DPI से जो रूलबुक हुई खारिज, जनजातीय कार्य विभाग ने उसी पर दी जॉइनिंग

लोक शिक्षण संचालनालय कृषि संकाय के लिए उच्च माध्यमिक शिक्षक बनने के लिए हार्टिकल्चर विषय को अमान्य बता रहा है। डीपीआई बीते दिनों ही एग्रीकल्चर टीचर के लिए हार्टिकल्चर की डिग्री और रूल बुक को नकार चुका है।

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Sanjay Sharma
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MP Bhopal Agriculture Faculty teacher recruitment matter complicated
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BHOPAL. भगवान भरोसे चल रही प्रदेश की स्कूली शिक्षा को अफसर पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। जिसे जब मौका मिलता है वो व्यवस्था को मनमाने तरीके से उलझाने में लग जाता है। नया मामला कृषि संकाय में शिक्षक भर्ती से जुड़ा है। इस श्रेणी में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है, लेकिन दो विभागों में एक समान पदों पर भर्ती के अलग-अलग मापदंडों ने मामला उलझा दिया है। नियुक्ति में DPI (Directorate of Public Instruction) के मनमाने नियमों को लेकर अभ्यर्थी परेशान हैं। वे अफसरों से बात करने डीपीआई मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं। वहीं उनकी बात सुनने और उन्हें समझाने के लिए किसी के पास समय नहीं है। हम उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के तहत नियुक्ति प्रक्रिया के जिस गड़बड़झाले की बात कर रहे हैं वो अपने आप में अनोखा है। जब आप इसके बारे में समझेंगे तो आपको माथे पर भी बल पड़ना तय है। आप इस मामले के जरिए जान पाएंगे आखिर प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था कैसे लोगों के हाथ में है।

उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के तहत ये मामला क्या है आइए हम आपको बताते हैं। साल 2023 में स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती के लिए DPI ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसी दौरान जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों के लिए भी उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई। DPI और जनजातीय कार्य विभाग के लिए ईएसबी यानी कर्मचारी चयन मंडल द्वारा चयन परीक्षा का आयोजन किया गया। इसमें दोनों ही विभागों द्वारा एग्रीकल्चर विषय के लिए भी उच्च माध्यमिक शिक्षकों के ढाई- ढाई सौ पद पर भी नियुक्ति की जानी थी। मैरिट लिस्ट के आधार पर दोनों विभागों ने काउंसलिंग शुरू की थी। मैरिट होल्डर्स के दस्तावेजों के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही अब पेंच खड़ा हुआ है। 

हार्टिकल्चर की डिग्री और रूल बुक को नकारा

दरअसल, अब लोक शिक्षण संचालनालय यानी DPI कृषि संकाय के लिए उच्च माध्यमिक शिक्षक बनने के लिए हार्टिकल्चर विषय को अमान्य बता रहा है। डीपीआई बीते दिनों ही एग्रीकल्चर टीचर के लिए हार्टिकल्चर की डिग्री और रूल बुक को नकार चुका है। वहीं नियुक्ति प्रक्रिया के अंतिम दौर तक पहुंच चुके मैरिट होल्डर्स को भी बाहर कर दिया है। इस वजह से मैरिट होल्डर और वेटिंग सूची में शामिल हजारों अभ्यर्थी असमंजस में  फंस गए हैं। वहीं बीते सप्ताह ही जनजातीय कार्य विभाग ने एग्रीकल्चर टीचर के पदों पर हार्टिकल्चर डिग्रीधारियों के दावे स्वीकार करते हुए उन्हें नियुक्ति दे दी है। 

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हजारों अतिथि शिक्षक DPI से नाराज

DPI यानी लोक शिक्षण संचालनालय शिक्षक भर्ती के मामलों में रोड़ा अटकाने का शायद ही कोई मौका छोड़ता है। एक विवाद सुझलता नहीं कि अफसर अपने अड़ियल रवैए से दूसरी मुश्किल मोल ले लेते हैं। चार महीनों से जॉइनिंग को लेकर प्रदेश के हजारों अतिथि शिक्षक DPI से नाराज हैं। इधर नया विवाद साल 2022 में जारी शिक्षक भर्ती को लेकर हो गया है। संचालनालय ने जो इश्तेहार जारी किया था उसमें कृषि संकाय में अध्यापन के लिए शिक्षकों की भर्ती की जानी है। पात्रता और चयन परीक्षा के परिणाम की मैरिट लिस्ट के आधार पर बीते दिनों से प्रदेश में कृषि पाठ्यक्रम के शिक्षकों की भर्ती चल रही है। DPI ने हाल ही में दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान हॉर्टिकल्चर स्नातकों की डिग्री को अमान्य कर दिया है।

Directorate of Public Instruction 2

Directorate of Public Instruction

दस्तावेजों के सत्यापन के बाद कैसी आपत्ति

बीते महीने लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से अभ्यर्थियों को उनकी डिग्री को लेकर आपत्ति की गई थी। यह बताया गया कि कृषि संकाय में उच्च माध्यमिक शिक्षक के रिक्त पदों के विरुद्ध केवल कृषि पाठ्यक्रम में डिग्रीधारी ही मान्य है। इस जानकारी के साथ ही उनकी हॉर्टिकल्चर की डिग्री को अमान्य कर दिया गया। यानी जो अभ्यर्थी सारी औपचारिकता के बाद नौकरी मिलने की उम्मीद में खुश थे उनकी आस अब बिखरते दिख रही है।

