चंद्र, बेलपत्र और वैष्णव तिलक से हुआ बाबा महाकाल का अद्भुत श्रृंगार, मंदिर में दिखा आस्था का सैलाब

17 अगस्त को महाकाल मंदिर में हुई बाबा महाकालेश्वर की अद्भुत भस्म आरती। इस दौरान भगवान का चंद्र, बेलपत्र और वैष्णव तिलक से आकर्षक श्रृंगार किया गया।

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Kaushiki
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बाबा महाकालभस्म आरती:विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार, 17 अगस्त को भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमीं तिथि पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह 3 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही 'जय श्री महाकाल' के जयकारों से पूरा परिसर गूंज उठा।

इस विशेष अवसर पर बाबा महाकालेश्वर का अद्भुत और मनमोहक श्रृंगार किया गया, जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। सबसे पहले, भगवान महाकालेश्वर को जल से स्नान कराया गया, जिसके बाद दूध, दही, घी, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत अभिषेक से उनका पूजन किया गया।

यह धार्मिक अनुष्ठान परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है, जो सदियों से चला आ रहा है। इसके बाद बाबा को भस्म से स्नान कराया गया। भस्म आरती में भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आए थे।

बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार

आज उज्जैन के राजा बाबा महाकाल को एक विशेष और अनुपम रूप में सजाया गया। उनका अद्भुत श्रृंगार चंद्र, बेल पत्र और वैष्णव तिलक से किया गया था। भस्म से स्नान के बाद, बाबा को शेषनाग का रजत मुकुट धारण कराया गया, जो उनकी दिव्यता और महिमा को और बढ़ाता है।

इसके साथ ही, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला से उन्हें सजाया गया। फूलों से बनी एक सुगंधित माला भी बाबा के गले में पहनाई गई। यह पुष्प सज्जा विशेष रूप से तैयार की गई थी ताकि भगवान की सुंदरता में चार चांद लग सकें।

बाबा महाकाल को ड्रायफ्रूट्स से भी आकर्षक रूप में सजाया गया। यह श्रृंगार उनके भक्तों के लिए एक दृश्य आनंद था। भक्तों ने इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य महसूस किया।

भस्म आरती और भक्तों का उत्साह

यहां सुबह हुई भस्म आरती में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आरती के दौरान 'हर हर महादेव' और 'जय श्री महाकाल' के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया। आरती के बाद, भक्तों ने नंदी महाराज के दर्शन किए और उनके कान में अपनी मनोकामनाएं बताईं।

यह मान्यता है कि नंदी महाराज (बाबा महाकाल उज्जैन) भक्तों की प्रार्थनाएं सीधे भगवान महाकाल तक पहुंचाते हैं। इस अवसर पर, बाबा महाकाल को फल और मिष्ठान का भोग भी लगाया गया।

भक्तों ने बाबा के जयकारे लगाए, जिससे पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था। यह दृश्य भक्ति, श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम था।

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