मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में अब तक 11 हाथियों की मौत के बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है। हाथियों की मौत के बाद हाथी संरक्षण के लिए सरकार के प्रयासों पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन सामने यह है आया है कि साल 2018 से एमपी में डेरा डालने हाथियों की देखरेख और उनके संरक्षण के लिए चलाई जा रही हाथी परियोजना बंद पड़ा है। हाथियों के संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है। बजट के अभाव में ठीक से हाथियों की देखरेख नहीं हो पा रही है।
केंद्र सरकार से नहीं मिला बजट
सरकार ने प्रदेश में 80 हाथियों की मौजूदगी होना बताते हुए प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार से फंड मांगा था लेकिन केंद्र से बजट नहीं मिल पाया। हालांकि हाथियों के नाम पर कैंपा फंड से कुछ फंड मिल रहा है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। प्रदेश सरकार भी हाथी प्रबंधन के लिए कोई खास राशि व्यय नहीं कर रही है।
बजट का अभाव, नहीं मिल रही वनकर्मियों को ट्रेनिंग
हाथियों के मौत के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गंभीरता जताते हुए कहा था कि प्रदेश में हाथी टास्ट फोर्स का गठन किया जाएगा। हाथी- मानव सह अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए हाथी मित्र बनाए जाएंगे। लेकिन इससे पहले भी वन विभाग ने पहले भी हाथी मित्र दल बनाने की पहल की थी लेकिन बजट के अभाव वन कर्मचारियों का बेहतर प्रशिक्षण नहीं मिल सका और ना ही टीम का गठन किया जा सका।
हाथी और बाघ परियोजना को एक किया
मध्य प्रदेश में 2018 से हाथियों का आवाजाही बढ़ने लगी थी, इसके बाद शहडोल, उमरिया, डिंडौरी और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों में हाथियों ने स्थायी रूप से डेरा डाल लिया। हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए सरकार 2021 से हाथी परियोजना के लिए केंद्र सरकार से बजट मांग रही है। वन विभाग के अनुसार हाथी परियोजना को बाघ परियोजना के जोड़ कर दोनों का एक साथ प्रबंधन किया जा रहा है।
तीन साल में एक ही बार मिले 30 लाख रुपये
जानकारी के अनुसार हाथियों के प्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार से 3 साल में एक ही बार ही बजट मिला है। जो 30 लाख का था। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार से कोई बजट नहीं मिला। राज्य सरकार ने भी इसके लिए कोई प्रविधान नही किया। सरकार ने 2023-24 के लिए केंद्र से 65 लाख रुपए की डिमांड की थी, जिसमें 30.80 लाख रुपए मिले थे, जिसमें 18 लाख रुपए खर्च किए गए। इससे पहले 2022-23 के लिए 62 लाख रुपए मांगे थे, लेकिन केंद्र से कोई बजट पास नहीं हुआ, राज्य सरकार ने 17.65 लाख रुपए व्यय किए।
एक परियोजना में दो प्रबंधन
मध्य प्रदेश के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) वन्यजीव एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि मध्य प्रदेश में हाथी परियोजना को बाघ परियोजना में ही जोड़ लिया गया है। हाथी और बाघ दोनों का प्रबंधन एक परियोजना के तहत किया जा रहा है। केंद्र सरकार से समय-समय पर बजट मांगा जाता है। केंद्र से कुछ वित्तीय मदद भी मिली है।
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