राजसी श्रृंगार से सजे बाबा महाकाल, चांदी के त्रिपुंड और फूलों से हुआ श्रृंगार

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार को भगवान महाकाल का भव्य राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। भस्म आरती में भक्तों ने महादेव के अद्भुत दर्शन किए।

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Kaushiki
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उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार (14 अगस्त) को भक्तों को भगवान महाकाल के भव्य और दिव्य दर्शन हुए। ब्रह्म मुहूर्त में होने वाली भस्म आरती में महादेव का अद्भुत श्रृंगार किया गया, जिसमें उन्हें राजा स्वरूप में सजाया गया।

यह विशेष श्रृंगार भक्तों के बीच आस्था का एक नया संचार करता है और उन्हें भगवान के अलौकिक रूप के दर्शन कराता है। इस विशेष दिन, मंदिर में उमड़े हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के निराकार से साकार रूप के दर्शन कर खुद को धन्य महसूस किया।

महाकाल का पंचामृत अभिषेक

गुरुवार तड़के मंदिर के पट खुलते ही सबसे पहले पंडा-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं का विधिवत पूजन किया। इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया।

इस अभिषेक में दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत का उपयोग किया गया, जिससे महाकाल का दिव्य रूप और भी मनमोहक हो गया। अभिषेक के बाद, प्रथम घंटा बजाकर 'हरि ओम' का जल भगवान को अर्पित किया गया।

कपूर आरती के पश्चात, महादेव के मस्तक पर रजत चंद्र और त्रिपुण्ड लगाया गया। उनके जटाधारी स्वरूप को भांग, चंदन और गुलाब के फूलों की माला से सजाया गया।

श्रृंगार में रजत त्रिपुण्ड, बिल्वपत्र, चंदन और मोगरे के पुष्पों का विशेष रूप से उपयोग किया गया, जिससे भगवान का स्वरूप एक राजा के समान प्रतीत हो रहा था।

भस्म से साकार हुए निराकार महादेव

श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से ढका गया और महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस भस्म को अर्पित करने के बाद ही भगवान महाकाल अपने निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। यह क्षण भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे महादेव के इस दिव्य और जीवंत रूप का साक्षात दर्शन करते हैं।

भस्म अर्पित करने के बाद, भगवान का श्रृंगार फिर से भांग, ड्रायफ्रूट, आभूषणों और सुगंधित फूलों से किया गया। उन्हें शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल, रुद्राक्ष की माला और फूलों की माला भी पहनाई गई।

इस संपूर्ण श्रृंगार में गुलाब के सुगंधित पुष्पों का विशेष उपयोग किया गया, जिससे मंदिर का पूरा वातावरण सुगंधित हो उठा। अंत में, भगवान महाकाल को फल और मिष्ठान्न का भोग अर्पित किया गया।

इस दौरान भस्म आरती में शामिल हुए हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुवार के दिन भस्म आरती का यह अद्भुत नजारा भक्तों के मन में एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव छोड़ जाता है।

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