विधानसभा के शीतकालीन सत्र की अधिसूचना ने बढ़ाई बीना विधायक की टेंशन

बीना विधायक निर्मला सप्रे बजट सत्र में गायब रही थीं। इस वजह से बीना से जुड़ अहम प्रस्ताव विधानसभा तक पहुंच ही नहीं पाए थे। फिलहाल इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि बीना विधायक इस सत्र से पहले इस्तीफा देंगी या सत्र में शामिल होंगी।

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Sanjay Sharma
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Bina MLA Nirmala Sapre
BHOPAL. विजयपुर में मंत्री रामनिवास रावत की पराजय के बाद विधानसभा सत्र की अधिसूचना ने बीना विधायक निर्मला सप्रे की परेशानी बढ़ा दी है। वहीं विधायक निर्मला सप्रे (Bina MLA Nirmala Sapre) के दलबदल की शिकायत पर कांग्रेस की याचिका हाईकोर्ट ने स्वीकार कर ली है। यानी अब तक बीजेपी से मेला बढ़ाकर कांग्रेस को छकाती आ रही बीना विधायक को अब मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है। इन सब उठापटक के बीच सबसे बड़ा सवाल क्षेत्र की जनता से जुड़ा है। क्षेत्र की जनता जानना चाहती है कि उनकी विधायक इस सत्र में शामिल होंगी या बजट सत्र की तरह गायब रहेंगी। कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी जॉइन करने की चर्चा के बीच बजट सत्र में विधायक सप्रे गायब रही थीं। इस वजह से बीना से जुड़ अहम प्रस्ताव विधानसभा तक पहुंच ही नहीं पाए थे। फिलहाल तो इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि बीना विधायक इस सत्र से पहले इस्तीफा देंगी या सत्र में शामिल होंगी। यदि सत्र में शामिल होंगी तो उनका आसन कहां होगा ?
सीनियर विधायक रामनिवास रावत ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से दशकों पुराना नाता तोड़ लिया था। वे मुरैना से नीटू सिकरवार को उम्मीदवार बनाए जाने से इतने नाराज थे कि विधायक से भी इस्तीफा देने का जोखिम भी भूल गए। उनसे कुछ महीने पहले बीना से पहली बार विधायक बनी निर्मला सप्रे को कांग्रेस की राजनीति रास नहीं आई। तीन महीने बाद ही उन्होंने अपनी पार्टी से दूरी बनाई और बीजेपी के आयोजनों में पहुंचने लगी थीं। हालांकि उन्होंने न तो बीजेपी की सदस्यता ली और न विधायक पद से त्याग पत्र दिया। बीजेपी के मंचों पर अपनी विधायक को देख कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया था।

विधानसभा सत्र की अधिसूचना से तनाव

विधायक निर्मला को विरोध के चलते कार्यक्रमों से दूरी बनानी पड़ी थी। विधायक सप्रे के दोहरे रवैए से नाराज कांग्रेस उन्हें विधानसभा में अपने साथ बैठाने भी तैयार नहीं थी। इसको लेकर कांग्रेस ने दल बदल की शिकायत कर सप्रे की विधायकी शून्य करने की मांग भी की थी। कांग्रेस के विरोध के कारण बीना विधायक महत्वपूर्ण होने के बाद भी बजट सत्र में विधानसभा नहीं पहुंच पाई थीं। विजयपुर में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए रामनिवास रावत को मंत्री पद भी जीत नहीं दिला सका। उन्हें जीत दिलाने पूरी सरकार सक्रिय रही लेकिन दलबदल का धब्बा रावत पर भारी पड़ गया। विजयपुर के चुनाव परिणाम देखकर बीना विधायक के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। हालांकि कांग्रेस अब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच चुकी है। कांग्रेस की सक्रियता से बीना विधायक तनाव में हैं, वहीं 16 दिसम्बर से विधानसभा सत्र की अधिसूचना ने इस मुश्किल को दोहरा कर दिया है।

कांग्रेस नाराज, बीजेपी का रुख नहीं साफ

बीना विधायक कांग्रेस को छकाते-छकाते अब खुद ही असमंजस में हैं। लोकसभा चुनाव की जीत के बाद विजयपुर में अपने पुराने कांग्रेसी साथी रामनिवास रावत की हार के बाद विधायक निर्मला सप्रे किंकर्तव्यविमूढ़ नजर आ रही हैं। बीजेपी जॉइन करने पर दलबदल की वजह से उनकी विधायकी जाना तय है। वहीं इस्तीफा देने के बाद दोबारा चुनाव जीतना भी उन्हें दुश्वार नजर आ रहा है। वहीं रामनिवास रावत पर खेला दांव हारने के बाद बीजेपी उन्हें बीना में उम्मीदवार बनाएगी या नहीं यह भी स्पष्ट नहीं है। कुल मिलाकर विधायक सप्रे अपने प्रतिकूल बनी परिस्थितियों की वजह से चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में सवाल ये है कि विधायक सप्रे विधानसभा पहुंचती हैं तो वे किस पक्ष के साथ होंगी। कांग्रेस उन्हें अपने साथ बैठाने तैयार नहीं है। वहीं बीजेपी के साथ बैठने पर बीना विधायक अपने उस दावे को झुठलाना नहीं चाहेंगी जिसमें उन्होंने दलबदल न करने का भरोसा दिलाया है।
Nirmala Sapre एमपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र