडौरी जिलों में होम स्टे (home stay) तैयार कराएगा। यही होम स्टे आदिवासी परिवारों की आय का जरिया बनेंगे तो बाहर से आने वाले टूरिस्ट अंचल में सैर सपाटे के बाद वहां रुक भी पाएंगे।
डिंडौरी-अनूपपुर में बनेंगे 260 होम स्टे
केंद्र और प्रदेश सरकार धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान को लेकर गंभीरता दिखा रही है। इसी के चलते विभिन्न विभागों को जनजातीय समुदाय के लोगों के उत्थान और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रस्ताव करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार की पहल पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, जनजातीय कार्य सहित 18 विभाग भी आदिवासी अंचल में विकास कार्यों का खाका खींच रहे हैं। प्रदेश के वन और आदिवासी अंचल में पर्यटन की नई संभावनाओं को देखते हुए टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने नए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजे हैं।
फिलहाल ये प्रस्ताव नर्मदा नदी के तट पर स्थित आदिवासी अंचल के अनूपपुर और डिंडौरी जिलों के लिए हैं। बोर्ड इन जिलों के चिन्हित गांवों में होम स्टे तैयार कराएगा। इसके लिए गांवों का चयन भी कर लिया गया है। ये होम स्टे बाहर से आने वाले सैलानियों को वन क्षेत्र में ही ठहरने का ठिकाना बनेंगे। ये होम स्टे ही आदिवासी समुदाय की आमदनी का मजबूत जरिया भी बनेंगे।
टूरिज्म बोर्ड का तैयार किया प्रस्ताव
मध्य प्रदेश टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड ने जिन दो जिलों के गांवों का चयन होम स्टे के लिए किया है उनमें डिंडौरी और अनूपपुर शामिल हैं। पहले फेज में इन दोनों जिलों के 26 गांवों में 260 होम स्टे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। यानी हर चिन्हित गांव में दस-दस होम स्टे प्रस्तावित हैं। ये गांव आदिवासी अंचल में स्थित होने के साथ पर्यटकों की आवाजाही से भी कनेक्ट हैं। यानी ये गांव बांधवगढ़, अमरकंटक जैसे पर्यटन स्थलों के आसपास स्थित हैं। इस अंचल में आने वाले सैलानी यदि रुका चाहें तो उन्हें कस्बों में या फिर वन विभाग के विश्रामगृह ही उपलब्ध हो पाते हैं। पर्यटन विभाग के रिसोर्ट भी हैं, लेकिन यहां ठहरने के लिए कॉटेज सीमित संख्या में हैं। इस वजह से या तो सैलानियों को बार-बार जंगल से बाहर कई किमी दूर आना पड़ता है। लेकिन वनांचल में होम स्टे उपलब्ध होने पर सैलानियों को इन दोनों दिक्कतों से निजात मिल जाएगी।
जनजातीय लोगों को मजबूती देंगे होम स्टे
होम स्टे तैयार करने उन गांवों का चयन किया गया है जहां 500 से ज्यादा आबादी है। इस श्रेणी के 26 गांवों में 260 होम स्टे बनाए जाएंगे। इसके लिए सरकार आदिवासी परिवारों को अपने घरों को होम स्टे में बदलने 5 लाख का अनुदान भी मुहैया कराएगी। इन होम स्टे के रखरखाव और यहां ठहरने वाले सैलानियों की भोजन, रात्रि विश्राम जैसी सुविधा उपलब्ध कराने का जिम्मा आदिवासी परिवारों के पास होगा। इससे मिलने वाली राशि आदिवासी परिवारों को आर्थिक मजबूती देगी। जनजातीय परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाने कौशल विकास, उद्यमिता संवर्धन और स्वरोजगार के अवसर तलाशे जा रहे हैं। ये प्रस्ताव भी इसी का हिस्सा है। टूरिज्म बोर्ड ने प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया है। इस पर जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
मिलेगी वनवासी संस्कृति की झलक
टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड के होम स्टे प्रस्ताव से प्रदेश के वन क्षेत्रों में सैर सपाटा करने आने वाले सैलानियों को फायदा मिलेगा। अब तक ऐसे सैलानी मुख्य रूप से टाइगर रिजर्व, अभयारण्य में भ्रमण कर केवल पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के बारे में ही जान पाते थे। होम स्टे शुरू होने पर वे जनजातीय लोगों के बीच भी ठहर पाएंगे। यहां उन्हें आदिवासी समुदाय की संस्कृति, उनकी दिनचर्या, कला और खानपान देखने और समझने का अवसर मिलेगा। यानी वे हमारे जनजातीय इतिहास ओर उनके सांस्कृतिक वैभव को भी देख पाएंगे। होम स्टे को सैलानियों के बीच आकर्षक बनाने के लिए भी टूरिज्म बोर्ड कई गतिविधियों को इससे जोड़ेगे। इस वजह से ज्यादा से ज्यादा पर्यटक होम स्टे में ठहरने पहुंचेंगे।
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