BHOPAL. महादेव सट्टा एप ने केवल छत्तीसगढ़ में ही हंगामा खड़ा नहीं किया, उसकी धमक मध्यप्रदेश में भी रही है। ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले इस एप को लेकर नया खुलासा हुआ है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की मुसीबत बन चुके इस एप पर बुकिंग के लिए सटोरियों द्वारा किसान सम्मान निधि के खातों को भी नहीं बख्शा गया। सट्टा बुकिंग के लिए इन खातों का उपयोग इसलिए किया जा रहा था ताकि पुलिस को भनक न लग जाए। यह खुलासा सागर जिले में पकड़ में आने के बाद छत्तीसगढ़ के सटोरियों ने किया है। भूपेश सरकार के दौरान महीनों तक चर्चा में रहे महादेव सट्टा एप के साथ ही अब लोटस एप पर भी क्रिकेट मैच के लिए सट्टा बुकिंग हो रही है। ऐसे ही सटोरियों को सागर पुलिस ने पकड़ा है।
नौकरीपेशा बनकर करोड़ों की सट्टा बुकिंग करते थे बदमाश
छत्तीसगढ़ के ये सटोरिए सागर में मामूली नौकरीपेशा युवक के रूप में छिपकर रह रहे थे। उनके पास से किसान सम्मान निधि के बैंक खातों की जानकारी पुलिस के हाथ आई है। सट्टा बुकी इन्हीं सम्मान निधि अकाउंट्स का उपयोग सट्टा बुकिंग और अमाउंट ट्रांसफर करने में कर रहे थे। एकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे थे!
पुलिस को चकमा देने सम्मान निधि ले खातों से सट्टा बुकिंग
छत्तीसगढ़िया बुकीज को सागर की मोतीनगर थाना पुलिस ने पकड़ा तो उनके पास 22 मोबाईल फोन, 03 लैपटॉप, 19 पासबुक, 13 चेकबुक, 26 एटीएम रखे मिले। जिनकी पड़ताल करने पर सामने आया की सभी बैंक खाते प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि के लिए खुलवाए गए थे। इन खातों में केवल सम्मान निधि ही ट्रांसफर हुई थी। इसके अलावा सटोरियों ने सट्टा बुकिंग और पेमेंट के लिए खातों का उपयोग किया था। इन बैंक खातों और बुकिंग के डेटा से 1 करोड़ से ज्यादा का सट्टा लेनदेन सामने आया है।
पुलिस खंगाल रही छत्तीसगढ़ी सटोरियों का नेटवर्क
पुलिस अब छत्तीसगढ़ के इन सटोरियों का लोकल लिंक खंगाल रही है। साथ ही इसकी पड़ताल भी की जा रही है की पीएम सम्मान निधि की बैंक पासबुक सटोरियों को कैसे मिली। इनके बदले सटोरिए किसानों को कमीशन देते थे या कोई दूसरा कारण था।
किसानों को झांसा देकर खुलवाए बैंक अकाउंट
हालांकि प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि सटोरियों में पीएम किसान सम्मान निधि दिलाने का लालच लेकर किसानों से आधारकार्ड, फोटो और दूसरे दस्तावेज लेकर खाते खुलवाए थे। पासबुक भी उनके पास ही रहती थी। बदले में दो एक महीने में किसानों के सम्मान निधि आने का कहकर दो दो हजार रुपए देते रहते थे। किसानों के बैंक खाते होने से सामान्य रूप से पुलिस और इनकम टैक्स विभाग इस खातों पर नजर नहीं रखती और सटोरिए इसी का फायदा उठा रहे थे।
सट्टा मार्केट में अब भी महादेव एप की पकड़
सटोरिए एजेंटों के जरिए महादेव और लोटस सट्टा एप की आईडी सट्टा मार्केट में बेचते थे। चर्चा में आने के कारण महादेव सट्टा एप की मार्केट डिमांड अब भी ज्यादा है। छत्तीसगढ़ी सट्टा बुकीज के इस नेटवर्क का सरगना के रूप में सागर के नमक मंडी इलाके में रहने वाला अमन जैन का नाम सामने आया है। अमन खुद इंदौर में बैठकर वहां से सट्टा नेटवर्क पूरे बुंदेलखंड और एमपी में चला रहा था। अमन पुरानी बस खरीदने का काम करने के दौरान छत्तीसगढ़ आता जाता था तभी महादेव सट्टा एप के नेटवर्क से जुड़ा था। इसके बाद कुछ ही साले उसका रहन सहन और आर्थिक हालत बदल गई।
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