भाद्रपद मास के द्वादशी पर बाबा महाकाल का दिव्य राजा स्वरूप श्रृंगार, उमड़ा भक्तों का सैलाब

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी को भगवान महाकाल का राजा स्वरूप श्रृंगार हुआ। भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का दिव्य दर्शन भक्तों के लिए विशेष आकर्षण रहा।

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Kaushiki
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महाकाल भस्मारती:उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यहां की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। आज (4 सितंबर 2025) भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि, गुरुवार को तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खोले गए।

इस विशेष दिन पर बाबा महाकाल का अलौकिक श्रृंगार भक्तों के लिए एक यादगार अनुभव रहा। मंदिर के पट खुलते ही सबसे पहले पुरोहितों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देव प्रतिमाओं का पूजन किया।

इसके बाद, मुख्य शिवलिंग का जलाभिषेक किया गया। परंपरा मुताबिक जल से अभिषेक के बाद दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से बने पंचामृत से भगवान का भव्य अभिषेक किया गया।

त्रिनेत्रधारी बाबा महाकाल का अद्भुत श्रृंगार

अभिषेक के पश्चात, भगवान महाकाल (उज्जैन भस्म आरती) का अद्भुत राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। सर्वप्रथम, घंटाल बजाकर 'हरि ओम' का उच्चारण करते हुए जल अर्पित किया गया।

इसके बाद कपूर आरती की गई, जिसने पूरे गर्भगृह को सुगंध से भर दिया। इस विशेष भस्म आरती के लिए महा निर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई।

मान्यता है कि भस्म अर्पण के बाद भगवान महाकाल निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। श्रृंगार के दौरान, बाबा महाकाल के मस्तक पर रजत का चंद्र, भांग, चंदन और मनमोहक गुलाब के फूलों की माला चढ़ाई गई।

उन्हें त्रिपुंड और रजत मुकुट से सुशोभित किया गया। श्रृंगार पूर्ण होने के बाद, ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से ढका गया और फिर उस पर भस्म रमाई गई।

फूलों से सजे बाबा

भस्म अर्पण के बाद, भगवान महाकाल (Mahakaal Darshan) को विविध आभूषणों और फूलों से सजाया गया। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाला, रुद्राक्ष की माला और सुगंधित पुष्पों से बनी मालाएं उन्हें अर्पित की गईं।

भगवान का यह भव्य रूप भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है और उनके मन में गहरी श्रद्धा जगाता है। इस दिन बाबा महाकाल का भव्य श्रृंगार भांग, ड्राय फ्रूट्स, आभूषणों और ताजे फूलों से किया गया, जिससे उनका रूप और भी अधिक मनमोहक हो गया।

सुगंधित पुष्पों से सुसज्जित भगवान को फल और मिष्ठान्न का भोग लगाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में, भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित होकर बाबा महाकाल का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।इस दौरान पूरा मंदिर परिसर "जय महाकाल" के जयकारों से गूंज उठा।

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