BHOPAL. मध्य प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) और पेसा कानून (PESA) को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए टास्क फोर्स का पुनर्गठन किया गया है। टास्क फोर्स की अध्यक्षता मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। शीर्ष समिति में तीन उपाध्यक्ष, सदस्य सचिव, सदस्य सह सचिव बनाए गए हैं। टास्क फोर्स के पुनर्गठन को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। 13 सदस्यों की समिति का कार्यकाल दो साल का रहेगा।
मुख्यमंत्री होंगे समिति के अध्यक्ष
शीर्ष समिति की अध्यक्षता मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। शीर्ष समिति में जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल और वन मंत्री रामनिवास रावत को उपाध्यक्ष बनाया हैं। साथ ही मुख्य सचिव अनुराग जैन पदेन सदस्य सचिव और जनजातीय कार्य विभाग प्रमुख सचिव पदेन सदस्य सह सचिव होंगे।
कार्यकारी समिति के अध्यता भी मुख्यमंत्री करेंगे। इसमें समिति में मुख्य सचिव समेत कई अधिकारी, विधि और विषय विशेषज्ञ, दो पूर्व विधायक सदस्य होंगे। इस समिति में पूर्व विधायक भगत सिंह नेताम और राम डांगोरे सदस्य बनाए गए हैं। मप्र जनजातीय मंत्रणा परिषद के डॉ. रूपनारायण मांडवे और कालू सिंह मुजाल्दा सदस्य होंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर होगी शीर्ष समिति की बैठक
टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य राज्य में एफआरए और पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है ताकि आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और उनका समुचित उपयोग हो सके। आदेश के अनुसार मुख्यमंत्री के निर्देश पर साल में दो बार शीर्ष समिति की बैठक होगी। और कार्यकारी समिति की बैठक आवश्यकता अनुसार बुलाई जाएगी।
टास्क फोर्स के काम
- एफआरए (FRA) में सीएफआरआर (CFRR) प्रावधानों की संभावित क्षेत्रों की मैपिंग की जाएगी। यह कार्य जिलेवार सूची तैयार करने और अन्य संभावित क्षेत्रों के चिन्हांकन के लिए किया जाएगा। इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों को चिन्हित करना है जहां वन अधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) का विस्तार किया जा सकता है।
- टास्क फोर्स एफआरए और पेसा से संबंधित लंबित प्रकरणों का आकंलन करेगी। राज्य में एफआरए और पेसा से जुड़े सभी लंबित मामलों का जिलेवार आकंलन किया जाएगा ताकि कार्रवाई की जा सके।
- टास्कफोर्स द्वारा राज्य शासन के संबंधित विभागों और डीएलसी (District Level Committee) और जिला पंचायतों को एफआरए और पेसा के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए रणनीति और कार्य योजनाओं के लिए अनुशंसाएं प्रदान की जाएंगी। प्रस्तावित अनुशंसाओं के प्रशासकीय अनुमोदन के बाद, इन कार्यों की समयबद्ध क्रियान्वयन प्रक्रिया का मूल्यांकन और पर्यवेक्षण किया जाएगा।
- टास्कफोर्स राज्य में एफआरए और पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अन्य उपायों और अनुशंसाओं को समझेगी। इन सभी अधिकारियों को टास्कफोर्स के दिशा निर्देश, रणनीति और कार्य योजनाओं का पालन करना होगा। साथ ही, इन योजनाओं का समयबद्ध तरीके से कार्यान्वयन करना आवश्यक होगा।
जानें क्या है पेसा कानून?
मध्य प्रदेश में पेसा कानून 15 नवंबर 2022 को लागू किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में पेसा कानून लागू किया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय समुदाय के हित में इस कानून का ऐलान किया था। सरल शब्दों में कहें तो यह आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन पर हक देने का कानून है, इस एक्ट के माध्यम से ग्रामसभा को शक्तिशाली बनाया जा रहा है।
एमपी में कानून लागू करने में लगे 27 साल
यह कानून में आदिवासी समुदाय की पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था को मान्यता देता है। केंद्र सरकार ने पेसा कानून को साल 1996 में लागू किया था। मध्य प्रदेश के झाबुआ के सांसद रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता वाली समिति की अनुशंसा पर ही यह मॉडल कानून बना था। लेकिन 1996 को लागू पेसा एक्ट को मध्य प्रदेश में लागू करने में 27 साल लग गए। इससे पहले देश के 6 राज्यों हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र ने पेसा कानून बनाए गए हैं। शिवराज सरकार ने स्पष्ट किया था कि यह एक्ट किसी के खिलाफ नहीं है। यह प्रदेश के 89 जनजातीय ब्लॉक में लागू किया जाएगा। यह शहरों में नहीं गांव में लागू होगा।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक