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BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा है। सोमवार को पूर्व मंत्री और खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ( Bhupendra Singh ) ने अपनी ही सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह (Minister Uday Pratap Singh) को निजी स्कूलों की मनमानी के मुद्दे पर जमकर घेरा। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मंत्री अपने जवाब में जनता के रोष को नकार रहे हैं, लेकिन मैं जनप्रतिनिधि हूं, मुझे पता है जनता में रोष है या नहीं... उन्होंने आगे कहा कि अफसर कुछ भी लिख देते हैं और मंत्री सदन में जवाब दे देते हैं कि जनता में कोई नाराजगी नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि मैं झूठ बोल रहा हूं। मंत्री को इस तरह अपमान नहीं करना चाहिए।
सदन में गूंजा निजी स्कूलों की मनमानी का मुद्दा
दरअसल, स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह निजी स्कूलों की मनमानी के मुद्दे पर जवाब दे रहे थे। इस पर खुरई सीट से बीजेपी विधायक भूपेंद्र सिंह ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा यह मामला केवल मालथौन का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में अवैध रूप से चल रहे निजी स्कूलों का है, जिनमें शिक्षा का व्यवसाय किया जा रहा है और इन्हें नियंत्रित करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी दी जा रही है और मंत्री को जनप्रतिनिधियों का अपमान नहीं करना चाहिए।
निजी स्कूलों की मनमानी पर सवाल
भूपेंद्र सिंह ने खुरई विधानसभा के मालथौन स्थित आदर्श कान्वेंट स्कूल संचालन का विषय ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया, जो शासकीय भूमि पर अवैध रूप से संचालित हो रहा था। उन्होंने बताया कि इस स्कूल को मान्यता नहीं दी गई और शासकीय भूमि से बेदखली का नोटिस दिया गया था, फिर भी स्कूल संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे अशासकीय शिक्षण संस्थाओं में न तो खेल का मैदान है, न ही अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं। इसके अलावा, बच्चों के यौन शोषण की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
भूपेंद्र सिंह ने दिखाए तीखे तेवर
निजी स्कूल की मनमानी को लेकर नाराजगी जताते हुए भूपेंद्र सिंह ने कहा तहसीलदार और शिक्षा अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बावजूद, स्कूल पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसके संबंध में तहसीलदार डीईओ को पत्र भी लिख चुके हैं। लेकिन अब तक न तो बेदखली की गई और न ही मान्यता खत्म की गई।
मंत्री सिंह ने कहा- कोई आक्रोश नहीं
इस पर स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सदन में जवाब दिया कि प्रारंभिक तौर पर स्कूल की मान्यता निलंबित कर दी गई थी और संस्थान ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिस पर स्थगन मिल चुका है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता में कोई आक्रोश नहीं है, लेकिन भूपेंद्र सिंह ने इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें, एक जनप्रतिनिधि के रूप में, क्षेत्र में वास्तविक स्थिति का पता है।
निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए नीति की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि मंत्री को जनप्रतिनिधियों के आक्रोश को नकारने का अधिकार नहीं है। इसे नकारना तो यह हुआ कि मैं झूठ बोल रहा हूं। मंत्री इस तरह अपमानित न करें। यह मामला पूरे प्रदेश का है। भूपेंद्र सिंह ने राज्यभर में अवैध रूप से संचालित निजी स्कूलों पर कार्रवाई करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
फीस वसूली पर बोले मंत्री उदय प्रताप सिंह
इस मामले में मंत्री उदय प्रताप सिंह ने यह भी बताया कि स्कूलों द्वारा वसूली गई अधिक फीस पहली बार अभिभावकों को लौटाई गई है। उन्होंने बताया कि स्कूलों के संचालन में सुधार लाने के लिए कुछ नए प्रावधान किए गए हैं, जैसे कि अब स्कूलों को रजिस्टर्ड दस्तावेज अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने होंगे और कम से कम एक एकड़ भूमि पर स्कूल चलाना जरूरी होगा।
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