SBI के पूर्व AGM और 5 परिजनों को जेल, मामले में 19 साल बाद CBI कोर्ट ने सुनाई सजा

सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में SBI के पूर्व एजीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और उनके परिवार के 5 अन्य सदस्यों को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने सभी को सलाखों के पीछे भेजा है।

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Vikram Jain
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Former SBI AGM Jitendra Pratap sentenced CBI special court
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BHOPAL. मध्य प्रदेश में केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) की स्पेशल कोर्ट ने 19 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के मामले में फैसला सुनाया है। विशेष अदालत ने मामले में SBI के रिटायर्ड अधिकारी, उनके परिवार के 5 सदस्यों और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पूर्व अधिकारी 32 लाख 22 हजार 250 रुपए का जुर्माना लगाते हुए तीन साल जेल सुनाई है। यह अर्थदंड नहीं भरने पर तीन महीने अतिरिक्त जेल होगी।

पूर्व अधिकारी को 3 साल की जेल और जुर्माना

सीबीआई की विशेष अदालत के जज अरविंद कुमार शर्मा ने आय से अधिक मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पूर्व सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) जितेंद्र प्रताप सिंह को दोषी ठहराते हुए 3 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने जितेंद्र प्रताप सिंह पर 32 लाख, 22 हजार 250 रुपए के जुर्माने से दंडित किया है। यह जुर्माना नहीं भरने पर पूर्व अधिकारी सिंह को तीन महीने और जेल में रहना पड़ेगा। इस राशि की वसूली के लिए उनकी प्रॉपर्टी को बेचा जाएगा।

पत्नी, बे​टियों और दामाद को भी जेल

इसके कोर्ट ने जितेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी किरण सिंह, बेटी अन्वेषा, गरिमा और नम्रता, दामाद समीर सिंह और सीए को एक-एक साल की सजा सुनाई है। इन लोगों पर कोर्ट ने 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।  

जानें पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने साल 2005 में भ्रष्टाचार से संबंधित धाराओं में सभी आरोपियों पर केस दर्ज था। रिटायर्ड एजीएम जितेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ जांच के दौरान सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने कई चल-अचल संपत्तियों के दस्तावेज जब्त किए थे। जांच के दौरान आवास से प्रॉपर्टी और सोने-चांदी की ज्वेलरी और कई बैंक खातों के दस्तावेज मिले थे। 2007 में सीबीआई ने चार्जशीट दायर कर आरोप लगाया गया था कि जितेंद्र प्रताप सिंह ने 1 जनवरी 1999 और 2 अप्रैल 2005 के बीच लगभग 37 लाख 13 हजार 113 रुपए की संपत्ति अर्जित की थी।

मामले में इन आरोपियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की धारा 109 (अपराध के लिए उकसाना) के तहत दोषी करार दिया था। कोर्ट ने फैसले में कहा कि यह संपत्तियां बैंक अधिकारी, उनकी पत्नी और बेटियों के नाम पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कई शाखाओं में फर्जी खातों के माध्यम से जमा की गई थीं।

अवैध रूप से अर्जित की संपत्ति

आय से अधिक संपत्ति के मामले में ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने 94 गवाह पेश किए। जबकि बचाव पक्ष की ओर 15 गवाह पेश हुए। कोर्ट ने कहा कि जितेंद्र ने 32 लाख 22 हजार 253 रुपए से ज्यादा की अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की थी। जो 1999 से 2005 के बीच वैध आय से ज्यादा थी। कोर्ट ने जितेंद्र को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में उल्लंघन करने का दोषी पाया। इसके बाद कोर्ट ने सजा सुनाई।

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