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बाबा महाकालभस्म आरती:विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज 21 अगस्त, गुरुवार को भस्म आरती का नजारा बेहद अद्भुत और मनमोहक था। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर बाबा महाकाल (Baba Mahakal) का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसे देखने के लिए तड़के सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा।
मंदिर के कपाट सुबह 4 बजे खोले गए। सबसे पहले, भगवान महाकाल को पारंपरिक रूप से जल से स्नान कराया गया। इसके बाद, दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से बने पंचामृत से उनका अभिषेक किया गया।
यह पंचामृत अभिषेक न केवल एक धार्मिक प्रक्रिया है, बल्कि यह भगवान को शुद्ध और पवित्र करने का एक तरीका भी है। अभिषेक के बाद, मंत्रोच्चार और जयकारों के बीच बाबा का श्रृंगार शुरू हुआ, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
बाबा का अद्भुत श्रृंगार
आज के दिन उज्जैन के बाबा महाकाल का श्रृंगार विशेष था। भस्म चढ़ाने से पहले, उन्हें जटाधारी स्वरूप में सजाया गया। उनके मस्तक पर त्रिपुंड और रजत चंद्र अर्पित किया गया, जो भगवान शिव की पहचान है। इसके साथ ही, भांग और चंदन का लेप भी लगाया गया, जिससे उनकी आभा और भी दिव्य हो गई।
बाबा को राजा स्वरूप में श्रृंगारित किया गया, जिसमें उन्हें रजत मुकुट धारण कराया गया। श्रृंगार के इस अद्भुत क्रम में, भगवान के गले में रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित फूलों की माला पहनाई गई। फूलों की माला में गुलाब के सुगंधित पुष्पों का प्रयोग किया गया था, जिनकी खुशबू से पूरा मंदिर महक उठा।
सबसे खास था उनके मस्तक पर अर्पित किया गया शेषनाग, जो भगवान शिव के गले में नागराज के रूप में हमेशा विराजमान रहते हैं। इस दिव्य श्रृंगार ने बाबा के स्वरूप को और भी भव्य बना दिया।
इन सभी आभूषणों और श्रृंगार सामग्री को धारण कराने के बाद, ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से ढंककर मंत्रोच्चार के साथ भस्म चढ़ाई गई। भस्म अर्पण के बाद, बाबा का श्रृंगार भांग, ड्रायफ्रूट्स, और अन्य आभूषणों से किया गया, जिससे उनका स्वरूप और भी आकर्षक हो गया।
भस्म आरती में उमड़ी भक्तों की भीड़
गुरुवार की सुबह होने वाली भस्म आरती में भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे। अल सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों की लंबी कतारें दर्शन के लिए लगी थीं।
बाबा महाकाल के जयकारों से पूरा मंदिर गुंजायमान हो रहा था। भस्म आरती के दौरान भक्तों में एक अलग ही उत्साह और ऊर्जा देखने को मिली।
हर कोई बाबा के इस दिव्य स्वरूप को अपनी आंखों में बसा लेना चाहता था। भस्म आरती के बाद, भक्तों ने नंदी महाराज के दर्शन किए और उनके कान के पास जाकर अपनी मनोकामनाएं मांगी।
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