कचरा निष्पादन कंपनी की मशीनरी जब्त नहीं कर सकेगा भोपाल नगर निगम

भोपाल नगर निगम और कचरा निष्पादन कंपनी के बीच विवाद में हाईकोर्ट ने कंपनी को अंतरिम राहत दी। निगम ने कंपनी की मशीनरी जब्त करने का आदेश दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। यह मामला कचरे के निष्पादन में सर्वे रिपोर्ट में अंतर को लेकर खड़ा हुआ था।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (The Sootr)

BHOPAL. आदमपुर खंती में जमा कचरे के निपटारे के विवाद में डिस्पोजल एजेंसी को एमपी हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत दे दी है। कचरे का निष्पादन नहीं करने पर नगर निगम भोपाल ने कंपनी का अनुबंध निरस्त कर मशीनरी जब्त करने का आदेश जारी किया था।

इसके विरोध में ज्वाइंट वेंचर कंपनी ने जबलपुर हाईकोर्ट में 8 अगस्त को अपील की थी। जिस पर गुरुवार को सुनवाई के बाद हाईकोर्ट जस्टिस विनय सराफ ने अंतरिम राहत दे दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को संभावित है।

यह है मामला  

नगर निगम भोपाल ने वार्डों से आदमपुर खंती में जमा होने वाले कचरे के निष्पादन के लिए सुसज्जा इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और आनंद ऑटो की ज्वाइंट वेंचर कंपनी से अनुबंध किया था। जो अनुबंध किया गया था उसके तहत कंपनी को 5 लाख मीट्रिक टन कचरे का निष्पादन करना था।

जब आदमपुर खंती में कचरा निष्पादन के लिए कंपनी जब मशीन लगाकर प्लांट तैयार कर चुकी थी तभी नगर निगम ने नई शर्त सामने रख दी। निगम ने कंपनी को जून में बताया कि पहले कचरे का सर्वे मैनिट से कराया जाएगा।

हालांकि निगम ने मैनिट की जगह आईआईटी बनारस और फिर नीरी से सर्वे कराया। दोनों सर्वे रिपोर्ट में कचरे की अनुमानित मात्रा में अंतर सामने आया। आईआईटी की सर्वे रिपोर्ट में आदमपुर खंती में कचरे की मात्रा 3.50 लाख जबकि नीरी की रिपोर्ट में 4.82 लाख मीट्रिक टन बताई गई थी। सर्वे रिपोर्ट के इस अंतर को देख कंपनी ने काम रोक दिया। 

5 पॉइंट्स में समझें खबर... 

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👉 कचरा निष्पादन विवादः भोपाल नगर निगम ने आदमपुर खंती में कचरे के निष्पादन के लिए ज्वाइंट वेंचर कंपनी से अनुबंध किया था, लेकिन अनुबंध में बदलाव और सर्वे रिपोर्ट में अंतर के कारण कंपनी ने काम रोक दिया।

👉 हाईकोर्ट ने दी राहतः कचरा निष्पादन कंपनी ने हाईकोर्ट में अपील की, जिसमें कोर्ट ने कंपनी को अंतरिम राहत देते हुए नगर निगम द्वारा मशीनरी जब्त करने के आदेश पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।

👉 सर्वे रिपोर्ट में अंतरः नगर निगम ने कचरे का सर्वे कराने के लिए पहले मैनिट का नाम लिया, लेकिन बाद में आईआईटी बनारस और नीरी से सर्वे कराया। दोनों की रिपोर्ट में कचरे की अनुमानित मात्रा में अंतर पाया गया।

👉 कंपनी की मांगः कंपनी ने नगर निगम से बकाया 6 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं मिलने और शर्तों में बदलाव के कारण अनुबंध तोड़ दिया। कंपनी ने अपनी याचिका में इस भुगतान की मांग की है।

👉 स्वच्छता में योगदानः कंपनी ने दावा किया कि उसकी ईमानदारी के कारण भोपाल को स्वच्छता सर्वेक्षण में 7 स्टार रेटिंग मिली है।

इसलिए खड़ा हुआ विवाद 

पहले नगर निगम सर्वे के नाम पर देरी करता रहा और फिर सर्वे रिपोर्ट में अनुबंध में तय कचरे से कम मात्रा का हवाला देकर कंपनी ने काम रोक दिया। इसके साथ ही सुसज्जा और आनंद एलएलपी ज्वाइंट वेंचर कंपनी ने अनुबंध की शर्तों में अंतर को देखते हुए अनुबंध तोड़ दिया।

नगर निगम ने कंपनी की इस हरकत को देखते हुए पुराना भुगतान अटका दिया था। इसी को लेकर कंपनी और नगर निगम के बीच विवाद शुरू हुआ और कंपनी अपने बकाया 6 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए हाईकोर्ट पहुंच गई। इधर कंपनी की याचिका को देखते हुए नगर निगम ने 11 अगस्त को आदमपुर खंती में उसके प्लांट और मशीनरी को जब्त करने के संबंध में नोटिस भी जारी कर दिया था। 

कंपनी की वजह से 7 स्टार बना भोपाल

हाईकोर्ट में जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने कचरा निष्पादन कंपनी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। इस दौरान नगर निगम ने जहां कचरा निष्पादन के अनुबंध का उल्लंघन करने की बात रखी वहीं कंपनी ने निगम को इसकी वजह बताया।

कंपनी के वकील का कहना था कि अनुबंध के दौरान ही तय था कि दोनों में से कोई भी पक्ष शर्तों का उल्लंघन होने पर अपनी ओर से अनुबंध खत्म कर सकता है। निगम ने 5 लाख मीट्रिक टन कचरा निष्पादन का अनुबंध किया था लेकिन बाद में सर्वे की शर्त थोप दी।

दो एजेंसियों से सर्वे कराया जिनकी रिपोर्ट भी अलग-अलग थी। कंपनी को पूर्व से बकाया 6 करोड़ रुपए का भुगतान भी नहीं किया गया है।  वहीं कंपनी की ओर से दावा किया गया कि स्वच्छता के मामले में उनकी ओर से ईमानदारी से काम किया गया है। इसी वजह से भोपाल को स्वच्छता सर्वेक्षण में 7 स्टार रेटिंग मिली है। कंपनी ने नगर निगम के दस्तावेजों के जरिए भी अपने तथ्यों की पुष्टि की। कचरा विवाद

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