BHOPAL. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के चीतों को अब पर्यटक देख सकेंगे। अग्नि और वायु नाम के चीतों को सबसे पहले पालपुर पूर्वी रेंज में छोड़ा जाएगा। प्रभास और पावक को जंगल के दूसरे हिस्से में छोड़े जाने की तैयारी है। चीतों को अक्टूबर के आखिर तक खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। हालांकि, सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें शुरुआत में एक सीमित बाड़े में रखा जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण अफ्रीका और केन्या से चीतों के तीसरे बैच को लाने पर चर्चा चल रही है।
चीतों के लिए दूसरा घर बनाने की तैयारी
एनटीसीए के अधिकारियों ने बताया कि चीतों की मॉनीटरिंग करने वाली कमेटी की सिफारिशों के बाद चीता अग्नि और वायु को छोड़े जाने का फैसला किया है। वहीं, कूनो के बाद गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य को चीतों के लिए दूसरा पर्यावास बनाने की तैयारी है। यह अभयारण्य मंदसौर और नीमच जिलों की उत्तरी सीमा पर है। 368 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
गौरतलब है कि सितंबर 2022 और फरवरी 2023 के बीच नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुल 20 चीते भारत लाए गए थे। हालांकि, इनमें से कुछ चीतों की मौत हो गई है। अब 24 चीते (12 शावक और 12 वयस्क) कूनो में सुरक्षित हैं। इनमें से ज्यादातर को सुरक्षित बाड़ों में रखा गया है।
गुजरात आएंगे केन्या के चीते!
चीता प्रोजेक्ट के तहत भारत हर साल 12 से 14 चीते अफ्रीकी देशों से लाने की योजना पर काम चल रहा है। लगातार पांच साल तक अफ्रीकी देशों से चीता भारत लाए जाते रहेंगे। गुजरात के बन्नी घास मैदान में भी चीता सेंटर बनाया जा रहा है, जहां केन्या से चीते लाए जा सकते हैं।
चीतों को लेकर FAQs
1. चीते कहां से लाए गए हैं?
चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए हैं। सितंबर 2022 में 8 चीते नामीबिया से और फरवरी 2023 में 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए थे।
2. कूनो नेशनल पार्क में कितने चीते हैं?
कूनो नेशनल पार्क में अभी 24 चीते हैं, जिनमें 12 शावक और 12 वयस्क चीते शामिल हैं। इनमें से कई चीतों को सुरक्षा कारणों से बाड़ों में रखा गया है।
3. चीतों को जंगल में कब छोड़ा जाएगा?
अक्टूबर 2024 के अंत तक दो चीते अग्नि और वायु को जंगल में छोड़ने की योजना बनाई गई है। यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। आगे दूसरे चीतों का नंबर आएगा।
4. गांधीसागर अभयारण्य क्यों चुना गया है?
कूनो के बाद गांधीसागर अभयारण्य को चीतों के लिए दूसरा घर बनाने की योजना है। यहां चीतों के लिए पर्याप्त पर्यावास और शिकार की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
5. चीतों की मौत का कारण क्या रहा है?
कुछ चीतों की मौत टिक संक्रमण और सेप्टीसीमिया के कारण हुई थी, विशेष रूप से मानसून के मौसम में। इसलिए बाकी चीतों को बाड़ों में रखा गया है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक