दूर हुआ कन्फ्यूजन कि कब है दीपावली, ज्योतिषाचार्यों ने बताई अमावस्या की तारीख, जानें महाकाल मंदिर में कब जलेंगे दीये

इस साल दीपावली की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। कुछ ज्योतिषाचार्य दीपावली 31 अक्टूबर को कह रहे हैं तो कुछ 1 नवंबर को दिवाली की बात कह रहे हैं। इस स्थिति में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल दीपावली कब है?

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Vikram Jain
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BHOPAL.हर साल दिपावली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता हैं। लेकिन इस साल दीपावली कब मनाई जाए? इसे लेकर असमंजस बना हुआ है। दीपावली किस तारीख में है इसको लेकर अभी भी ज्योतिषाचार्य की अलग-अलग राय हैं। दीपावली मनाने को लेकर उज्जैन और इंदौर के ज्योतिषाचार्य एकमत नहीं हैं। इंदौर में ज्योतिष और विद्वत परिषद की बैठक में विद्वानों ने 1 नवंबर को दीपावली मनाया जाना का तय किया था। वहीं, उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों ने शास्त्र सम्मत दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाना सही बताया है। महाकालेश्वर मंदिर में 31 अक्टूबर को ही दीवाली मनाई जाएगी।

31 अक्टूबर को ही क्यों मनाई जाए दीपावली

31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाए जाने के पीछे उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों का मत है कि 31 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 3 मिनट के बाद अमावस्या लग जाएगी। जबकि, 1 नवंबर को अमावस्या शाम 5 बजकर 38 मिनट तक ही रहेगी और 5.46 से सूर्यास्त होगा। दीपावली का पूजन रात में ही होता है। ऐसे में अमावस्या 1 नवंबर को नहीं, 31 अक्टूबर को लग रही है। इसलिए दीपावली 31 को ही मनाना चाहिए।

31 को ही दीपावली मानना उचित

31 अक्टूबर को दीपोत्सव मनाने को लेकर पंडित अमर डिब्बेवाला कहते हैं कि धर्म सिंधु के अनुसार चतुर्दशी युक्त अमावस्या को ग्रहण कर लेना चाहिए। 31 की दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर चतुर्दशी तिथि रहेगी, इसके बाद अमावस्या लगेगी। 31 को ही प्रदोष काल में पर्व मानना शास्त्रों के हिसाब से उचित है। सौर्य मत (सोलर कैलेंडर) की गणना, चंद्र मत (लूनर कैलेंडर) की गणना से भी यही उचित है। प्रतिपदा दिवस काल में अच्छी होती है, रात में इसे गलत होती है। 1 नवंबर की रात में काल में या प्रदोष काल के बाद प्रतिपदा लगेगी। शास्त्र कहता है कि 31 को ही दीवाली मनाना चाहिए।

दीपावली 1 नवंबर को मनाना गलत

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य आनंद शंकर व्यास के अनुसार दिपावली की पूजा प्रदोष काल में अमावस्या तिथि में करना ही शास्त्र सम्मत है। अमावस्या की प्राप्ति 31 अक्टूबर की शाम को है। इस दिन शाम 4 बजकर 3 मिनट के बाद अमावस्या लगेगी। लक्ष्मी पूजन इसी दिन है। दूसरे दिन 1 नवंबर को अमावस्या शाम 5 बजकर 38 मिनट तक है। शाम 5 बजकर 46 मिनट को सूर्यास्त होगा। इसके पहले अमावस्या खत्म होगी। इसलिए इस इन (1 नवंबर) को दीपावली नहीं मानी जाएगी। शास्त्र अनुसार 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना ठीक है। 1 नवंबर को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, 1 नवंबर को दीपावली मनाना गलत है। 

जानें यह असमंजस क्यों?

इस असमंजस को लेकर मध्य प्रदेश वैदिक और विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा का कहना है कि देश में दो प्रकार के पंचांग प्रकाशित किए जाते हैं। पहला चित्रा पक्ष आयन पर आधारित पंचांग होता है। इसे कम्प्यूटराइज्ड पंचांग भी कहते है। इसकी संख्या 150 से ज्यादा है। दूसरा ग्रह लाघव पद्धति होता है यह पंचांग रेवती पक्ष आयन पर आधारित होता है। इसे ट्रेडिशनल पंचांग भी कहते हैं। इन दोनों पंचांगों में अंतर रहता है।

दोनों पंचांगों में तिथि पर्वों की गणना को लेकर कई बार 2 घंटे से भी ज्यादा समय का अंतर रहता है। दोनों में दीपावली की तिथि अलग-अलग है। चित्रा पक्ष पंचांग के हिसाब से 1 नवंबर को दीपावली की जानकारी है। तो ग्रह लाघव पद्धति में 31 अक्टूबर को पर्व मनाए जाने को लेकर कहा गया है। दोनों पंचांगों के हिसाब से विद्वान पंडित अपने - अपने मत पर अडिग रहेंगे। चूंकि, जो पंचांग ज्यादा निकलता है, उस पर सबकी सहमति होनी चाहिए।

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