मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार, 6 अक्टूबर को रवींद्र भवन ऑडिटोरियम में शिक्षा भूषण अखिल भारतीय शिक्षक सम्मान समारोह में शामिल हुए। समारोह का आयोजन मध्य प्रदेश शिक्षक संघ द्वारा किया गया था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षा का आधार गुरुकुल परंपरा रही है। शिक्षक हमेशा पूजनीय रहे हैं और पूजनीय रहेंगे। भारत उस शिक्षक परंपरा को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना चाहता है। गुरुकुल परंपरा चाणक्य से लेकर चंद्रगुप्त तक और चंद्रगुप्त से लेकर विक्रमादित्य तक हर युग में, हर समय, हर जगह प्रचलित रही है।
अमेरिका में बच्चे एक-दूसरे को गोली मार देते हैं : सुरेश सोनी
सुरेश सोनी ने कहा- शिक्षा का विकास हो रहा है। उसके साथ-साथ भ्रष्टाचार भी विकसित हो रहा है। शिक्षा के विकास के साथ-साथ जीवन के मूल्यों का क्षरण हो रहा है। अगर महिलाओं के प्रति व्यवहार की बात करें, मानव संविधान की बात करें, तो अमेरिका जैसे अच्छे और समृद्ध माने जाने वाले देशों में बच्चे एक-दूसरे को गोली मार देते हैं। इसलिए पूरी दुनिया में शिक्षा बढ़ रही है, साक्षरता बढ़ रही है, सब कुछ हो रहा है लेकिन साथ-साथ आतंकवाद भी बढ़ रहा है। मूल्य क्षरण भी बढ़ रहा है। सामाजिक विखंडन भी बढ़ रहा है। विभिन्न मानव समूहों के बीच संघर्ष भी बढ़ रहा है। कहीं न कहीं कोई मूलभूत समस्या है, जब तक कि हम उसे ध्यान में रखकर कुछ न करें। इसलिए एक समग्र शिक्षा के विचार पर चर्चा चल रही है।
शिक्षा जगत जननी जगदंबा है
अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सुरेश सोनी का कहना है कि विकास तभी हो सकता है जब हमारे आसपास का वातावरण और जीवन मूल्यों का विकास हो। उन्होंने काका कालेलकर के 1928 में गुजरात विद्यापीठ में दिए गए संबोधन को उद्धृत करते हुए कहा कि शिक्षा अपना स्वरूप यह कहकर स्पष्ट करती है कि शिक्षा न तो सत्ता की गुलाम है, न कानून की सेविका है। न विज्ञान की मित्र है और न ही कला की रक्षक है, वह तो अर्थशास्त्र की गुलाम है, शिक्षा धर्म का परिणाम है, वह मनुष्य के हृदय, मन और इंद्रियों की स्वामिनी है। नृविज्ञान और समाजशास्त्र इसके दो चरण हैं। तर्क और अवलोकन शिक्षा की दो आंखें हैं। विज्ञान मस्तिष्क है, इतिहास कान है और धर्म शिक्षा का हृदय है। सोनी ने बताया कि काका कालेलकर ने अपने संबोधन में कहा था कि उत्साह और उद्यम शिक्षा के फेफड़े हैं। शिक्षा ऐसी जगत जननी जगदंबा है, जिसका उपासक कभी किसी का मोहताज नहीं रहेगा। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
गुरु की भूमिका महत्वपूर्ण : सीएम मोहन
सीएम मोहन यादव ने कहा कि राष्ट्रहित में शिक्षा, शिक्षा हित में शिक्षक तथा शिक्षक हित में समाज के उद्देश्य से आयोजित शिक्षक महोत्सव के आयोजन में एजुकेशनल फाउंडेशन एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि भारत की गुरु एवं गुरुकुल परंपरा में गुरु का महत्व है। जब भी कोई प्रश्न उठा तो गुरु की भूमिका सामने आई है। यदि गुरु वशिष्ठ भगवान श्री राम और लक्ष्मण को वनवास न ले जाते तो रामायण में राम का चरित्र अधूरा रह जाता। भगवान कृष्ण की शिक्षा में गुरु सांदीपनि का उज्ज्वल चरित्र शिष्यों के लिए अनुकरणीय और चुनौतियों में प्रेरणा का स्रोत रहा है।
मां बच्चों को तकॉन्वेंट में भेजना चाहती हैं : उमेश नाथ
डॉ. उमेश नाथ महाराज ने कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था को देखकर हमें पीड़ा होती है। हम न चाहते हुए भी इसे सहन कर रहे हैं। हमारी प्राचीन परंपरा में शिक्षा व्यवस्था गुरुकुल में गुरुजी के हाथ में थी। आज हम गुरु परंपराओं से वंचित होते जा रहे हैं। आज स्थिति यह है कि जब मां गर्भवती होती है तो वह अपने होने वाले बच्चे के बारे में सोचती है कि मेरा बच्चा कब जन्म लेगा और जब वह थोड़ा चलने-फिरने लगेगा तो मैं उसे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में भेजूं। 99% माताओं का यह प्रयास रहता है कि वह अपने बच्चे को कॉन्वेंट में भेजना चाहती हैं। लेकिन, उसके मन में यह कभी नहीं रहता है कि उसका बच्चे का जन्म हुआ है तो उसे मैं गुरु की शरण में भेजूं। यहीं से हमारे मानवीय जीवन का पथ बिगड़ जाता है। वह मानवीय जीवन का पथ लगातार बिगड़ते - बिगड़ते ऐसी स्थिति में चला जाता है कि हम पाश्चात्य सभ्यताओं में चले जाते हैं।