संजय शर्मा @ BHOPAL. हर बार मुश्किल हालातों का सामना करने के बावजूद खरीद केंद्रों पर इंतजाम सुधर नहीं रहे हैं। महीनों तक पसीना बहाने के बाद किसान अपनी उपज की तुलाई के लिए कई-कई दिन कष्ट झेलते हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम करोड़ों रुपए की लागत से खरीदे गए इस अनाज को कैसे बर्बाद कर देता है, यह देखकर आप चौंक जाएंगे। दरअसल, खरीद केंद्रों पर किसानों की उपज की तुलाई से लेकर गोदामों में अनाज के भंडारण की व्यवस्था जैसी दिखती है, वैसी है नहीं। इस व्यवस्था में छेदकर जिम्मेदार अपनी जेबें भर रहे हैं। खरीद केंद्रों पर जमा अनाज बोरों से चुराया जा रहा है। गोदामों तक पहुंचाने से पहले बोरियों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि वजन बढ़ जाए और चोरी का पता न लगे। एक-एक केंद्र से इस तरीके से हजारों क्विटंल अनाज चोरी हो रहा है। पिछले पांच साल में भ्रष्ट अफसर 10 हजार करोड़ रुपए का अनाज सड़ा चुके हैं।
खरीद केंद्र पर सामने आई अनाज चोरी
हाल ही में मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं ( Wheat ) की खरीद का काम पूरा हुआ है। अभी भी कई केंद्रों पर अनाज से भरी बोरियां गोदामों तक पहुंचने का इंतजार कर रही हैं। ऐसे में पिछले दिनों सागर संभाग में खरीदी केंद्रों और कुछ वेयर हाउसों में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज ने जिम्मेदारों की कारगुजारियां उजागर कर दी हैं। सागर के नजदीक सानौधा क्षेत्र के एक खरीदी केंद्र पर दिनदहाड़े गेहूं से भरी बोरियों को पानी से तर करने का वीडियो सामने आया है। केंद्र पर काम करने वाला कर्मचारी इन बोरियों पर पाइप के जरिए पानी का छिड़काव करता दिख रहा है।
बोरियों पर डाला जा रहा है पानी
बोरियों पर जिस तरह पानी डाला जा रहा है, उससे साफ है कि यह गेहूं बहुत दिनों तक गोदामों में सुरक्षित रहने वाला नहीं है। नमी से तर यह गेहूं चंद महीनों में ही सड़ जाएगा यह तय है। समर्थन मूल्य के खरीद केन्द्र पर किसानों से नमी का प्रतिशत जांचने के बाद तुलाई करने वालों के इशारे पर बोरियां पानी से तर क्यों की जा रही हैं, इसका जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं है। इस वीडियो के सामने आने के बाद अब खरीद करने वाली समिति की जांच कराई जा रही है। ऐसे ही भीगे गेहूं की जो बोरियां गोदामों तक पहुंच चुकी हैं, उनका क्या होगा यह बोलने कोई तैयार नहीं है।
क्या सालों-साल सड़ने के लिए रखते हैं गोदामों में अनाज
पिछले साल जबलपुर और भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में गोदामों में हजारों क्विटंल गेहूं और दूसरा अनाज सड़ने के मामले सामने आए थे। बीते पांच वर्षों में जबलपुर जिले में 50 हजार क्विटंल से ज्यादा अनाज गोदामों में रखे-रखे ही सड़ गया था। इस लिहाज से सरकार और खरीदी कराने वाली FCI और दूसरी एजेंसियों को 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था। मामला उछलने पर सरकार के स्तर पर जांच के निर्देश दिए गए, लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई।
नुकसान का गणित देखकर माथा पीट लेंगे आप
वर्ष 2013-14 और 2014-15 में मध्य प्रदेश में गोदामों में जो अनाज सड़ा उसकी कीमत पांच हजार करोड़ से ज्यादा की थी। इसमें चावल जो सरकार 2800 रुपए क्विंटल खरीदती है, के हिसाब से 157 लाख टन यानी 15 करोड़ 70 लाख क्विंटल की कीमत ही चार हजार 396 करोड़ होती है। वहीं गेहूं का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 1700 रुपए होता है। इस हिसाब से 54 लाख टन गेहूं यानी पांच करोड़ 40 लाख क्विंटल गेहूं की कीमत 918 करोड़ रुपए होती है। वर्ष 2016 में प्याज की हुई बंपर पैदावार के बाद भी ऐसा हुआ था। सरकार ने छह रुपए किलो से प्याज खरीदा, लेकिन हजारों टन प्याज गोदामों में ही सड़ गया। प्याज खरीदी में सरकार को 60 करोड़ से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा।