/sootr/media/media_files/2025/01/03/783HxCtom1xak2IAZuXO.jpg)
Mediclaim announcement forgotten government Photograph: (thesootr)
BHOPAL. कितने सरकारी वादे समय पर पूरे होते हैं इसकी हकीकत तो सभी जानते हैं। सरकारी योजनाएं अकसर अफसरों की अनदेखी के कारण या तो ठंडे बस्ते में चली जाती हैं या उनका लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पाता। ऐसा ही कुछ बिजलीकर्मियों के कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस के साथ हो रहा है। बिजलीकर्मियों को स्वास्थ्य बीमा का फायदा पहुंचाने सरकार द्वारा जिस कैशलैस स्कीम की घोषणा की गई थी वो आगे ही नहीं बढ़ पाई है। सीएम डॉ.मोहन यादव की दिलचस्पी वाली इस स्कीम की घोषणा ऊर्जा मंत्री प्रद्मुन सिंह तोमर ने की थी। बिजलीकर्मी भी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस योजना के मददगार साबित होने की आस लगाए हैं। वहीं सरकार की घोषणा के बाद बिजली कंपनियां इसे दबाकर बैठ गई हैं। अब बिजलीकर्मियों ने संगठन सरकार को इस योजना की याद दिलाने की तैयारी कर रहे हैं।
90 हजार बिजलीकर्मियों को होगा लाभ
बिजली कंपनियों के 90 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों के लिए सरकार ने कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस की घोषणा की है। योजना के तहत बिजलीकर्मियों और उनके परिवार के आश्रित सदस्यों को लाभ के दायरे में रखा गया है। यानी स्वास्थ्य बीमा की इस स्कीम का लाभ तीन स्लैब में देने की व्यवस्था रखी गई है। जिसमें 500 रुपए प्रतिमाह का प्रीमियम देने पर 5 लाख, 1000 रुपए मासिक प्रीमियम जमा करने पर 10 लाख और रुपए हर महीने 2000 प्रीमियम जमा करने पर 25 लाख रुपए का सालाना कैशलैस इश्योरेंस कराया जाना है। यानी लाभार्थी बिजलीकर्मी चुने गए स्लैब की राशि से अपना और परिजनों का उपचार करा सकता है।
सीएम की दिलचस्पी, लेकिन अफसर सुस्त
कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस में प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के नियमित, संविदा और सेवानिवृत्त कर्मचारी और आश्रितों को भी लाभार्थी बनाया है। कर्मचारियों की अनदेखी करने वाली बिजली कंपनियों ने ये दरियादिली सीएम डॉ.मोहन यादव के निर्देश के चलते दिखाई है। 17 नवम्बर को प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्मुन सिंह तोमर ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर इसकी घोषणा करके कैशलैस इंश्योरेंस स्कीम के लाभ गिनाकर विभाग की पीठ थपथपाई थी। योजना का प्रचार_प्रसार भी किया गया लेकिन ऊर्जा मंत्री की घोषणा के बाद बिजली कंपनियों ने चुप्पी साध ली है।
अब कर्मचारी संगठन दिलाएंगे याद
प्रदेश में ऊर्जा विभाग के नीचे पावर मैनेजमेंट, पावर जनरेटिंग, ट्रांसमिशन के अलावा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण जैसी कंपनियां काम करती हैं। ऊर्जा विभाग के ज्यादातर कर्मचारी अब इन्हीं कंपनियों के नियंत्रण में हैं। बिजली कंपनियों के इन कर्मचारियों को अन्य विभागों की तरह कई सुविधाएं भी नहीं मिलतीं। इसी को देखते हुए कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा की शुरूआत की जा रही है। लेकिन सरकार द्वारा ड्राफ्ट तैयार करने और मंत्री की घोषणा के बाद अब मामला कहां अटक गया किसी को नहीं पता। बिजली कंपनियों के कर्मचारियों को भी इसका जवाब नहीं मिल रहा है। अखिल भारतीय विद्युत मजदूर महासंघ के महामंत्री किशोरीलाल रायकवार ने बताया सरकार की घोषणा के बाद कंपनियों ने हेल्थ इंश्योंस शुरू नहीं किया है। कैशलैस स्कीम सभी के लिए लाभदायक होगी। सरकार को घोषणा के बाद योजना लागू कराने पर ध्यान देना चाहिए। बिजलीकर्मियों के संगठन भी जल्द सरकार को इसके बारे में अवगत कराएंगे।
इलाज के लिए कैशलैस कार्ड की आस
कई बिजली कर्मचारी ऐसे हैं जो काम के दौरान करंट लगने से झुलस चुके हैं। इनमें से कई तो अब गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में हैं और बार-बार अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं। इन कर्मचारियों का वेतन इतना ज्यादा नहीं है कि वे मंहगे इलाज के साथ परिवार भी चला सकें। सरकार की कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस की घोषणा से ऐसे हजारों कर्मचारियों में राहत थी। सरकार की हमदर्दी और 5 से 25 लाख रुपए तक के इलाज की सुविधा से उनको अच्छे इलाज की उम्मीद बंध गई थी। कई बिजली कर्मचारी तो अपनी और बीमार परिवारों के मंहगे ऑपरेशन कराने के लिए अस्पतालों से भी संपर्क कर चुके हैं। अब ये बिजलीकर्मी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं और योजना को छलावा मान रहे हैं। वरिष्ठ लाइन परिचालक अनूप सिंह चौधरी कैंसर पीढ़ित हैं। उन्हें हर महीने हजारों रुपए उपचार और दवाओं पर खर्च करने पड़ रहे हैं। इस वजह से आर्थिक मुश्किलों से घिरे हुए हैं। चौधरी का कहना है सरकार की योजना तो अच्छी है और इससे हजारों परिवारों को राहत मिलेगी। लेकिन जिस तरह शुरूआत में ही ये अटक गई है उससे जरूर बिजलीकर्मी निराश हैं।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक