मंदिर के पास लगी जमीन से कथित अतिक्रमण हटाने खुद ही जेसीबी लेकर पहुंच गए मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। भारी विरोध और पत्थरबाजी के बाद मामला संवेदनशील हो गया है। बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल ने अपने एक के बाद एक अजीबोगरीब कारनामों के चलते खुद सरकार को ही अजीब स्थिति में ला खड़ा किया है। मगर क्या ये पहली बार है कि प्रदीप पटेल इस तरह के काम (हरकतें) कर रहे हैं। दरअसल प्रदीप पटेल का इतिहास ही विवादों से भरा हुआ रहा है। राजनीतिक विचारधारा के घोर पश्चिम से उन्होंने दक्षिण तक की यात्रा की है। आज भले ही वे भगवा लहराकर हिंदुत्व के नारे लगा रहे हों, मगर किसी समय वे तिलक, तराजू और तलवार… बड़े गर्व के साथ कहा करते थे। thesootr आपको बताएगा कि विवाद और प्रदीप पटेल दरअसल एक- दूसरे के ही पर्यायवाची हैं, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि कथित रूप से मंदिर की जमीन का ये विवाद आखिर है क्या…
मंदिर जमीन के विवाद की पूरी कहानी
मध्य प्रदेश के मऊगंज विधानसभा के खटखरी चौकी क्षेत्र में स्थित 9 एकड़ 27 डिसमिल भूमि को लेकर एक गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। इस भूमि पर मुस्लिम समुदाय और दलित परिवारों के लगभग 70-80 घर बसे हैं, जिनका दावा है कि यह भूमि उनके पूर्वजों की है और वे इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इस विवाद को लेकर मुस्लिम समुदाय ने जबलपुर हाईकोर्ट में पिटीशन भी दायर की है। हालांकि, इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, बावजूद इसके भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
दरअसल, हिंदू नेता संतोष तिवारी ने प्रशासन से अतिक्रमण हटाने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुद ही जेसीबी लेकर कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया। विधायक पटेल भी मौके पर पहुंचे और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए खुद अतिक्रमण हटाने की घोषणा की। विधायक पटेल का कहना था कि चार महीने पहले उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया था।
विधायक की जिद और दोनों पक्षों के बीच हिंसा का कारण बनी। मुस्लिम समुदाय ने विरोध शुरू कर दिया, जिससे पथराव और नारेबाजी हुई। इस दौरान तीन लोग घायल हो गए। कलेक्टर और एसपी ने स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास किए, लेकिन विधायक पटेल अपनी जिद पर अड़े रहे। प्रशासन के प्रयास विफल होने के बाद, विधायक को जबरन मऊगंज भेजा गया और वहां एक सामुदायिक भवन में ठहराया गया।
जेसीबी से बाउंड्री वॉल गिराने के दौरान मुस्लिम और दलित परिवारों ने विरोध किया, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। पथराव के दौरान कई लोग घायल हुए। पुलिस ने भारी बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और विधायक पटेल को हिरासत में लिया। खबर लिखे जाने तक यह साफ नहीं हो पाया था कि उन्हें कहां ले जाया गया। प्रशासन इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है, और अतिक्रमण स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
कभी घोर बसपाई थे प्रदीप पटेल
