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बाबा महाकालभस्म आरती: विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज सोमवार (18 अगस्त) को भाद्रपद कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर तड़के 4 बजे ही मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोले गए।
हमेशा की तरह, सबसे पहले मंदिर के पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देव प्रतिमाओं का पूजन किया और फिर भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया।
इसके बाद, दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से विशेष अभिषेक संपन्न हुआ। इस दिव्य पूजन के दौरान वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हो रहा था, और हर तरफ “जय बाबा महाकाल” के जयकारे गूंज रहे थे।
महाकाल का राजा स्वरूप श्रृंगार
अभिषेक के बाद, भगवान महाकाल का अलौकिक श्रृंगार किया गया। उन्हें भांग, चंदन और त्रिपुंड अर्पित करके जटाधारी राजा स्वरूप में सजाया गया। इस श्रृंगार में भगवान को शेषनाग का रजत मुकुट और चांदी की मुंडमाल भी धारण कराई गई।
साथ ही, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित फूलों की मालाएं भी अर्पित की गईं। मोगरे और गुलाब के फूलों की महक से पूरा मंदिर परिसर महक उठा।
बाबा को फलों और कई तरह के स्वादिष्ट पकवानों का भोग भी लगाया गया। इस मनमोहक श्रृंगार को देखकर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए और अपनी आंखों को उस दिव्य रूप से हटा ही नहीं पा रहे थे।
भस्म आरती और भक्तों का उत्साह
उज्जैन के राजा बाबा महाकाल के श्रृंगार के बाद, ज्योतिर्लिंग को विशेष रूप से कपड़े से ढंककर भस्म अर्पित की गई। यह प्रक्रिया अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। सुबह हुई इस भस्म आरती में शामिल होने के लिए देश-विदेश से सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे थे।
भक्तों ने नंदी महाराज के दर्शन कर उनके कान के समीप जाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद मांगा। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर “जय श्री महाकाल” के जयकारों से गूंज उठा।
यह दृश्य इतना भव्य और आध्यात्मिक था कि जो कोई भी इसका हिस्सा बना, वह खुद को बेहद भाग्यशाली महसूस कर रहा था। उज्जैन मंदिर के पंडितों ने बताया कि सोमवार का दिन भगवान शिव का विशेष दिन होता है और इस दिन भस्म आरती का दर्शन करने से भक्तों को असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।
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Madhya Pradesh | Mahakaal Darshan