जबलपुर के शासकीय विक्टोरिया अस्पताल की अव्यवस्थाओं की पोल लंबे समय से मीडिया के द्वारा खोली जा रही है। उसके बाद भी जब आज खानापूर्ति के लिए क्षेत्रीय विधायक अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्होंने सभी व्यवस्थाओं को बढ़िया बताते हुए अस्पताल को क्लीन चिट दे दी।
विधायक का औचक निरीक्षण बना सिर्फ खानापूर्ति
शासकीय अस्पतालों में किसी मंत्री या विधायक के औचक निरीक्षण के बाद व्यवस्थाओं में सुधार आने की उम्मीद होती है। अव्यवस्थाओं को लेकर संबंधित अधिकारी को डांट फटकार तक सुनाई पड़ती है, लेकिन जबलपुर में ऐसा नजारा सामने आया जिसमें विधायक अभिलाष पांडेय का औचक निरीक्षण केवल खानापूर्ति बनकर रह गया। क्षेत्रीय विधायक जब निरीक्षण के लिए पहुंचे तो अस्पताल की एक से बढ़कर अव्यवस्थाएं सामने आई। लेकिन विधायक जी यह बताते हुए नजर आए की अस्पताल में मरीज मिलने वाली स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं से खुश है। इस निरीक्षण के दौरान मीडिया के कैमरे में ही इतनी अव्यवस्थाएं कैद हुई की आम दिनों में अस्पताल की हालत क्या होती होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्टेचर और व्हीलचेयर नदारद
निरीक्षण के दौरान ही ऐसे दो मामले सामने आए जिनमें एक व्यक्ति के द्वारा अपने वृद्ध मां को स्ट्रेचर के अभाव में गोद में उठाकर ले जाते हुए देखा गया वहीं दूसरा व्यक्ति अपने दिव्यांग मरीज को गोद में लेकर अस्पताल पहुंचा था। दिव्यांग मरीज़ जिसका एक पैर नहीं था उसके परिजन को विधायक जी ने समझाइश दी कि आपको पीछे से नहीं बल्कि सामने से आना चाहिए । हालांकि मरीजों के पीछे के रास्ते से आने का कारण यह है कि उन्हें सामने से भी स्ट्रेचर नहीं मिलता और मुख्य द्वार से ओपीडी तक पहुंचने में दूरी ज्यादा तय करनी पड़ती है। इसलिए मरीज को गोद पर लेकर आने वाले परिजन उसे पास के रास्ते से ही लाते हैं। इस मरीज़ के लिए तो आनन-फानन में व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई पर इस कमी को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
ICU के मरीज घर से पंखा, कूलर लाने को मजबूर
शासकीय विक्टोरिया अस्पताल में महीनों से आईसीयू का सेंट्रल एसी खराब है। विधायक के निरीक्षण के दौरान भी यह नजर आया कि मरीज ने अपने घरों से पंखे और कूलर लाकर लगाए हुए हैं। वहीं कुछ मरीज बिस्तरों के अलावा जमीन पर भी लेटे हुए नजर आये।
कई अव्यवस्थाएं हुई उजागर
निरीक्षण के दौरान उस गैलरी को नजरअंदाज किया गया जिसमें इलाज करवाने के लिए लाइन लगाकर मरीज या उनके परिजन खड़े रहते हैं लेकिन उस गैलरी के पंखे गायब है। इसी दौरान यह भी बात सामने आई की आभा आईडी या एंड्राइड फोन के बिना ओपीडी की पर्ची भी नहीं बनती है। वहीं आभा आईडी जहां बनती है वहां से ओपीडी की दूरी ज्यादा होने से मरीजों को काफी परेशानी होती है। इन सभी समस्याओं की शिकायत मीडिया के कैमरे के सामने ही हुई। लेकिन निरीक्षण का परिणाम तो जैसे पहले से ही तय था जिसके चलते अस्पताल के सिविल सर्जन के द्वारा दिए गए सभी बहानों को मानते हुए विधायक जी ने इस अस्पताल को क्लीन चिट दे दी।
सिविल सर्जन ने अपनी गलतियों को छुपाने के लिए दिए अनोखे बयान
विक्टोरिया हॉस्पिटल में खराब ICU की खबर मीडिया के द्वारा लगातार प्रकाशित की जा रही है। इससे हो रही परेशानी को लेकर मरीज अपने घर से पंखा लाने को मजबूर है ICU में सेंट्रल AC खराब होने की बात को जब पत्रकारों ने पूछा तो सिविल सर्जन ने एक से बढ़कर एक बहाने बनाये, जमीन में सो रहे मरीजों के लिए जहां उन्होंने बीमारी के सीजन और अधिक मरीजों को जिम्मेदार बताया तो ICU में महीनों से बंद पड़े AC के कारण मरीजों के द्वारा लाये जा रहे खुद के पंखों पर उन्होंने एक साइंटिफिक ज्ञान दे दिया।
मध्य प्रदेश शासकीय अस्पतालों की खुली पोल
जब ICU के खराब AC को लेकर सिविल सर्जन मनीष मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ हमारा ही ICU मे खराबी नहीं है बालाघाट, दमोह से लेकर प्रदेश के कई शासकीय अस्पतालों के ICU खराबी है। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल की AC सुधरवाने के लिए फंड की व्यवस्था हो गई है। मनीष मिश्रा प्रदेश के शासकीय अस्पतालों की अवस्थाओं को उजागर करते कर खुद की गलतियों को छुपाते नजर आए।
पंखे को लेकर सिविल सर्जन का साइंटिफिक ज्ञान
सिविल सर्जन ने बताया कि ICU रूम में सीलिंग फैन नहीं लगाया जा सकते क्योंकि किसी मरीज के द्वारा खांसने पर सीलिंग फैन उसके बैक्टीरिया को पूरे में फैलाते हैं । साथ ही टेबल फैन मरीज के खांसने पर उसके बैक्टीरिया को मरीज से दूर करते हैं। मरीज के द्वारा घर से लाये जा रहे पंखों के मामले में सफाई देते हुए सिविल सर्जन के इस साइंटिफिक ज्ञान पर तो एम्स में शोध किये जाने की आवश्यकता है। आखिरकार इस निरीक्षण का सार यह निकला कि विधायक जी ने अपनी जिम्मेदारी की खानापूर्ति भी कर दी और अस्पताल प्रशासन को मीडिया के सामने अपने बहाने रखने का मौका भी मिल गया। लेकिन शासकीय अस्पताल में बेहतर सुविधा का की उम्मीद लगाए मरीज जरूर मायूस होंगे।
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