मध्य प्रदेश खेल विभाग को अपने गोल्ड मेडिलिस्ट एथलीट्स के कारण बड़ा झटका लगा है। खेल विभाग की एथलेटिक अकादमी की नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट थ्रोअर शालिनी चौधरी डोपिंग टेस्ट में फेल हो गई हैं। शालिनी की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है। नाडा (National Anti doping Agency) की जारी लिस्ट में शालिनी चौधरी को प्रतिबंधित दवा लेने का दोषी पाया गया है। जिसके अनुसार अब शालिनी चौधरी के खेलने पर दो साल के लिए बैन रहेगा। साथ ही गोल्ड मेडल भी छिनेगा।
प्रतिबंधित पदार्थ लेने की दोषी
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने देशभर के 96 एथलीट्स को डोपिंग का दोषी ठहराया है। नाडा ने कार्रवाई को लेकर खिलाड़ियों की लिस्ट भी जारी की है। 6 पेज की सूची में शालिनी चौधरी का नाम 93 नंबर हैं। शानिली को मेटंडिएनोन मेटाबोलाइट नामक प्रतिबंधित पदार्थ लेने का दोषी पाया गया है।
एमपी को दिलाया था गोल्ड मेडल
21 साल की शालिनी चौधरी मूल रूप से यूपी की रहने वाली है, लेकिन 2017 से मध्य प्रदेश राज्य एथलेटिक अकादमी में ट्रेनिंग ले रही हैं और एमपी की ओर से ही नेशनल स्पर्धाओं में खेल रही हैं। शालिनी चौधरी ने पिछले साल रांची में हुए 26वें नेशनल फेडरेशन कप की विमेंस डिसकस थ्रो इवेंट में (49.35 मीटर ) पहला स्थान हासिल किया था और मप्र को गोल्ड मेडल दिलाया था।
इवेंट में दूसरे स्थान पर पंजाब की परमजोत कौर (48.76) रही थी, जबकि तीसरे स्थान पर ओडिशा की सालमी किसपोटा (46.31 मीटर) रही थी। चौथे स्थान पर राजस्थान की भारती कुमारी (45.63 मीटर ) रही थी।
शालिनी से छिन जाएगा मेडल
अब राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी के एक्शन के बाद शालिनी चौधरी के मेडल छिनने से भारती कुमारी ब्रॉन्ज मेडल की हकदार बन जाएंगी। दूसरे और तीसर स्थान पर रही क्रमश: परमजोत और सालमी किसपोटा के मेडल भी बदल जाएंगे। यानी गोल्ड और सिल्वर हो जाएंगे।
शालिनी का कोच भी रह चुका है डोपिंग का दोषी
बता दें कि मप्र खेल एवं युवा कल्याण विभाग की एथलेटिक अकादमी भोपाल स्थित टीटी नगर स्टेडियम में संचालित है। अकादमी के चीफ कोच एसके प्रसाद हैं। शालिनी को संदीप सिंह कोचिंग दे रहे हैं। कोच संदीप सिंह मूल रूप से आर्मी में खिलाड़ी रहे हैं और आजकल एमपी एथलेटिक अकादमी में थ्रोअर इवेंट (शॉटपुट, डिसकस और हेमर) के खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।
नाडा से मिली जानकारी के अनुसार संदीप सिंह भी खिलाड़ी रहते डोपिंग के दोषी पाए गए थे और उन चार साल का बैन लगाया गया था। अब खुद डोपिंग का दोषी रह चुके कोच को कोचिंग की कमान देने को लेकर सवाल उठ रहे है।
यहां बता दें खेल विभाग की संचालित अकादमियों में राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं खिलाड़ियों को मुहैया कराई जाती हैं और इन पर हर साल करोड़ों रुपए का खर्च किए जा रहे हैं।
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