यूनिवर्सिटी के नोटिफिकेशन में भी समकक्ष

एक ही डिग्री की अलग- अलग सालों में हुई भर्ती के लिए अलग अलग व्याख्या DPI का पुराना खेल रहा है। अफसर इस तुरुप चाल की बाजीगरी दिखाते रहे हैं। अभ्यर्थी रवि जाट, एसके चक्रधर, देव पाटीदार का कहना है, 21 सितंबर 2023 के राजपत्र में एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर सहित अन्य पाठ्यक्रमों का समकक्ष उल्लेख करते हुए रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। वहीं मध्य प्रदेश में किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग 20 अक्टूबर 2015 को अपने नोटिफिकेशन में भी उद्यानिकी और कृषि पाठ्यक्रम को बराबर बता चुका है। ग्वालियर स्थित राजमात विजया राजे सिंधिया कृषि कॉलेज भी दोनों डिग्रियों को बराबर मानता है। अभ्यर्थियों का तर्क है जब देश और प्रदेश के राजपत्र सहित कृषि कॉलेज दोनों पाठ्यक्रमों को समान मानता है। पिछली भर्ती तक DPI को भी आपत्ति नहीं थी फिर अचानक नया पेंच क्यों अटकाया जा रहा है।

नोटिफिकेशन और तर्कों पर भारी मनमानी

बुधवार को उच्च माध्यमिक शिक्षक पद के मैरिट होल्डर अभ्यर्थियों ने लोक शिक्षण संचालनालय पहुंचकर अधिकारियों को जनजातीय कार्य विभाग के नियुक्ति आदेश दिखाए। इसके साथ ही कृषि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और केंद्र व राज्य सरकार के कृषि विभाग के नोटिफिकेशन की प्रतियां दिखाते हुए अपने तर्क रखे। यह सब सुनने के बाद भी लोक शिक्षण संचालनालय के जिम्मेदारों ने अभ्यर्थियों की बात को सिरे से खारिज कर दिया। अफसरों का कहना था जनजातीय कार्य विभाग अलग है और वे किसी नियुक्ति देते हैं ये उनका अधिकार क्षेत्र है। वहीं साल 2021 में शिक्षक भर्ती में हार्टिकल्चर डिग्री को मान्य करने के सवाल पर भी अधिकारियों का गैरजिम्मेदारी भरा जवाब था। अधिकारियों ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पुरानी बात के लिए वे जिम्मेदार नहीं है। अब नियुक्त पत्र मिलने की उम्मीद सजाए बैठे सैकड़ों अभ्यर्थियों को समझ नहीं आ रहा आखिर वे करें तो क्या करें।

इस खबर से संबंधित 5 सवाल-जवाब

DPI ने हार्टिकल्चर डिग्री को क्यों अमान्य किया?
DPI ने हार्टिकल्चर डिग्री को कृषि संकाय के उच्च माध्यमिक शिक्षक पदों के लिए अमान्य किया है। उनका कहना है कि कृषि संकाय में शिक्षक बनने के लिए केवल कृषि पाठ्यक्रम में डिग्रीधारी ही पात्र हैं, जबकि हार्टिकल्चर को इसके समान नहीं माना गया है।
जनजातीय कार्य विभाग ने नियुक्ति क्यों दी?
जनजातीय कार्य विभाग ने कृषि शिक्षक पदों पर नियुक्ति देते समय हार्टिकल्चर डिग्रीधारियों के दावों को स्वीकार किया और उन्हें नियुक्ति आदेश जारी किए। विभाग का तर्क है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर काम कर रहे हैं, और इस निर्णय से वे संतुष्ट हैं।
क्या कृषि और हार्टिकल्चर डिग्री समान हैं?
कृषि और हार्टिकल्चर डिग्री को कई कृषि विश्वविद्यालय और सरकारी संस्थान समान मानते हैं। इसके बावजूद, DPI ने अचानक हार्टिकल्चर डिग्री को अमान्य कर दिया है, जबकि पहले कृषि पाठ्यक्रमों के लिए इसे मान्य माना जाता था। यह विवाद इस कारण उत्पन्न हुआ है कि DPI की तरफ से नए नियमों का पालन किया जा रहा है।
अभ्यर्थियों के लिए आगे क्या विकल्प हैं?
अब तक DPI द्वारा डिग्रीधारियों को नियुक्ति से बाहर किया गया है, जबकि जनजातीय कार्य विभाग ने उन्हें नियुक्ति दी है। अभ्यर्थी DPI से उनकी स्थिति स्पष्ट करने की उम्मीद लगाए हुए हैं और कई ने इस मुद्दे पर अधिकारियों से मुलाकात की है। अब उन्हें DPI की प्रतिक्रिया का इंतजार है, साथ ही कोर्ट जाने का विकल्प भी खुला हुआ है।
मामले में DPI के अधिकारी क्या कह रहे हैं?
DPI के अधिकारी इस विवाद से संबंधित किसी भी जिम्मेदारी को लेने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि वे पुराने मामलों से संबंधित निर्णयों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं और जनजातीय कार्य विभाग का निर्णय अलग है। वे इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं।

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