/sootr/media/media_files/2025/12/22/male-chital-murder-2025-12-22-17-17-27.jpg)
JABALPUR. कटनी की ढीमरखेड़ा कोर्ट ने वन्यजीव संरक्षण मामले में कड़ा फैसला सुनाया है। नर चीतल के शिकार के मामले में कोर्ट ने दोषियों को सजा दी। साथ ही, वन्यप्राणियों के प्रति मानवीय संवेदनाओं को भी प्रमुखता दी। जज पूर्वी तिवारी ने साफ कहा कि एक वन्यजीव की हत्या उसके पूरे परिवार को तबाह करने वाली है। यह प्रकृति के संतुलन की भी तबाही है।
करंट से मारा गया
ढीमरखेड़ा कोर्ट ने चीतल के शिकार मामले में दोषियों को सजा दी। गुलजारीलाल, दीपक, सोनू और प्रमोद को 3-3 वर्ष की सजा हुई। कोर्ट ने कहा कि वन्यप्राणियों के साथ क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मारा गया नर चीतल अनुसूची-3 का संरक्षित वन्यप्राणी था। अभियुक्तों ने खेत में जीआई तार बिछाकर बिजली का करंट फैलाया। इससे चीतल की मौके पर ही मौत हो गई। कोर्ट ने इसे निर्दय और अमानवीय माना।
इंसानों की तरह चीतल का भी परिवार
कोर्ट ने कहा कि इस शिकार से केवल एक जीव की मौत नहीं हुई, बल्कि उसकी मादा और बच्चे भी असुरक्षित और बेसहारा हो गए। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के अपराध ने एक वन्य-परिवार को हमेशा के लिए तबाह कर दिया। इसकी भरपाई संभव नहीं है।
ये भी पढ़ें...शराब घोटाले में चैतन्य बघेल को 200 करोड़ मिले, ईओडब्ल्यू की चार्जशीट में खुलासा
सबूत मिटाने शव के साथ हुई थी बर्बरता
कोर्ट ने चीतल के शव के साथ की गई क्रूरता का जिक्र किया। जज ने बताया कि आरोपियों ने कुल्हाड़ी से चीतल की टांगें काटीं और सिर अलग कर दिया। कोर्ट ने इसे न सिर्फ कानून, बल्कि इंसानियत और प्रकृति के खिलाफ गंभीर अपराध बताया।
करंट लगाकर की थी हत्या
यह घटना 28 जनवरी 2017 की है। ग्राम खिरवा पौड़ी में गुलजारीलाल ने अपने खेत में बिजली का करंट फैलाया। इसकी चपेट में आने से नर चीतल की मौत हो गई। अगले दिन उसने बेटे दीपक और अन्य साथियों के साथ शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की। वन विभाग ने मौके से कटी हुई टांगें, सिर का ढांचा और खून लगी कुल्हाड़ी बरामद की।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सबूत बने सजा की आधार
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चीतल की मौत करंट से होना प्रमाणित हुआ। सभी साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोप सिद्ध मानते हुए कड़ी सजा सुनाई। यह भी साफ किया कि वन्यजीव हमारी पारिस्थितिकी और खाद्य श्रृंखला का अहम हिस्सा हैं।
आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा
मुख्य अभियुक्त गुलजारीलाल को 3 वर्ष का सश्रम कारावास हुआ। उसे 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी दिया गया। दीपक, सोनू और प्रमोद को 3-3 साल की जेल हुई। इन सभी को 10-10 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगा। कोर्ट ने फैसले के जरिए स्पष्ट संदेश दिया कि मूक वन्यप्राणियों के प्रति क्रूरता स्वीकार नहीं की जाएगी। यह फैसला वन्यजीव संरक्षण को मजबूत करने वाला है।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us