इंदौर में साढ़े 3 साल की बच्ची को संथारा दिलाने पर HIGH COURT का माता-पिता को नोटिस, कहा– बच्ची ने कैसे दी सहमति

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।

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Vishwanath Singh
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Sourabh780
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मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, राज्य शासन और सभी संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित साढ़े तीन साल की मासूम बच्ची वियाना, जो समझने की स्थिति में भी नहीं थी, उसने संथारा जैसी गंभीर धार्मिक प्रक्रिया के लिए सहमति आखिर कैसे दी? कोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीर बताते हुए संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है।

याचिका में तीन नाबालिगों के संथारा का उल्लेख

जनहित प्रांशु जैन द्वारा एडवोकेट शुभम शर्मा के माध्यम से दायर की गई है। इसमें बताया गया है कि देश में अब तक तीन नाबालिग बच्चियों को संथारा दिलाया गया है—हैदराबाद की 13 वर्षीय, मैसूर की 10 वर्षीय और इंदौर की साढ़े तीन वर्षीय वियाना। याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि जब तक इस याचिका का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक नाबालिगों को संथारा दिलाए जाने पर रोक लगाई जाए।

कोर्ट ने तत्काल रोक लगाने से किया इनकार

हालांकि कोर्ट ने फिलहाल नाबालिगों के संथारा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि यह मामला जैन समाज से जुड़ा हुआ है और संबंधित पक्षों को सुने बिना किसी प्रकार का आदेश पारित नहीं किया जा सकता। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 25 अगस्त निर्धारित की है।

वियाना के माता-पिता भी होंगे पक्षकार

कोर्ट ने मंगलवार को याचिका में वियाना के माता-पिता पीयूष और वर्षा जैन को पक्षकार बनाए जाने की अनुमति दे दी है। अब आगामी सुनवाई में उनका पक्ष भी अदालत के समक्ष रखा जाएगा।

क्या है संथारा का यह मामला?

साढ़े तीन साल की बच्ची वियाना को ब्रेन ट्यूमर था। उसकी मां वर्षा जैन ने मई माह में मीडिया को बताया कि जनवरी 2025 में बच्ची को ट्यूमर की जानकारी मिली थी, जिसके बाद 9 जनवरी को मुंबई में उसका ऑपरेशन हुआ। वह कुछ हद तक ठीक भी हुई, लेकिन मार्च के तीसरे सप्ताह में उसकी हालत फिर बिगड़ने लगी।

“गुरुदेव ने कहा था—एक रात भी निकालना मुश्किल है”

बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए 21 मार्च को माता-पिता उसे जैन संत राजेश मुनि के पास ले गए। माता-पिता के अनुसार, मुनि ने कहा कि बच्ची के पास अब जीने के लिए समय नहीं है, इसलिए उसे संथारा करा दिया जाए। इसके बाद परिवार की सहमति से संथारा की प्रक्रिया की गई। परिवार का दावा है कि संथारा लेने के 10 मिनट बाद ही वियाना का निधन हो गया।

गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम

परिवार के मुताबिक, गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने वियाना को दुनिया की सबसे कम उम्र की संथारा व्रती घोषित किया है। हालांकि, इतनी कम उम्र में इस धार्मिक प्रक्रिया को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है, जिसने कानूनी और नैतिक सवाल खड़े कर दिए हैं।

कोर्ट में 25 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

हाई कोर्ट की युगल पीठ ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सरकारों से जवाब मांगा है कि आखिर इतनी कम उम्र की बच्ची को संथारा की अनुमति कैसे दी जा सकती है? अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।

 

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