2003 तक प्रदीप पटेल बहुजन समाज पार्टी की राजनीति किया करते थे। यह वो दौर था, जब बीएसपी रीवांचल में खासी पैठ रखती था। यहां से बीएसपी ने अपने सांसद भी जिता चुकी थी। उस दौर में प्रदीप पटेल BSP में ही सक्रिय थे, मगर 2003 में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद समीकरण बदल गए। मध्यप्रदेश में बीएसपी ढलान पर आ गई। ऐसे में प्रदीप पटेल ने बीजेपी का दामन थामना ही ठीक समझा और नीला झंडा छोड़कर भगवा में आस्था जताने लेगे। उनकी यह आस्था सिर्फ राजनीतिक ही नहीं रही, बल्कि इससे भी आगे उन्होंने आरएसएस के तीन वर्ग भी किए। यही कारण रहा कि वे 2013 और 18 में बीजेपी से विधायक बने। अब यह और बात है कि मोहन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जब उन्हें जगह नहीं मिली तो उनकी करतब बाजियां बढ़ती ही चली जा रही हैं। आइए जानते हैं हाल ही में उनके कुछ बड़े विवाद…
27 जनवरी 2020
जूते पहनकर किया रामायण पाठ
मध्य प्रदेश के मऊगंज विधानसभा के भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने हनुमना में आयोजित किसान संघ के धरना प्रदर्शन में जूते पहनकर रामायण गाने और पूजा करने का विवादित कृत्य किया। इस पर विपक्ष ने उनके भगवान राम के प्रति श्रद्धा और आस्था पर सवाल उठाए। विधायक पटेल पर पहले भी विवाद रहे हैं, जैसे कि बसपा में रहते हुए रामायण और गीता जलाने के आरोप। अब जूते पहनकर रामायण गाने से भाजपा और विधायक पर विपक्ष ने निशाना साधा है। यह मुद्दा भाजपा और आरएसएस के लिए चुनौती बन गया है, यह देखने की बात होगी कि वे इस पर क्या कदम उठाते हैं।
13 सितंबर 2023
विवादित किताब से जुड़ा विधायक का नाम
मध्य प्रदेश के मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल एक विवादित किताब 'डॉ. अंबेडकर और पेरियार की दृष्टि में राम' को लेकर विवादों में आ गई। इस किताब में भगवान श्रीराम, माता कौशल्या और केकैई पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। जब यह किताब सामने आई तो दावा किया गया कि यह किताब विधायक प्रदीप पटेल ने लिखी है, लेकिन प्रदीप पटेल ने इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने इसे उनकी छवि खराब करने की साजिश बताया और कानूनी कार्रवाई की बात कही।
10 अक्टूबर 2024
एएसपी के सामने दंडवत हुए विधायकजी
मध्य प्रदेश के मऊगंज से बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल रीवा में एएसपी के सामने दंडवत होकर नशे के खिलाफ अपनी व्यथा व्यक्त करने पर सुर्खियों में आ गए। उन्होंने मऊगंज में बढ़ते नशे, अपराध, और असामाजिक गतिविधियों को लेकर पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई। विधायक ने आरोप लगाया कि नशे के कारण इलाके में हत्या, लूट और दुष्कर्म जैसे अपराध बढ़ रहे हैं। इससे लड़कियां स्कूल छोड़ने को मजबूर हो रही हैं। इस घटना पर जबलपुर से बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री अजय बिश्नोई ने प्रतिक्रिया देते हुए अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। बिश्नोई ने कहा था, "पूरी सरकार ही शराब ठेकेदारों के आगे दंडवत है।"
8 नवंबर 2024
गुटखा छोड़ो तब मिलेगी बिजली
मध्य प्रदेश के मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने एक अनोखा फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने एक युवक की शिकायत पर गांव के बिजली ट्रांसफार्मर की मरम्मत तब तक न कराने का आदेश दिया, जब तक वह गुटखा खाना नहीं छोड़ता। विधायक ने युवक की मां से भी बात की और गुटखा छोड़ने की जिम्मेदारी उनकी बताई। विधायक ने यह साफ किया कि गुटखा, शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देंगे। उनका यह बयान और अंदाज सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। देखा जाए तो किसी को गुटखा छोड़ने के लिए कहना अपने आप में ठीक बात है, मगर कॉन्टेक्स्ट क्या है, उसे देखते हुए कोई तुक नहीं बनता कि किसी बिजली ट्रांसफार्मर की मरम्मत तब तक नहीं होगी, जब तक कि कोई व्यक्ति गुटखा नहीं छोड़ता।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक