पहले ही मिल गए थे मंत्री बनाने का संकेत... कैसे दिग्गजों को पछाड़कर मोदी कैबिनेट में मंत्री बनीं सावित्री ठाकुर?

नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मप्र से शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटीक, दुर्गादास उईके और सावित्री ठाकुर को जगह दी गई है। सावित्री ठाकुर मध्‍य प्रदेश से इकलौती महिला सांसद हैं, जिन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।

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Vikram Jain
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Swearing in of MP Bhopal Modi Cabinet Savitri Thakur Minister
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BHOPAL. रविवार को पीएम मोदी, 30 कैबिनेट, 5 स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री और 36 राज्यमंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। मंत्रीमंडल में एमपी से कई सिंधिया, शिवराज सिंह समेत कई बड़े चहेरों को मौका मिला है। इनमें धार-महू सीट से दूसरी बार सांसद चुनी गईं सावित्री ठाकुर को स्थान मिला है। सावित्री ठाकुर ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है।

पीएम मोदी ने दिए थे मंत्री बनाने का संकेत

मध्य प्रदेश के धार लोकसभा सीट से दो लाख से अधिक वोटों से जीतने वालीं सांसद सावित्री ठाकुर को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है। मोदी 3.0 में उन्हें मंत्री बनाया गया है। सावित्री ठाकुर को मोदी कैबिनेट में शामिल होने का इशारा बहुत पहले हो चुका था। वोटिंग से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सावित्री ठाकुर को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि आपका जिला पंचायत से संसद तक का ये सफर उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपनी मेहनत और निष्ठा से आगे बढ़ना चाहती हैं। जानिए मोदी कैबिनेट में शामिल सावित्री ठाकुर के संघर्ष की कहानी...

सावित्री ठाकुर के संघर्ष की कहानी...

सावित्री ठाकुर 12वीं क्लास तक पढ़ी हैं। उनके मायके और ससुराल में दूर-दूर तक कोई राजनीति में नहीं है। शादी के बाद घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने धार में एसटीडी-पीसीओ बूथ खोला। फिर वह एक एनजीओ में काम करने लगीं। इसी दौरान वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ीं। धार जैसे आदिवासी इलाके में लोगों को सस्ती दवाएं दिलाने के लिए सावित्री ने जेनेरिक दवाओं की फ्रेंचाइजी ली। उनके दो बेटे हैं। दोनों ग्रेजुएट हैं। पति अब भी किसानी करते हैं। सावित्री ठाकुर 2004 में जिला पंचायत अध्यक्ष, 2009 में मंडी अध्यक्ष चुनी गईं थी। इसके बाद 2014 में सांसद बनीं। 

परिवार का रखा ख्याल, जनसेवा में भी आगे

सावित्री ठाकुर के बेटे दीपक ठाकुर बताते हैं कि कि मां के संघर्ष की कहानी बहुत लंबी है। उन्होंने जितना अपने परिवार का ख्याल रखा, उससे ज्यादा चिंता उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों की। 2019 में जब मां का टिकट काट दिया गया, तब भी उनके चेहरे पर शिकन नहीं आई। उन्होंने उस समय के धार प्रत्याशी छतर सिंह दरबार का वैसे ही प्रचार किया, जैसे वह खुद चुनाव लड़ रही हैं। दीपक आगे कहते हैं इस बार फिर उन्हें बीजेपी से टिकट मिला। उन्होंने कांग्रेस के राधेश्याम मुवैल को 2 लाख 18 हजार 665 वोट से हराया। वे धार से दूसरी बार सांसद चुनी गई हैं।

सावित्री ठाकुर के पिता राज्य वन विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। पति तुकाराम ठाकुर किसान है। सावित्री के दो बेटे हैं दीपक और कुलदीप। दोनों ग्रेजुएट हैं। दीपक ने बीकॉम किया है, वह मां के काम संभालता है। छोटा बेटा कुलदीप दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट है और यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। सावित्री के मायके और ससुराल में कोई भी राजनीति में नहीं था। सावित्री राजनीति में आने से पहले एनजीओ में को-ऑर्डिनेटर थीं। एनजीओ में काम करने के दौरान ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आईं। वर्ष 2004 में वह जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं।

 

सावित्री ही क्यों चुनी गईं

मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 6 महिला उम्मीदवारों को टिकट दी थी। इनमें बालाघाट से भारती पारधी, भिंड से संध्या राय, शहडोल से हिमाद्री सिंह, धार से सावित्री ठाकुर, सागर से लता वानखेड़े और रतलाम से अनिता नागर सिंह चौहान चुनाव जीत गई हैं। इन सभी को टिकट देने में पीएम मोदी की अहम भूमिका थी। इसके अलावा तीन राज्यसभा सांसद के रूप में कविता पाटीदार, सुमित्रा बाल्मीक और माया नारोलिया पहले से हैं। लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर मध्यप्रदेश से कुल 9 महिला सांसद है।

इनमें से हिमाद्री सिंह और संध्या राय दो बार की सांसद हैं वहीं सावित्री ठाकुर 2014 में चुनाव जीती थीं। 2019 में उन्हें टिकट नहीं दिया था। अनिता नागर सिंह चौहान, लता वानखेड़े और भारती पारधी पहली बार की सांसद हैं। संध्या राय और सुमित्रा बाल्मीक अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। अनिता नागर सिंह चौहान, हिमाद्री सिंह और सावित्री ठाकुर अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। वहीं लता वानखेड़े, भारती पारधी, माया नारोलिया कविता पाटीदार ओबीसी कोटे से आती हैं। जानकार कहते हैं कि सावित्री को मंत्री पद के लिए चुन कर आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश है। उनके संघर्ष की कहानी एक आम महिला के उत्कर्ष की कहानी है।

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