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बाबा महाकालभस्म आरती: उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज (7 सितंबर 2025) भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के पावन अवसर पर, रविवार को तड़के सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही एक अद्भुत और दिव्य वातावरण का निर्माण हुआ।
इस विशेष अवसर पर बाबा महाकाल को राजा स्वरूप में श्रृंगारित किया गया, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु आतुर थे। यह दृश्य न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव भी बन जाता है।
भस्म आरती की विशेष पूजा विधि
रविवार की भस्म आरती का आरंभ सुबह 4 बजे हुआ, जब मंदिर के पट खोले गए। पण्डे-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विशेष पूजन किया।
इसके बाद, भगवान महाकाल का सबसे पहले जल से अभिषेक किया गया, जो किसी भी पूजा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है।
जलाभिषेक के पश्चात, दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से बने पंचामृत से भगवान का अभिषेक किया गया। यह पंचामृत अभिषेक न केवल शुद्धिकरण का प्रतीक है, बल्कि यह भगवान के प्रति भक्तों की श्रद्धा और प्रेम को भी दर्शाता है।
राजा स्वरूप श्रृंगार
पंचामृत अभिषेक के बाद, भगवान महाकाल का अद्भुत श्रृंगार किया गया। इस दिन, जटाधारी भगवान महाकाल को विशेष रूप से राजा स्वरूप में सजाया गया।
उनके मस्तक पर त्रिशूल तिलक और ॐ का चिह्न बनाया गया, जो उनकी शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है। उन्हें बहुमूल्य आभूषणों से सजाया गया, जिसमें रजत का शेषनाग मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला शामिल थी।
इसके अतिरिक्त, उन्हें मोगरे और गुलाब के सुगंधित पुष्पों से बनी मालाएं भी अर्पित की गईं, जिससे उनकी दिव्यता और भी निखर उठी। इस अनुपम श्रृंगार के बाद, ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर पवित्र भस्म रमाई गई, जो भस्म आरती का सबसे महत्वपूर्ण चरण है।
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