महाकाल मंदिर में कम हुआ भक्तों का सैलाब, पिछले साल से 80 लाख कम

उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर के विस्तार का कार्य तेजी से जारी है। यह परिसर पहले 25 हजार वर्गफीट में फैला हुआ था, लेकिन अब इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर 78 हजार वर्गफीट कर दिया गया है।

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Raj Singh
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उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर के विस्तार का कार्य तेजी से जारी है। यह परिसर पहले 25 हजार वर्गफीट में फैला हुआ था, लेकिन अब इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर 78 हजार वर्गफीट कर दिया गया है। महाकाल महालोक के निर्माण और जीर्णोद्धार कार्यों पर बड़े पैमाने पर धनराशि खर्च की जा रही है। पहले चरण में 351.55 करोड़ रुपए, लोकार्पण से पहले के कार्यों पर 44.32 करोड़ रुपए, और दूसरे चरण में 755.82 करोड़ रुपए का खर्च किया गया है। इस तरह कुल 1 हजार151 करोड़ रुपए की लागत से यह परियोजना आकार ले रही है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार कम श्रद्धालु बाबा के दरबार में आए।

श्रद्धालुओं की संख्या में कमी

महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2023 की तुलना में 2024 के आखिरी पांच महीनों (अगस्त से दिसंबर) में कुछ कम हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, 1 अगस्त से 31 दिसंबर 2023 तक मंदिर में 3 करोड़ 91 लाख 94 हजार 796 श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, 2024 में 1 अगस्त से 22 दिसंबर तक यह संख्या घटकर 3 करोड़ 09 लाख 49 हजार 193 पर आ गई।  

हालांकि, मंदिर प्रशासन का कहना है कि दिसंबर के आखिरी 9 दिनों में करीब 25 लाख श्रद्धालु आने की संभावना है। मंदिर प्रशासक गणेशकुमार धाकड़ के अनुसार, श्रद्धालुओं के लिए नवीनतम तकनीक और सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उनके दर्शन का अनुभव बेहतर हो।  

2023 में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक क्यों रही?

  • अधिकमास का प्रभाव: वर्ष 2023 में श्रावण माह में अधिकमास होने के कारण सावन 59 दिनों का था। इस दौरान 10 शाही सवारियां निकाली गईं, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई।  
  • महालोक का आकर्षण: महाकाल महालोक के पहले चरण का कार्य पूरा होने के बाद श्रद्धालु न केवल ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आए, बल्कि महालोक के भव्य नजारों का आनंद लेने भी पहुंचे।  
  • भस्म आरती में बदलाव: भस्म आरती को ऑनलाइन, ऑफलाइन और चलित स्वरूप में संचालित किया गया, जिससे ज्यादा श्रद्धालु आकर्षित हुए। इस व्यवस्था को पहले केवल 2016 के सिंहस्थ मेले में लागू किया गया था।  

2024 में आधुनिक तकनीकों का उपयोग

श्रद्धालुओं के अनुभव को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए 2024 में आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) बैंड का उपयोग शुरू किया गया। यह व्यवस्था भस्म आरती में प्रवेश के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और बिना अनुमति वाले लोगों को परिसर में आने से रोकती है। मंदिर प्रशासन का दावा है कि अब केवल उन्हीं भक्तों को प्रवेश मिल रहा है, जिन्होंने पहले से अनुमति प्राप्त की है।  

भविष्य की योजनाएं और प्रशासन की तैयारी

मंदिर प्रबंधन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगातार नई योजनाओं पर काम कर रहा है। दर्शन के दौरान भीड़ प्रबंधन से लेकर हाई-टेक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, महालोक के दूसरे चरण का कार्य भी प्राथमिकता पर है।

FAQ

महाकालेश्वर परिसर का विस्तार कितना हुआ है?
परिसर का क्षेत्रफल 25,000 वर्गफीट से बढ़ाकर 78,000 वर्गफीट कर दिया गया है।  
महाकाल महालोक पर कितना खर्च किया गया है? 
पहले चरण, लोकार्पण कार्यों और दूसरे चरण को मिलाकर कुल 1 हजार 151 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।  
2024 में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी क्यों आई?
2023 में अधिकमास के कारण सावन लंबा था और महालोक का आकर्षण ज्यादा था, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रही।  
आरएफआईडी बैंड का उपयोग क्यों किया गया?  
भस्म आरती में पारदर्शिता और बिना अनुमति वाले श्रद्धालुओं को रोकने के लिए आरएफआईडी बैंड शुरू किए गए।  
2024 के आखिरी दिनों में कितने श्रद्धालु आने की उम्मीद है?
23 से 31 दिसंबर 2024 के बीच करीब 25 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।  

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