BHOPAL. अब मध्यप्रदेश के स्कूलों में भी कोरिया की तर्ज पर मेकाट्रॉनिक्स एजुकेशन सिस्टम लागू करने की तैयारी करली गई है। मेकाट्रॉनिक्स मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस के सिद्धांतों की मिलीजुली एकीकृत शिक्षा प्रणाली है। इसमें जटिल प्रणालियों के डिजायनों के साथ ही उनका निर्माण और नियंत्रण भी किया जा सकता है। यानी अब सरकार प्रदेश के स्कूली बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ प्रायोगिक शिक्षा देने पर भी जोर दे रही है।
इस प्रणाली के तहत बच्चे ये सीख-समझ पाएंगे कि उद्योगों में किस तरह के प्रशिक्षण और जानकारी की जरूरत होगी। इसके लिए भोपाल में प्रयोगशाला के निर्माण की भी तैयारी हो गई है जहां छात्र प्रायोगिक ज्ञान हासिल कर पाएंगे। प्रयोगशाला बनाने के लिए एनसीईआरटी और दक्षिण कोरिया की एजेंसी के बीच करार भी हो चुका है।
केंद्र की पहल को साकार करेगा एमपी
केंद्र सरकार के निर्देश पर नई शिक्षा नीति पर तेजी से अमल किया जा रहा है। मध्यप्रदेश भी नई शिक्षा नीति को लागू करने में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। इसी क्रम में अब मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा को रोजगारपरक बनाने का काम जारी है।
नई शिक्षा नीति के तहत वोकेशनल एजुकेशन को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिसमें बच्चे किताबी ज्ञान से कहीं आगे प्रायोगिक शिक्षा और प्रशिक्षण हासिल कर सकेंगे। सरकार ने वर्तमान परिदृश्य में औद्योगिक विकास और रोजगार के क्षेत्रों में आ रहे बदलाव की मांग को देखते हुए इस प्रणाली को अपनाया है।
ये खबरें भी पढ़ें :
तीनों सेनाओं की प्रेस कॉन्फ्रेंसः ऑपरेशन सिंदूर में सीमा पार 9 ठिकानों पर मार गिराए गए 100 आतंकवादी
महिलाओं के लिए DST Fellowship है खास, रिसर्च के लिए मिलेंगे लाखों रूपए, करें आवेदन
कोरियन कंपनी बनाएगी प्रयोगशाला
प्रदेश में अब तक स्कूलों में बच्चों को केवल किताबी ज्ञान भी उपलब्ध हो रहा है। विज्ञान विषय में प्रायोगिक कक्षाएं तो होती है लेकिन वे भी सिर्फ रस्मअदायगी ही साबित हुई हैं। इस स्थिति और नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को देखते हुए अब केंद्र सरकार की पहल पर मध्यप्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा में बड़े बदलाव करने जा रही है।
इसके लिए NCERT यानी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद और मध्य कोरिया इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी के बीच अनुबंध हुआ है। इस करार के तहत एजेंसी भोपाल में दो करोड़ की लागत से प्रयोगशाला तैयार करेगी। इस प्रयोगशाला में मेकाट्रॉनिक्स एजुकेशन प्रणाली बच्चों को मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्प्युटर साइंस के समावेश वाली प्रायोगिक शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
ये खबरें भी पढ़ें :
हेयर ट्रांसप्लांट करते समय डॉक्टर ने किया कुछ ऐसा कि चली गई सब इंजीनियर की जान
AIIMS Delhi Recruitment : दिल्ली AIIMS में निकली भर्ती, ये उम्मीदवार कर सकते हैं अप्लाई
रोजगारमूलक शिक्षा से छात्रों को होगा लाभ
मध्यप्रदेश सरकार इसी साल इस प्रयोगशाला को तैयार कराने के प्रयास कर रही है। हांलाकि प्रयोगशाला में अगले शैक्षणिक सत्र से कक्षा 9 से 12वी के छात्र तकनीकी शिक्षा का प्रशिक्षण और बेसिक जानकारी हासिल कर पाएंगे। वहीं सरकार इसी साल से प्रयोगशाला का डेमोस्ट्रेशन करना चाहती है। भोपाल में यह परीक्षण सफल रहने पर इस प्रणाली को पूरे देश में शुरू किया जाएगा।
केंद्रीय वोकेशनल एजुकेशन संस्थान के कार्यक्रम समन्वयक प्रो.विनयस्वरूप मेहरोत्रा का कहना है कि वोकेशनल प्रोग्राम के माध्यम से बच्चों में मौजूद हुनर को बेहतर बनाने का प्रयास है। इस लैब के जरिए ऐसे बच्चों के हुनर को संवारकर उनकी दक्षता को बढ़ाया जा सकेगा। यही हुनर और दक्षता उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करेगी।
कमलनाथ सरकार ने 6 साल पहले की थी कोशिश
नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र की पहल पर भोपाल में जिस मेकाट्रॉनिक्स एजुकेशन सिस्टम के तहत प्रयोगशाला स्थापित हो रही है ठीक वैसा ही प्रयास कमलनाथ सरकार ने साल 2019 में किया था। कमलनाथ सरकार ने दक्षिण कोरिया के शिक्षा मॉडल का अध्ययन कराते हुए प्रदेश में शिक्षा प्रणाली को रोजगारमूलक बनाने की तैयारी की थी। इसके लिए विशेषज्ञों का दल भी दक्षिण कोरिया भेजा गया था।
दक्षिण कोरिया में हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई पूरी होने के साथ ही नवयुवा रोजगार से जुड़ जाते हैं। इसके लिए वहां स्कूलों में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कंपनियों के माध्यम से वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। अब छह साल बाद केंद्र की पहल पर डॉ.मोहन यादव की सरकार प्रदेश में वैसा ही एजुकेशन मॉडल खड़ा करने जा रही है।