BHOPAL. मध्य प्रदेश की दो सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के नतीजों का असर बीना पर नजर आ रहा है। दलबदल के बाद बीजेपी उम्मीदवार रामनिवास रावत (Ramnivas Rawat) को विजयपुर में जनता द्वारा नकारे जाने के बाद बीना विधायक निर्मला सप्रे (Bina MLA Nirmala Sapre) की मुश्किल बढ़ गई है। कांग्रेस (Congress) पहले से ही निर्मला सप्रे की विधायकी शून्य कराने पर अड़ी है। बीना की सड़कों पर प्रदर्शन के साथ ही विधानसभा में भी उनकी शिकायत की जा चुकी है। ऐसे में दोबारा चुनाव मैदान में उतरना उनके लिए दोहरी परेशानी में डाल सकता है। निर्मला सप्रे भी रामनिवास रावत की तरह 2023 में हुए चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थीं। रावत की हार के बाद बीना विधायक के खेमे में सन्नाटा पसर गया है।
न रही मंत्री की कुर्सी, न बन पाए विधायक
हाल ही में प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें एक सीट बुधनी और दूसरी विजयपुर है। बुधनी सीट पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के लोकसभा पहुंचने के कारण खाली हुई है। वहीं विजयपुर विधायक रामनिवास रावत ने कांग्रेस छोड़ने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बुधनी में तो शिवराज की जगह मैदान में उतरे रमाकांत भार्गव जीतने में कामयाब रहे लेकिन विजयपुर में रावत की चाल उल्टी पड़ गई। मंत्री बनने के चक्कर में रावत विधायकी छोड़कर मैदान में उतर पड़े थे। उन्हें पूरी उम्मीद थी मंत्री के रूप में जनता उन्हें समर्थन देगी, लेकिन दलबदल को मतदाताओं ने नकार दिया। यानी रावत को मंत्री पद की प्रतिष्ठा के मोह में अपनी विधायकी तक गंवानी पड़ गई।
विजयपुर में हार, बीना में सदमे का असर
पूर्व वन मंत्री रामनिवास रावत की पराजय श्योपुर की विजयपुर विधानसभा सीट पर हुई है, लेकिन इसका असर करीब 300 किमी दूर बीना विधायक के खेमे में दिख रहा है। रामनिवास रावत की तरह बीना विधायक निर्मला सप्रे भी 2023 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंची थीं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वे कई बार सीएम डॉ.मोहन यादव और बीजेपी नेताओं के मंच पर दिखती रही हैं। हांलाकि उन्होंने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्या नहीं छोड़ी है। कांग्रेस उनकी विधायकी शून्य कराने में जुटी है। विधायक निर्मला को पहले ही इसका अंदेशा हो गया था। वे रावत के चुनाव को लिटमस टेस्ट की तरह देख रही थीं। शायद यही वजह है कि सीएम और जिले के बीजेपी नेताओं की पहल के बावजूद विधायकी छोड़ने तैयार नहीं हुईं। अब वे विधानसभा क्षेत्र की तासीर को नए सिरे से समझने में जुट गई हैं।
करना होगा दोहरी चुनौती का सामना
विधायक निर्मला सप्रे एक दशक से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहीं थी और 2023 में बीजेपी के महेश राय को पराजित कर पहली बार विधायक बनी हैं। महेश राय बीना से दो बार विधायक रहे हैं। निर्मला सप्रे 2013 के चुनाव में राय के सामने पराजित हुई थीं। दस साल बाद यानी 2023 में सप्रे ने दो बार के विधायक महेश राय को पराजित कर उनकी सीट छीन ली। यही नहीं चार महीने बाद ही सप्रे ने बीजेपी में भी सेंध लगी ली थी। उनके बीजेपी के आयोजनों में पहुंचने और जिला एवं प्रदेश के नेताओं द्वारा तवज्जो देने से पूर्व विधायक और उनके खेमे के बीजेपी नेता भी नाराज हैं।
उधर, कांग्रेस तो खुलेआम सड़क पर मोर्चा खोल चुकी है। बीजेपी के असंतुष्ट नेता भी विधायक के विरोध को हवा देने में लग गए हैं। इन परिस्थितियों में बीना विधायक निर्मला सप्रे को फिर चुनाव मैदान में उतरना पड़ा तो बड़े संकट में फंस सकती हैं।
शंका, क्योंकि विजयपुर में काम न आया सरकार का ग्लैमर
विधायक निर्मला सप्रे ने फिलहाल राजनीतिक आयोजनों से दूरी बना ली है। ऐसा कर वे बीजेपी का दामन थामने के कांग्रेस के आरोप से बच रही हैं। वहीं विधायक बनने के बाद नाराज पूर्व बीजेपी विधायक महेश राय और दूसरे नेताओं की नाराजगी भी कम करने की कोशिश कर रही हैं। उधर, विधायक खेमे में भी सनाका खिंचा हुआ है। सप्रे कैंप संशय में डूबा हुआ है।
विजयपुर की हार के बाद कार्यकर्ताओं का कहना है दलबदल से नाराज जनता को सीएम के धुंआधार दौरे मना पाए न रावत को मिला मंत्री पद उन्हें चुनाव जिता पाया। बीना में तो मामला ही उल्टा है। यहां जिले की घोषणा न होने से पहले ही लोग नाराज हैं। हार की वजह से पूर्व विधायक टसल में हैं। संगठन में खुद से ज्यादा कांग्रेसी विधायक को तवज्जो मिलने से बीजेपी नेता भी सप्रे से नाराज हैं।
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