जलसंसाधन विभाग की टालमटोल से अटके विधायकों के सवालों के जवाब

मध्य प्रदेश में विभाग और अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं इसका ताजा उदाहरण विधानसभा सचिवालय की एक चिट्ठी ने उजागर कर दिया है। सचिवालय ने यह पत्र जलसंसाधन विभाग को भेजा है। इसमें विधायकों के प्रश्नों का जवाब लंबित होने का हवाला दिया है...

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. सरकार बदले या फिर सीएम का चेहरा, लेकिन प्रदेश में विभागों का रवैया बदलने का नाम ही नहीं ले रहा है। अधिकारियों का रवैया जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए भी जवाबदेही भरा नहीं है। ऐसे में आम जन के प्रति उनके जिम्मेदार होने की स्थिति को समझा जा सकता है।

पिछली विधानसभा में 113 प्रश्नों के जवाब नहीं मिले

प्रदेश में विभाग और अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं इसका ताजा उदाहरण विधानसभा सचिवालय की एक चिट्ठी ने उजागर कर दिया है। सचिवालय ने यह पत्र जलसंसाधन विभाग को भेजा है। इसमें विधानसभा के सत्रों में विधायकों के प्रश्नों का जवाब लंबित होने का हवाला दिया गया है। साथ ही इस पत्र के माध्यम से लंबित प्रश्नों का जवाब जल्द देने भी कहा गया है। विभाग के पास विधायकों के ऐसे 113 प्रश्न हैं जिनका जवाब पिछली विधानसभा से नहीं दिया गया है। 

विभाग की टालमटोल के चलते निरुत्तर मंत्री

जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले विधायक सीधे तौर पर जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं, विभिन्न समस्याओं या अन्य मसलों को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान प्रश्न उठाते हैं। जिनका जवाब विधानसभा के माध्यम से संबंधित विभाग उपलब्ध कराता है। यह जानकारी उपलब्ध कराना विभाग के लिए आवश्यक है। लेकिन पिछली  विधानसभा के दौरान कुछ विभागों द्वारा जानकारी देने में टालमटोल भरा रवैया अपनाया गया। इस वजह से विभागीय मंत्री सदन में विधायकों के इन प्रश्नों का  जवाब भी नहीं दे पाए। ऐसी स्थिति में आश्वासन देकर टाल दिया गया और विभाग को जानकारी जल्द उपलब्ध कराने पत्र भी भेजे गए। बावजूद कुछ विभागों के जवाब के इंतजार में 15वी विधानसभा का कार्यकाल ही समाप्त हो गया।  अब प्रदेश में सोलहवी विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है लेकिन सरकार के गठन के आठ महीने बाद भी इन विभागों ने पिछली विधानसभा के सदस्यों के जवाब नहीं दिए हैं। 

सवा सौ सवालों पर जलसंसाधन विभाग चुप

पंद्रहवी विधानसभा के समय विधायकों ने बड़ी सिंचाई परियोजनाओं, बांध-नहर और इनके लिए किए गए भूमि के अधिगृहण के संबंध में सवाल उठाए थे। सत्र के दौरान लगाए गए इन प्रश्नों में से 113 प्रश्न ऐसे हैं जिनकी जानकारी जल संसाधन विभाग ने अब तक विधानसभा को उपलब्ध ही नहीं कराई है। इस वजह से इन प्रश्नों का उत्तर भी नहीं दिया जा सका। विधानसभा में इस दौरान दो बार सीएम बदले लेकिन जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ही रहे। कई बार स्मरण पत्र लिखने के बाद भी विभाग ने विधानसभा को विधायकों के प्रश्नों की जानकारी नहीं भेजी और टालमटोल करता रहा। ऐसे में प्रश्न उठाने वाले विधानसभा सदस्य यानी कुछ विधायक 2020 में चुनाव हारे और फिर 2023 में चुनाव जीतकर फिर विधानसभा का सदस्य बन गए हैं। इन विधायकों ने अपने लंबित प्रश्नों पर विभाग से फिर जानकारी मांगी है लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस बार भी चुप्पी साधे हैं।

कार्रवाई की जानकारी देने में क्या उलझन

विधायकों ने पिछले कार्यकाल के दौरान पन्ना जिले में बांध फूटने से हुई क्षति पर प्रश्न उठाया था। इस सवाल के माध्यम से ठेकेदार से वसूली और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का ब्यौरा मांगा गया था। तब विभाग ने धसान_केन कछार के मुख्य अभियंता को नोटिस देने और  मामले की जांच चलने की सफाई दी थी। लेकिन फिर विभाग कार्रवाई के बारे में जानकारी नहीं दे पाया। वहीं विधानसभा में शहडोल के ब्योहारी के बिजहा में सिंचाई परियोजना दुधारिया के लिए जमीन अधिगृहण में गड़बड़ी का मामला भी उठाया गया था। इस पर पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला ने किसानों को मुआवजा देने की जानकारी मांगी थी। इसका जवाब अब भी सदन में नहीं आया है। जल संसाधन विभाग ने पुन्ना जिले में बुंदेलखंड पैकेज के तहत बांध और नहरों के निर्माण को लेकर विधायक मुकेश नायक के प्रश्न की जानकारी नहीं दी है। ऐसे ही कई और सवालों के जवाब विधानसभा में अब तक नहीं दिए गए हैं क्योंकि विभाग के अधिकारियों द्वारा जानकारी देने में टालमटोल की जाती रही है।

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