IRC सेमिनार में गधा शब्द पर छिड़ा विवाद, डामर की गुणवत्ता पर उठे सवाल

भोपाल के रविन्द्र भवन में हुए इंडियन रोड कांग्रेस के सेमिनार में गधा शब्द पर विवाद हो गया। यह सेमिनार सड़क और पुल के निर्माण में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर चर्चा के लिए रखा गया था। जानें पूरा मामला

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Vikram Jain
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MP Bhopal Indian Road Congress Seminar Controversy over the word donkey
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BHOPAL. भोपाल के रविन्द्र भवन में आयोजित इंडियन रोड कांग्रेस (Indian Road Congress) का दो दिवसीय सेमिनार खत्म हो गया है। यह सेमिनार (Seminar) सड़क और पुल निर्माण में आधुनिक तकनीकों पर चर्चा करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, लेकिन पैनल चर्चा के दौरान 'गधा' (donkey) शब्द के प्रयोग पर विवाद छिड़ गया। दरअसल, क्या हुआ कि जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एसके वर्मा ने पैनलिस्ट डॉ. संजय श्रीवास्तव के द्वारा की गई टिप्पणी पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने इंजीनियर्स को "गधा हम्माली" कहकर संदर्भित किया। डॉ. संजय श्रीवास्तव ने तुरंत अपने बयान को वापस लिया, लेकिन यह विवाद चर्चा का मुख्य केंद्र बन गया।

गधा शब्द और उसका विवाद

पैनलिस्ट डॉ. संजय श्रीवास्तव ने सेमिनार में कहा कि इंजीनियर्स बिना उचित ट्रेनिंग के "गधे की तरह" काम कर रहे हैं, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एसके वर्मा ने इस बयान पर ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि इंजीनियर्स को 'गधा' कहना अनुचित है। श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि उनका मतलब काम करने की कठोर स्थितियों से था, लेकिन उन्होंने फिर भी अपनी टिप्पणी वापस ले ली।

डामर की गुणवत्ता पर सवाल

सेमिनार में सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले डामर की गुणवत्ता पर गंभीर रूप से  सवाल उठाए गए। चीफ इंजीनियर एसके वर्मा ने डामर की घटिया गुणवत्ता और उसकी जांच प्रक्रिया की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सर्कुलर जारी होने के बावजूद, डामर का टेस्ट सही ढंग से नहीं हो पाता, क्योंकि इसके लिए आवश्यक उपकरण मौजूद नहीं हैं। वर्मा ने आगे कहा कि इस मुद्दे को नियंत्रित करने के लिए बड़े स्तर पर योजना बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि 2010-11 में छिंदवाड़ा में बनाई 27 सड़कें अब भी अच्छी स्थिति में हैं, जबकि अन्य सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं।

डामर की डगमगी का खुलासा

चीफ इंजीनियर वर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि डामर की गुणवत्ता में बड़े स्तर पर धांधली हो रही है, जिसे नियंत्रण में लाना जरूरी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इस पर ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। IRC महासचिव एसके निर्मल ने इस मामले को "हाई-लेवल" का बताया और कहा कि रिफाइनरी से बाहर निकलने के बाद डामर की गुणवत्ता पर जिम्मेदारी ठेकेदारों की होती है। उन्होंने कहा कि क्वालिटी की जिम्मेदारी रिफाइनरी तक सीमित न रहकर, साइट तक भी होनी चाहिए।

नई तकनीकों पर पैनल की चर्चा

सेमिनार के अंतिम सत्र में नई निर्माण तकनीकों पर भी गहन चर्चा हुई। इसमें IRC महासचिव एसके निर्मल, पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर-इन-चीफ आरके मेहरा, एनएचएआई के अधिकारी एसके सिंह, आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर एमए रेड्डी के अलावा अन्य विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। पैनल ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और गति को बेहतर बनाया जा सकता है।

जिम्मेदारों की उपस्थिति और सेमिनार की स्थिति

अंतिम सत्र में सेमिनार में नई तकनीकों पर चर्चा के अलावा डामर की गुणवत्ता और इंजीनियरिंग कार्यशैली पर खुलकर सवाल- जवाब के साथ चर्चा की गई। सेमिनार के समापन के दौरान बिजली भी उस समय गुल हुई जब मंच पर एक्सपर्ट अपनी बात रख रहे थे। हालांकि, गधा शब्द पर हुए विवाद ने भी कार्यक्रम में खासा ध्यान खींचा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के उद्घाटन के बाद की इस चर्चा ने सड़क निर्माण की वर्तमान स्थिति और उसकी चुनौतियों को उजागर किया।

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