BHOPAL. उद्योगों को विस्तार दे रही मध्यप्रदेश सरकार अब पेट्रोलियम भंडार खोजने की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। अगले माह प्रदेश में होने वाले इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में पेट्रोलियम पदार्थों (petroleum products ) के खनन-शोधन पर काम करने वाली निजी और सरकार की कंपनियों को भी बुलाया गया है। उन क्षेत्रों को भी चिन्हित किया जा रहा है जहां ट्यूबवेल या कुओं से ज्वलनशील गैस के रिसाव के मामले सामने आते रहे हैं। सरकार भूमिगत गैस और पेट्रोलियम पदार्थ खोजकर इस क्षेत्र में भी औद्योगिक पहल करने पर विचार कर रही है। सीएम ने दो दिन पहले ही खनिज विभाग को निर्देशित किया है, जिसके बाद अफसर जानकारी जुटाने रहे हैं। ओएनजीसी द्वारा बुंदेलखंड के जिलों में पेट्रोलियम की उपलब्धता पर किए गए सर्वेक्षण को भी अफसरों द्वारा खंगाला जा रहा है।
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इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव के लिए नए प्रस्तावों की तैयारी
ग्वालियर में पिछले महीने हुए इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव ( Industrial Conclave ) के बाद अक्टूबर माह में सागर में एक और कॉन्क्लेव होने जा रहा है। सरकार ने इसके लिए 14 और 15 अक्टूबर का कार्यक्रम भी तय कर दिया है। कॉन्क्लेव के लिए देश के अलावा विदेश की कंपनियों को भी आमंत्रित किया गया है। सरकार प्रदेश की खनिज, प्राकृतिक संपदा और उद्योगों के विस्तार के अवसरों की झलक दिखाकर आकर्षित करना चाहती है। अब तक हुई इन्वेस्टर्स मीट में परम्परागत उद्योगों, पॉवर, सीमेंट, स्टील के बाद अब कंपनियां वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में भी रुचि दिखा रही हैं। पिछले कॉन्क्लेव में कई कंपनियां इसके लिए आगे आई थीं। प्रदेश में भूमिगत खनिज भंडारों को देखते हुए सरकार पेट्रोलियम पदार्थों की उपलब्धता का पता लगाने में जुट गई है। जहां बीते सालों में नलकूप कुओं से गैसों के रिसाव के मामले सामने आते रहे हैं। सरकार अब भूमिगत गैस और पेट्रोलियम पदार्थों के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं तलाश रही है।
होगी प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम पदार्थों की तलाश
सीएम डॉ.मोहन यादव ( CM Dr. Mohan Yadav ) अब खनिज संपदा पर आधारित उद्योगों के अलावा दूसरे साधनों से नए उद्योगों को बढ़ावा देना चाहते हैं। प्रदेश के बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य क्षेत्र में बीते सालों में भूमिगत गैस के रिसाव और नलकूपों के खनन के दौरान आग भभकने की घटनाओं को सीएम ने संज्ञान में लिया है। सीएम डॉ.मोहन यादव ने खनिज विभाग से ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित कर जानकारी जुटाकर ब्यौरा तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बीते शुक्रवार को सीएम ने खनिज विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में बैठक भी की है। बताया जा रहा है सरकार को चिन्हित क्षेत्रों में सामने आने वाली घटनाओं से यहां भूमिगत गैस के भंडार दबे होने का अनुमान है। बुंदेलखंड, महाकौशल और विंध्य पठार और पहाड़ों से घिरे अंचल हैं। इस वजह से भी यहां पेट्रोलियम पदार्थों की मौजूदगी की संभावना बीते दो दशकों से जताई जाती रही है। हांलाकि इसको लेकर ठोस प्रयास अब तक नहीं किए गए हैं।
सर्वे के बाद ठंडे बस्ते में चला गया था प्रोजेक्ट
1. बुंदेलखंड अंचल में जमीन से ज्वलनशील गैसों के रिसाव के सबसे ज्यादा मामले सामने आते रहे हैं। इसी साल यानी 2024 में सागर- दमोह रोड पर गढ़ाकोटा के नजदीक एक गांव के नलकूप से गैस रिसने की घटना सामने आई थी। इसी साल मई माह में पन्ना जिले में रैपुरा के बगरौंड में पीएचई द्वारा नलकूप खनन कराने के दौरान बोर से गैस का रिसाव होने से आग लग गई थी। नलकूप करीब 640 फीट गहरा था और अचानक ही उससे गैस की गंध आना शुरू हुई और फिर आग भभक उठी थी। इस बोर को प्रशासन ने काफी मशक्कत के बाद बंद कराया था। तहसीलदार ने नलकूप के आसपास आने पर भी रोक लगाई थी। इस नलकूप से गैस रिसने की सूचना ओएनजीसी को भी भेजी गई थी।
2. तीन साल पहले यानी दिसंबर 2021 में सागर जिले के बण्डा के नजदीक कांटी गांव में नलकूप से अचानक गैस रिसने से नजदीक अलाव जलाकर बैठे तीन किसान झुलस गए थे। इस नलकूप से उठ रही लपटें रात भर भभकती रहीं थी। पन्ना के झुमटा में नलकूप से काफी प्रैशर से गैस रिसने से करीब 20 दिन तक आग की लपटें उठती रही थीं। क्षेत्रीय सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी ओएनजीसी को पेट्रोलियम भंडार खोजने पत्र लिखा था। तब ओएनजीसी की टीमें भी इस अंचल में पहुंची थीं और भूमिगत गैसों की प्रकृति को लेकर सर्वे करते हुए प्राथमिक रिपोर्ट भी तैयार की थी। लेकिन पेट्रोलियम भंडार तलाशने के लिए बुंदेलखंड में ठोस प्रयास अब तक नहीं हुए हैं।
औद्योगिक विकास को नई दिशा देगी भूमिगत गैस
प्रदेश के मुखिया के निर्देश के बाद खनिज विभाग ( Department of Minerals ) भूमिगत गैसों के रिसाव की हर जानकारी जुटा रहा है। इसको देखते हुए माना जा रहा है सरकार इसकी उपलब्धता के आधार पर भूमिगत भंडारों का पता लगाने बड़ी प्लानिंग कर रही है। इसके लिए अगले माह होने वाले कॉन्क्लेव में इस क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को प्रस्ताव दिए जा सकते हैं। यानी मध्यप्रदेश दूसरे क्षेत्रों के साथ ही अब भूमिगत गैस, पेट्रोलियम पदार्थों की उपलब्धता को खंगालकर औद्योगिक विस्तार को नई दिशा देने की तैयारी कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश में मीथेन सहित कई गैसों के भंडार हैं। इन गैसों का ईंधन के अलावा औद्योगिक इकाइयों में भी उपयोग होता है। यदि इन गैसों के भंडारों को खोज लिया जाता है तो उद्योग जगत में बड़ा बदलाव आ सकता है। सीएम ने शुक्रवार को हुई बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव डॉ.राजेश राजौरा, पीएस संजय शुक्ला, पीएस मनीष रस्तोगी, पीएस अमित राठौर से भी खनिज संपदा और भूमिगत साधनों पर चर्चा कर प्रस्ताव तैयार करने निर्देश दिए हैं। इसके आधार पर सरकार ओएनजीसी और केंद्रीय पेट्रोलियम कंपनियों के अलावा निजी क्षेत्र की कंपनियों से चर्चा करेगी।
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