महाकाल मंदिर में कैसे शुरू हुई सशुल्क दर्शन की VIP व्यवस्था, RTI में नहीं बता रहे, हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश

उज्जैन महाकाल में सशुल्क VIP दर्शन व्यवस्था विवादों में है। RTI में आदेश की जानकारी मांगने पर मना कर दिया। अब हाईकोर्ट इंदौर ने इस मामले पर आदेश दिया है।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (The Sootr)

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INDORE. उज्जैन में विश्वप्रसिद्ध भगवान महाकाल के दर्शन के लिए रुपए लेकर वीआईपी दर्शन व्यवस्था आखिर किस आदेश से लागू हुई। इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी तो इसमें भोपाल के पत्र और फिर एडीएम रीडर के पत्र का हवाला दिया गया। इसके बाद जब पत्रों की जानकारी मांगी गई तो इसे देने मना कर दिया। मामला राज्य सूचना आयोग मप्र के पास गया लेकिन वहां सुनवाई ही नहीं हुई। अब हाईकोर्ट इंदौर ने इस पर यह आदेश दिया है। 

हाईकोर्ट ने सूचना आयोग को यह दिए आदेश

इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता संदीप मिश्रा द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई पर इंदौर खंडपीठ द्वारा 17 जुलाई को राज्य सूचना आयोग मध्यप्रदेश को यह आदेश दिया गया की याचिकाकर्ता की अपील पर 60 दिनों के भीतर सुनवाई पूरी करें।

याचिकाकर्ता की दूसरी अपील 21 मई 2024 से सुूचना आयोग में लगी है। याचिकाकर्ता द्वारा शीघ्र सुनवाई के आवेदन के बाद भी उनके प्रकरण को सुनवाई में नहीं रखा गया। याचिकाकर्ता ने आयोग में सुनवाई किए जा रहे प्रकरणों की सूची भी प्रस्तुत कर बताया कि उज्जैन संभाग के वर्ष 2024 के उनके बाद के प्रकरण भी सूचीबद्ध हो रहे है परंतु उनकी अपील को नहीं लगाए जा रहा है। जबकि मध्य प्रदेश राज्य सूचना (फीस एवं अपील) नियम अनुसार 180 दिवस में अपील का निराकरण करना आवश्यक है। विषय की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग को 3 महीने में पूरी सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।

5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर

25 दिसंबर से 5 जनवरी तक महाकाल मंदिर के गर्भगृह में 'नो एंट्री,' मोबाइल भी  बैन | No entry in sanctum sanctorum of Mahakal temple Ujjain mobile also  banned from December 25 to January 5

  • VIP दर्शन व्यवस्था का विवाद: उज्जैन के भगवान महाकाल मंदिर में सशुल्क वीआईपी दर्शन व्यवस्था लागू करने पर विवाद शुरू हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता संदीप मिश्रा ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी, लेकिन प्रशासन ने इसका जवाब नहीं दिया। इसके बाद मामला राज्य सूचना आयोग और हाईकोर्ट तक पहुंचा।

  • हाईकोर्ट का आदेश: इंदौर खंडपीठ ने राज्य सूचना आयोग को आदेश दिया है कि 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता की अपील की सुनवाई पूरी की जाए। याचिकाकर्ता की अपील पिछले एक साल से लंबित थी, इसलिए हाईकोर्ट ने तीन महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

  • सशुल्क दर्शन व्यवस्था पर सवाल: याचिकाकर्ता ने मंदिर प्रशासन द्वारा लागू की गई सशुल्क दर्शन व्यवस्था पर सवाल उठाए। 250, 750 और 1500 रुपए की अलग-अलग वीआईपी दर्शन व्यवस्था को आम भक्तों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया गया।

  • सूचना के अधिकार के तहत जानकारी न मिलना: याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत मंदिर प्रबंध समिति से संबंधित आदेशों और प्रक्रियाओं की जानकारी मांगी, लेकिन यह जानकारी देने से मना कर दिया गया। इसके बाद यह मामला सूचना आयोग में गया, जहां सुनवाई नहीं हुई।

  • मंदिर प्रबंध समिति की जानकारी: मंदिर प्रबंध समिति ने पहले जानकारी दी थी कि 17 नवंबर 2021 को मप्र गृह विभाग के आदेश से पुरानी व्यवस्था रद्द कर नई सशुल्क व्यवस्था लागू की गई थी, जिसमें 1500 रुपए की फीस भी शामिल की गई थी।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क रखे

उज्जैन प्रशासन एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दर्शन व्यवस्था की सशुल्क व्यवस्था लागू की गई है।  शीघ्र दर्शन के 250/ रुपए ,750/- एवं 1500/- VIP व्यवस्था है। इस पर  याचिकाकर्ता द्वारा लिखित आपत्ति लिखकर इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया और  यह मांग की गई कि यह व्यवस्था आम भक्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने जैसा है और उनके धार्मिक स्वतंत्रता एवं समानता के अधिकारों को क्षति पहुंचाने जैसा है इसलिए इस व्यवस्था को रद्द किया जाना चाहिए।

मंदिर प्रबंध समिति ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और जब याचिकाकर्ता ने  सूचना के अधिकार में कुछ जानकारी मांगी गई तथा कुछ प्रशासकीय आदेश मांगे गए इस पर भी जानकारी नहीं दी। इसके बाद सूचना आयोग में अपील की गई, जिसमें एक साल से सुनवाई ही नहीं हुई।

मंदिर प्रबंध समिति ने पहले सूचना के अधिकार में यह बताया था

इसके पहले शुल्क व्यवस्था को लेकर श्री महाकालेशवर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सूचना के अधिकार में जानकारी दी गई थी कि मप्र शासन के गृह विभाग भोपाल के पत्रचार द्वारा 17 नवंबर 2021 को नए आदेश जारी कर पुराने आदेश रद्द हुिए।

एडीएम रीडर से 6 अक्टूबर 2021 और फिर 17 नवंबर 2021 को पत्र जारी हुए। इसके बाद मंदिर प्रबंध समिति की 25 नवंबर 2021 को बैठक हुई और इसमें लिए गए फैसले के तहत 6 दिसंबर 2021 से नई व्यवस्था की गई। इशमें 1500 रुपए की रसीद शुरू हुई।

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