BHOPAL. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई में महायुति की प्रचंड जीत की पूरे देश में चर्चा है। जीत के बाद महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं के सिर पर सेहरा सजने लगा है। बीजेपी को इस जीत तक पहुंचाने में मध्य प्रदेश के भी कई नेताओं का योगदान रहा है। इसमें कुछ कैलाश विजयवर्गीय और विश्वास सारंग जैसे चर्चित मंत्री है तो कुछ ऐसे नेता भी हैं जो गुपचुप रहकर दिनरात जुटे रहे। युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे (Dr. Nishant Khare) उनमें से एक ऐसा ही नाम है। खरे युवा आयोग के बाद अब आदिवासी मतदाताओं के बीच खासे सक्रिय हैं। इसी वजह से संगठन इस समुदाय में पकड़ मजबूत करने उन पर भरोसा जताता आ रहा है। डॉ. खरे ने महाराष्ट्र चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश के नेतृत्व में जीत की इबारत लिख दी।
बीजेपी ने सौंपा था 48 सीटों का दायित्व
बीजेपी के युवा नेता डॉ. निशांत खरे के हिस्से में महाराष्ट्र चुनाव की अहम जिम्मेदारी आई थी। मंत्री विजयवर्गीय और सारंग के बाद वे प्रदेश के तीसरे ऐसे नेता हैं जो पूरे चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में बीजेपी उम्मीदवारों की जीत तय करने में जुटे रहे। खरे को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी संगठन ने 48 सीटों का दायित्व सौंपा था। इनमें से 43 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई है। महाराष्ट्र में जिन सीटों की जिम्मेदारी खरे के हिस्से में आई थी उनसे से 12 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग की है। यानी इन सीटों पर एसटी वर्ग के मतदाता सबसे ज्यादा संख्या में है और वे ही यहां उम्मीदवारों की हार-जीत तय करते हैं।
युवा नेता निशांत खरे ने पार्टी के आदेश पर न केवल इस चुनौती को संभाला बल्कि लगातार मेहनत के बाद इन सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने में कामयाब रहे। नतीजा शनिवार को आए परिणाम के रूप में सामने आया है। खरे की मेहनत के चलते पार्टी ने एसटी वर्ग के लिए आरक्षित 12 में से 10 सीटों पर कब्जा जमाया है।
बने थे गौरव यात्रा के अगुआ
निशांत खरे मालवा-निमाड़ अंचल के युवा और सक्रिय नेता हैं। अनुसूचित जाति वर्ग में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही उन्हें युवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से आने वाले निशांत प्रदेश में वीरांगना रानी दुर्गावती की गौरव यात्रा की जिम्मेदारी भी सफलता के साथ संभाल चुके हैं। वे मालवा अंचल में लगातार सक्रिय हैं और इसके चलते अब इस अंचल में बीजेपी के हिस्से में आदिवासी सीटें बढ़ती जा रही हैं। पेशे से सर्जन डॉ.निशांत खरे जनजातीय वर्ग में काफी लोकप्रिय हैं। वे आदिवासी खेलों के संरक्षण के लिए काम करते रहे हैं। वे बिरसा मुंडा क्रिकेट लीग के आयोजन के माध्यम से भी लंबे समय तक चर्चा में रहे थे। इस आयोजन से हजारों आदिवासी युवा एक मंच पर जुटे हैं।
जयस की काट बने हैं खरे
मालवा-निवाड़ अंचल में जयस की बढ़ती ताकत को देखते हुए बीजेपी भी प्रयास कर रही है। इसके लिए आदिवासी समुदाय में लोकप्रिय निशांत खरे को आगे बढ़ाया गया है। आमजन से सीधे संपर्क में रहने वाले खरे के प्रयासों का कमाल बीते विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर नजर आ चुका है। वे सामाजिक मंचों से हिन्दुत्व के साथ आदिवासियों के हितों की पैरवी करते रहे हैं। महू में स्वाभिमान यात्रा के जरिए मजबूत मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं।
महापौर पद के लिए आए थे चर्चा में
अपने सरल, सौम्य व्यवहार के चलते युवाओं में लोकप्रिय डॉ. निशांत खरे का नाम पहले इंदौर महापौर प्रत्याशी के तौर पर तेजी से उभरा था, लेकिन स्थानीय समीकरणों के चलते भाजपा ने ऐन वक्त पर उनका टिकट काटकर पुष्यमित्र भार्गव को दे दिया था। डॉ. खरे इससे पहले भाजपा संगठन में और भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। कोरोना काल में उन्होंने अपनी सक्रियता दिखाते हुए कई महत्वपूर्ण दायित्व निभाए थे।
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