सीएम मोहन यादव ग्वालियर अंचल की बंद पड़ी जीवाजीराव कॉटन मिल ( JC Mill ) का सोमवार 11 नवंबर को दौरा करने पहुंचे। सीएम डॉ. मोहन यादव ने 8 हजार श्रमिक परिवारों को लंबित भुगतान का आश्वासन देकर उनके चेहरों पर मुस्कान ला दी। 90 के दशक से बंद पड़ी फैक्ट्री के श्रमिक लंबे समय से लंबित भुगतान के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। सीएम के फैक्ट्री दौरे के बाद लंबित भुगतान को लेकर श्रमिकों में उम्मीद की नई किरण दिखी है। संभावना है कि जेसी मिल इंदौर की हुकुमचंद मिल की तरह श्रमिकों के लिए समाधान का रास्ता बन सकती है। इससे श्रमिकों को लंबित भुगतान का जल्द भुगतान हो सकता है।
सीएम ने श्रमिक परिवारों से की मुलाकात
सीएम मोहन यादव अचानक ग्वालियर गए और सीधे जेसी मिल पहुंचे। वहां उन्होंने वीरान पड़ी कॉटन मिल और उसकी जमीन का निरीक्षण किया और श्रमिक परिवारों से मुलाकात की। साथ ही सीएम ने उन्हें भरोसा दिलाया कि जल्द ही उनके हित में बड़ा फैसला लिया जाएगा। विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के बाद ग्वालियर लौटे मुख्यमंत्री मोहन को तय कार्यक्रम के अनुसार एयरपोर्ट से सीधे झारखंड चुनाव प्रचार के लिए निकलना था, लेकिन वे जेसी मिल पहुंच गए। जिला कलेक्टर रुचिका चौहान और एसपी धर्मवीर सिंह आनन-फानन में सीएम को सर्किट हाउस से जेसी मिल लेकर पहुंचे। मिल बंद होने पर 8 हजार 37 कर्मचारियों और श्रमिकों की देनदारियों के भुगतान को लेकर कोर्ट में केस चल रहे हैं। वर्तमान में मिल पर 6 हजार जीवित कर्मचारियों की 135 करोड़ रुपए की देनदारी है और 500 से अधिक श्रमिकों ने भुगतान के लिए कोर्ट में केस भी दायर कर रखा है।
श्रमिकों का बकाया भुगतान का होगा समाधान
मुख्यमंत्री ने जेसी मिल पहुंचकर मिल का अवलोकन किया और श्रमिकों के परिजनों से मिलकर उनका हालचाल जाना। मौके पर कलेक्टर और उद्योग विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। इस दौरान सीएम ने कहा कि उन्हें मुकदमा नहीं, समाधान चाहिए, इसलिए इंदौर की हुकुमचंद मिल की तर्ज पर जेसी मिल के 8 हजार श्रमिकों के हित में सरकार काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने जेसी मिल श्रमिकों का बकाया भुगतान करने का बड़ा ऐलान किया है। सीएम ने कहा कि जल्द ही जेसी मिल के श्रमिकों की बकाया देनदारियों का भुगतान किया जाएगा। सीएम ने कहा कि जल्द ही जेसी मिल की खाली जगह पर आईटी सेक्टर से जुड़ी एक यूनिट लगाई जाएगी, जो जेसी मिल की 712 बीघा जमीन पर बनेगी।
मजदूरों के हित में सरकार कर रही काम
आजादी से पहले स्थापित जेसी मिल देश की सबसे बड़ी सूती कपड़ा मिल थी, जो बिरला की थी। इसका कपास देश में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में निर्यात होता था। आधुनिकीकरण के कारण छंटनी को लेकर यहां बड़े मजदूर आंदोलन के बाद कोर्ट ने नब्बे के दशक में जेसी मिल को आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया था। जेसी मिल का दौरा करने पहुंचे सीएम ने मजदूरों के परिजनों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। सीएम मोहन ने कहा कि उन्हें केस नहीं, समाधान चाहिए, इसलिए इंदौर की हुकुमचंद मिल की तर्ज पर जेसी मिल के 8 हजार मजदूरों के हित में सरकार काम कर रही है।
135 करोड़ रुपए की देनदारियां
मिल बंद होने के बाद से मिल के 8037 कर्मचारियों और श्रमिकों की देनदारियों के भुगतान को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है। इस दौरान कई श्रमिकों की मौत भी हो गई। वर्तमान में 6 हजार कर्मचारियों पर 135 करोड़ रुपए की देनदारियां हैं। वहीं 500 से अधिक श्रमिकों ने भुगतान के लिए कोर्ट में केस भी दायर कर रखा है।
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